राजस्थान में बसपा की चुनावी तैयारी।

कांग्रेस की रणनीति में बदलाव नजर आ रहा है

Update: 2018-08-06 13:27 GMT

राजस्थान में प्रमुख सियासी दल भाजपा-कांग्रेस में सत्ता का सूख भोगने के खातिर नेताओं मे आपसी कड़वाहट व जोर आजमाइश जारी रहने के बावजूद बसपा ने अपनी चुनावी तैयारी को अंतिम रुप देते हुये अपने उम्मीदवारो की स्क्रीनिंग करना शुरू कर दिया है। वही अनेक जगह तो उम्मीदवार भी घोषित कर दिये है।

राजस्थान में 1990 मे पहली दफा बसपा के विधानसभा चुनाव लड़ना शुरु करने के बावजूद वो अभी तक बडी सियासी ताकत तो नही बन पाई है लेकिन बसपा ने अपना एक मुकाम जरुर राजस्थान की सियासत मे बना लिया है। 2008 मे बसपा के प्रदेश में छ: विधायक जीत कर आये थे। लेकिन तब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बसपा के सभी छ विधायको को कांग्रेस मे शामिल करके बसपा को तगड़ा झटका दिया था। लेकिन फिर भी बसपा के वोटबेंक मे अधिक चोट नही लगने के कारण 2013 मे फिर बसपा के चार विधायक जीतकर आ गये। इससे पहले 1998 व 2003 मे बसपा के दो दो विधायक चुनाव जीतकर विधायक बने थे।

यूपी उपचुनाव में सपा व कांग्रेस के साथ बसपा के आने के बाद मिली जीत के बाद से कांग्रेस की रणनीति में जरा बदलाव होता साफ नजर आ रहा है। इसी साल दिसम्बर मे राजस्थान में होने वाले आम विधानसभा चुनावों में बसपा का एनसीपी व वामपंथी दलो के साथ समझौता होना तय बताते है। जबकि इन दलो के साझा मोर्चे का कांग्रेस के साथ भी समझौता अंतिम समय मे होना मान कर चल रहे हैं। लेकिन कांग्रेस में मौजूद दलित नेताओं की अपनी दूकान को लेकर आशंका होने से वो सभी नेता कांग्रेस हाईकमान तक बसपा से समझौता ना कर अकेले चुनाव लड़ने की बात लगातार पहुंचा रहे है। इसके विपरीत बसपा के मौजुदा विधायकों मे से खेतड़ी से पूर्ण मल सैनी व सादुलशहर से विधायक मनोज न्यांगली ने अपने जनाधार को बढाकर मजबूत स्थिति बना रखी है।

राजस्थान की सभी दो सौ विधानसभा क्षेत्रों मे कम ज्यादा बसपा का एक सेट वोटबैंक बन चुका है। इस सेट वोटबेंक को पाने के लिये वो नेता जो कांग्रेस-भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद छोड़ चुके होते है वो भी अक्सर बसपा की टिकट पाकर अपने जातीय समीकरण के सहारे चुनाव जीत जाते है। वैसे बसपा ने सभी दो सौ विधानसभा क्षेत्र के लिये उम्मीदवारो के पैनल बना लिये है। उन पर अंतिम फैसला लेना बाकी है। जबकि बसपा सूत्रों अनुसार मिल रही जानकारी के मुताबिक अन्य दलो से समझौता होने की स्थिति मे कुछ सीटो पर चेहरे बदल भी सकते है। पर अब तक सभी जगह चुनाव लड़ना मान कर तैयारी कर रहे है।

 

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