असम में भर्ती घोटाले से भाजपा की फजीहत

सरकार से सीसीटीवी फुटेज और उत्तर पुस्तिकाएं (ओएमआर शीट) सुरक्षित रखने की मांग

Update: 2019-03-27 12:36 GMT

असम राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में कथित नियुक्ति घोटाले की चर्चा की वजह से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ऐन लोकसभा चुनाव से पहले एक फजीहत का सामना करना पड़ रहा है.

कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के सलाहकार अखिल गोगोई ने आरोप लगाया है कि विभाग के कुल 886 रिक्त पदों की भर्ती में लगभग 450 पद भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों एवं राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवारों को दी गयी हैं. उन्होंने कहा कि इसकी पुष्टि विभाग के भीतर के सूत्रों द्वारा उन्हें दी गयी दस्तावेजों से होती है.

नियुक्ति के परिणामों की घोषणा मार्च महीने के पूर्वार्द्ध में की गयी थी. किसानों के संगठन केएमएसएस ने इन कथित अनियमितताओं के खिलाफ न्यायालय जाने का फैसला किया है.

श्री गोगोई, जोकि एक सूचना अधिकार कार्यकर्ता भी हैं, ने कहा कि इस कथित घोटाले ने सत्तारूढ़ दल का “भ्रष्टाचार विरोधी नकाब” उतारकर उसकी असलियत उजागर कर दी है.

श्री गोगोई ने द सिटिज़न को बताया, “एक सप्ताह के भीतर हम गुवाहाटी उच्च न्यायालय से गुहार लगायेंगे. हमने इस संबंध में सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार कर लिया है. असम लोकसेवा आयोग भर्ती घोटाले के माफिक इस घोटाले में शामिल लोग भी सलाखों के पीछे होंगे. इसमें समय चाहे जितना लगे, लेकिन हम उन्हें सजा दिलाने के लिए कटिबद्ध हैं.”

श्री गोगोई ने असम सरकार से नियुक्ति के परिणामों की घोषणा से पहले विभाग के उच्च अधिकारियों से मिलने आये लोगों की पहचान करने के लिए विभाग के कार्यालय के कमरों में लगे सीसीटीवी कैमरों से 3 मार्च से लेकर 5 मार्च तक की अवधि के फुटेज निकालने की मांग की है.

श्री गोगोई ने कहा, “जिस कमरे में उत्तर – पुस्तिकाएं (ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन शीट) रखी गयीं थी, उसे सील कर दिया जाना चाहिए. इससे दोषियों को पकड़ने में मदद मिलेगी. हमें उम्मीद है कि सरकार यह नहीं कहेगी कि उसके पास फुटेज नहीं है.”

आल असम स्टूडेंट्स यूनियन समेत विभिन्न विपक्षी दलों एवं संगठनों द्वारा इस संदर्भ में सरकार पर दबाव बनाये जाने के बाद असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ को इस पूरे मामले की जांच कर सरकार को रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

श्री गोगोई ने कहा, “यह एक दिखावटी जांच है. इसका मकसद मामले को लटकाना है. मुख्यमंत्री बार – बार यह दोहराते रहते हैं कि वे किसी किस्म का भ्रष्टाचार सहन नहीं करेंगे, तो फिर ये सब क्या है? ओएमआर शीट सार्वजानिक नहीं किये जाते, लेकिन मुझे कूरियर के जरिए एक ओएमआर शीट प्राप्त हुआ है. किसी भी उम्मीदवार को ओएमआर शीट परीक्षा भवन से बाहर ले जाने की इजाज़त नहीं है. लेकिन इस परीक्षा में पूरी अराजकता थी.”

इससे पहले, अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) ने पिछले साल मई महीने में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. अपनी रिपोर्ट मे सीआईडी ने राज्य के नौ जिलों के 18 परीक्षा केन्द्रों पर बरती गयी कई अनियमितताओं को दर्ज किया है.
 

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