भ्रष्टाचार मिटाने के दावे और भारत में बढ़ते भ्रष्टचार की गुत्थी

युवाओं को ही सबसे अधिक रिश्वत देनी पड़ती है

Update: 2018-02-23 14:14 GMT

बर्लिन स्थित ट्रांस्पेरेंसी इंटरनेशनल के ताजातरीन करप्शन परसेप्शन इंडेक्स २०१७ में कुल १८० देशों की सूचि में भारत ८१वे स्थान पर पहुँच गया है. वर्ष २०१६ में भारत का स्थान ७९ था, यानि पिछले वर्ष की तुलना में हमारा सरकारी तंत्र और ज्यादा भ्रष्ट हो चुका है. इस इंडेक्स का निर्धारण ० से १०० के स्केल पर किया जाता है, जहाँ १०० अंक का मतलब है भ्रष्टाचार मुक्त और ० का मतलब है भ्रष्टाचार में पूरी तरीके से डूबा हुआ. इंडेक्स में भारत को कुल ४० अंक मिले हैं. कुल १८० देशों का औसत अंक ४३ है, यानि हम औसत से भी नूचे वाले देशों में शामिल हैं. कुल दो-तिहाई देशों का अंक ५० से नीचे है.

इंडेक्स में सबसे ऊपर (सबसे कम भ्रष्टाचार वाले देश) क्रम से हैं, न्यूज़ीलैंड, डेनमार्क, फ़िनलैंड, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड. सीरिया, सूडान और सोमालिया सबसे भ्रष्ट देश है. पश्चिमी यूरोपीय देशों का औसत अंक ६६ है और यहाँ भ्रष्टाचार सबसे कम है, जबकि सहारा के आसपास के अफ्रीकी देशों का औसत अंक ३२ है और ये सबसे भ्रष्ट हैं.

इंडेक्स में भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शामिल किया गया है. इस क्षेत्र में भारत समेत कुल १६ देशों के ९० करोड़ नागरिकों ने सरकारी काम के लिए रिश्वत दिया. इस पूरे क्षेत्र में भारत, फिलिप्पिंस और मालदीव्स को रिपोर्ट में सबसे भ्रष्ट बताया गया है. कुल ४१ प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया है कि भ्रष्टाचार बढ़ रहा है.

हमारे पड़ोसी देशों में २६वे स्थान पर भूटान सबसे इमानदार देश है, जबकि चीन ४१वे स्थान पर भारत से ऊपर है. अन्य पड़ोसी देश हमसे भी नीचे के स्थानों पर हैं. पाकिस्तान ११७वे, बांग्लादेश १४३वे, म्यानमार १३०वे और श्रीलंका १३८वे स्थान पर है. ब्रिक्स देशों में सबसे ऊपर साउथ अफ्रिका ७१वे स्थान पर है. ब्राज़ील ९६वे और रूस १३५वे स्थान पर है.

अधिकतर लोग यह मानते हैं कि रिश्वत केवल पुरुष ही देते हैं, पर रिपोर्ट के अनुसार एशिया-प्रशांत क्षेत्र में २७ प्रतिशत महिलाओं को भी सरकारी काम करने के लिए रिश्वत देना पड़ा है, जबकि पुरुषों में यह संख्या ३० प्रतिशत है. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी हरेक भाषण में बताते हैं कि हमारे देश में युवाओं की बहुत बड़ी संख्या है, और वे युवाओं के लिए बहुत सारी योजनायें ले कर आयें हैं. दूसरी तरफ रिपोर्ट के अनुसार युवाओं को ही सबसे अधिक रिश्वत देनी पड़ती है. रिश्वत देने वालों में ३४ प्रतिशत लोगों की उम्र ३५ वर्ष से कम, २९ प्रतिशत की उम्र ३५ से ५४ वर्ष के बीच और ५५ वर्ष से ऊपर के महज १९ प्रतिशत लोग हैं.

भारत, फिलिप्पिंस और मालदीव्स के बारे में यह भी बताया गया है कि यहाँ प्रेस की आजादी बहुत कम है. भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले और प्रेस में इसे उजागर करने वाले हमेशा खतरे में रहते हैं और अनेक लोग मार दिए जाते हैं. हमारे देश में तो सरकारी भ्रष्टाचार उजागर करने वाले आपनी नौकरी से हाथ धो बैठते हैं. इकोनोमिक एंड पोलिटिकल वीकली और ट्रिब्यून का मामला तो ताजातरीन है – एक में इस्तीफा देना पड़ा तो दूसरे में भ्रष्टाचार उजागर करने की सजा कोर्ट केस के रूप में मिली. शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहाँ भ्रष्टाचार के भी दो पैमाने हों – बीजेपी और सरकार के लिए अलग और शेष सबके लिए अलग. बीजेपी और सरकार का भ्रष्टाचार उजागर करने वाले तो देशद्रोही करार दिए जाते हैं.

प्रधानमंत्री समेत पूरी की पूरी सरकार दावा करती है कि भ्रष्टाचार अतीत की बात है, वह तो कांग्रेस शासन के साथ समाप्त हो गया. सरकारी दावों के अनुसार जो बचा खुचा भ्रष्टाचार था उसमे कुछ नोट्बंदी के साथ ख़तम हो गया और फिर जीएसटी से तो भ्रष्टाचार का नाम भी समाप्त हो गया. ये बात दूसरी है कि बड़े व्यापारी बैंकों को तबाह कर रहे हैं पर यह तो बैंक के प्रबंधन और ऑडिट की कमी है, इसमें सरकारी व्यवस्था का क्या दोष है – ऐसा वित्त मंत्री बताते हैं.
 

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