दादरी से हापुड़: “गौ – रक्षकों” का कहर जारी

हापुड़ के पीड़ितों के परिजनों ने बयां किया अपना दर्द

Update: 2018-06-24 11:01 GMT

एक 45 वर्षीय मवेशी व्यापारी, मोहम्मद कासिम, को गौ – हत्या की अफवाह से प्रभावित और नफ़रत से भरी एक भीड़ ने 18 जून की शाम पीट – पीटकर मार डाला.

दादरी, जहां इस किस्म की पहली घटना हुई थी, की तरह इस मामले में भी निकट के देवी मंदिर से उद्घोषणा कर गौ – हत्यारों के रंगे हाथो पकड़े जाने की बात कही गयी और लोगों से फौरन घटनास्थल पर एकत्र होने को कहा गया. इस घटना में एक 67 वर्षीय बुजुर्ग उस समय बुरी तरह घायल हो गये जब उन्होंने हस्तक्षेप कर स्वघोषित गौ – रक्षकों को शांत करने की कोशिश की. फ़िलहाल वे एक निजी अस्पताल में ज़िन्दगी- और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं.

द सिटिज़न ब्यूरो के मुताबिक, इस बीच बुरी तरह घायल और डरा हुआ दिखाई दे रहे समीउद्दीन को भीड़ द्वारा जबरन ‘अपराध कबूल’ करने को मजबूर किये जाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. क्रूरता पूरी तरह स्पष्ट है.

Full View

घायल समीउद्दीन के बड़े भाई, मेहरुद्दीन, ने नई दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि उनका छोटा भाई खेत में चारा इकठ्ठा कर रहा था, जब भीड़ ने कासिम पर हमला किया. उसने हस्तक्षेप कर कासिम को बचाने की कोशिश की. उत्तेजित भीड़ ने उसे और कासिम को दौड़ा लिया और उनके पैरों को बांधकर निर्ममता से पिटाई की. उन्हें घसीटकर बझेरा गांव ले जाया गया और देवी मंदिर के निकट उनकी और बुरी तरह पिटाई की गयी.

घटना की ख़बर पाकर जब परिवार के सदस्य पुलिस के पास पहुंचे. तो उन्होंने उन्हें गुमराह किया और इस बात पर जोर दिया कि समीउद्दीन पुलिस की हिरासत में है.

आख़िरकार शाम छह बजे परिवार को सूचित किया गया कि समीउद्दीन हापुड़ के नंदिनी देवी अस्पताल में है. जब परिवार के लोग वहां पहुंचे तो उन्होंने पाया कि दोपहर 12 बजे, जब उन्हें भीड़ द्वारा पकड़ा और पीटा गया था, से लेकर शाम छह बजे, जब अंतिम तौर पर परिजनों से उनकी मुलाकात हुई, के बीच उन्हें कोई चिकित्सीय सहायता उपलब्ध नहीं करायी गई थी. समीउद्दीन अभी भी आईसीयू में गंभीर हालत में भर्ती हैं और जीवन और मौत के बीच जूझ रहे हैं.

मेहरुद्दीन ने उस पीड़ा का भी इज़हार किया जब परिवार के लोग न्याय और सुरक्षा पाने के लिए पुलिस के पास पहुंचे. हैरतअंगेज तरीके से पुलिस ने मामले को “घृणा आधारित अपराध” के बजाय “रोड रेज” का रूप देने की कोशिश की. पीड़ितों के परिजनों ने भीड़ के हमले को “रोड रेज” का मामला बताने संबंधी पुलिस के दावों को सिरे से ख़ारिज किया. घटना से जुड़े वीडियो से यह पूरी तरह साफ़ है कि मामला गौ – हत्या की अफवाह से प्रेरित है.

घटना से बेहद दुखी कासिम के छोटे भाई नदीम ने मीडिया को बताया कि उनका बड़ा भाई मवेशियों का एक व्यापारी था और आसपास के गांवों से भैंस और भेंड खरीदकर बेचा करता था. उसने बताया कि सुबह 11 बजे कासिम के पास एक फोन आया कि एक व्यक्ति अपनी मवेशी बेचना चाहता है. नदीम ने बताया कि उसका भाई पास के एक गांव के लिए निकल पड़ा. जब वह बताई हुई जगह पर पहुंचा तो गौ – हत्या का गलत आरोप लगाकर उसे मुसलमान होने की वजह से दौड़ा लिया गया और पीट – पीटकर मार डाला गया. परिवार को दोपहर बाद साढ़े तीन बजे पुलिस से कासिम के मौत की सूचना मिली और उसकी लाश को उन्हें सौंप दिया गया.



कासिम के परिवार द्वारा इस संबंध में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है क्योंकि पुलिस ने उन्हें बताया कि एक ही घटना में दो अलग – अलग एफआईआर दर्ज कराने की कोई जरुरत नहीं है. समीउद्दीन के परिवार द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 307 एवं 302 के तहत एक एफआईआर दर्ज कराई गई है. अबतक सिर्फ दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. कासिम का परिवार पुलिस की तहकीकात से बिल्कुल संतुष्ट नहीं है और न्याय की गुहार लगाने के लिए दिल्ली आया था. पुलिस द्वारा गाय से जुड़ा मामला के बजाय “रोड रेज” का मामला दर्ज किया गया है.

दोनों परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर और गरीब हैं. कासिम अपने चार भाईयों में सबसे बड़ा था और अपने पीछे पत्नी के अलावा छह बच्चे छोड़ गया है. घायल समीउद्दीन की पांच बेटियां और दो बेटे हैं. दोनों अपने – अपने परिवारों के लिए रोजी कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति थे.

दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को जाने – माने पत्रकार हरतोष सिंह बल, प्रोफेसर अपूर्वानंद, आरिफा खानम, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्वेस, सामाजिक कार्यकर्ता नदीम खान और जमात – ए – इस्लामी – हिन्द के महासचिव डॉ सलीम इंजीनियर ने संबोधित किया.

 

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