दलितों के उत्पीड़न की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति के गठन की मांग

दलितों के उत्पीड़न की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति के गठन की मांग

Update: 2018-04-09 14:50 GMT

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को जनवादी, वामपंथी, प्रगतिशील संगठनों एवं पक्षधर नागरिकों ने एक पत्र लिखकर दलितों पर जारी बर्बर दमन पर रोक लगाने और प्रदेश में लोकतंत्र, संविधान की रक्षा करने तथा कानून का राज स्थापित करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है।

भारत की सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार किसी अपराध के घटित होने की सूचना प्राप्त होने पर उसकी प्राथमिक सूचना रिपोर्ट लिखकर तत्काल विवेचना शुरू करना चाहिए। प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की अनिवार्यता के सम्बंध में खुद सुप्रीम कोर्ट ने ही दर्जनों आदेश दिए हुए हैं । यहीं नहीं व्यवस्था यह है कि मामले की विवेचना के बाद पुलिस चार्जशीट न्यायालय में दाखिल करती है और न्यायालय मामले को गुण दोष और साक्ष्यों के आधार पर निस्तारित करता है। कोई अभियुक्त महज आरोप लगाने से दोष सिद्ध नहीं हो जाता। तब सुप्रीम कोर्ट का यह कहना कि जांच के बाद ही एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज होगी और इससे वह इस एक्ट के दुरूपयोग को रोकना चाहता है, विधि द्वारा स्थापित इस व्यवस्था के विरूद्ध है।

यदि यह नियम मान लिया जाए तब तो आईपीसी और सीआरपीसी को लागू करना ही असम्भव हो जायेगा। यहीं वजह रही है कि विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान की रक्षा की इस मांग का समर्थन संविधान में विश्वास करने वाले हर नागरिक और संगठनों ने किया था।

गौरतलब हो कि इस बंद में हुई हिंसा के बारे में विभिन्न चैनलों की रिपोर्टो से यह स्पष्ट हो चुका है कि सरकार द्वारा पुलिस और प्रशासन की मदद से दलितों का दमन कराया गया, जुलूसों में बाहरी तत्वों ने घुसकर उपद्रव किए, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया और हिंसा की। इस हिंसा में मरने वाले सभी दलित ही रहे हैं। अब इस हिंसा का सहारा लेकर पूरे प्रदेश में दलितों का बर्बर दमन किया जा रहा है।

मेरठ में दलित बच्चों को थाने में दौड़ाकर पीटा गया। मुजफ्फरनगर में बर्बर दमन ढाया गया, दलितों की हत्याएं हो रही है, हजारों लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसा दिया गया है, महिलाओं के साथ खुलेआम पुलिस द्वारा बदसलूकी की जा रही है। यह सारी स्थिति बेहद चिंताजनक है और इससे प्रदेश में गृहयुद्ध का खतरा उत्पन्न हो गया है, जो प्रदेश की शांति को भंग कर देगा और सामाजिक ताने बाने को छिन्न-भिन्न कर देगा। आप संविधान की रक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख हैं। अतः आपसे निवेदन करेगें कि आप तत्काल प्रभाव से हस्तक्षेप कर प्रदेश सरकार को दलितों पर जारी बर्बर दमन पर रोक लगाने और प्रदेश में लोकतंत्र, संविधान की रक्षा करने तथा कानून का राज स्थापित करने का निर्देश देने का कष्ट करें। साथ ही मेरठ, मुजफ्फरनगर समेत प्रदेश में थानों में किए दलितों के उत्पीड़न की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाए और दलितों पर दमन करने वाले दोषी अधिकारियों को दण्ड़ित किया जाए तथा दलितों समेत समाज के कमजोर तबकों की हर हाल में रक्षा की जाए।

(लेखक: उत्तर प्रदेश पुलिस में आई जी रह चुके हैं।)

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