राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर दलित

राजस्थान में राजनीति का मिजाज बदल रहा है

Update: 2018-09-12 12:32 GMT

इस वर्ष दो अप्रैल को दलित संगठनों की तरफ से भारत बंद कराने में जिस तरह की भूमिका राजस्थान में देखने को मिली वह राज्य में राजनीति के बदलते मिजाज का संकेत दे चुका है। बंद के प्रयास को देश में सबसे ज्यादा दमन का सामना करना पड़ा। दूसरी तरफ गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी के लगातार राजस्थान में जगह जगह दौरे हो रहें हॆं। इस तरही की गतिविधियों से खासतौर पर राजस्थान की दलित युवाओं व छात्रों मे एक नई राजनीतिक चेतना का संचार महसूस किया जा रहा है। राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनावों मे निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ रहे दलित समाज के छात्र विनोद जाखड़ की इतिहास मे पहली दफा भारी मतो के अंतर से जीत को राज्य के राजनीतिक मिजाज को बदलने के संगठित प्रयास के रुप में देखा जा सकता है।

राजस्थान के इतिहास मे वैसे तो अक्सर देखा जाता रहा है कि प्रदेश मे कुम्हेर व डांगावास सहित अनेक जगहों पर रुक रुक कर दलितों के खिलाफ जब जब हत्याचार हुये है तब तब उस हत्याचारों से उभरने में इस तबके ने कोई समय नही गंवाया है। बल्कि जितना जल्द हो सका उतनी जल्दी के साथ इस तबके के यूवाओं ने नये दिन की शूरुआत नये रुप से करके आगे कदम बढाने की भरपूर कोशिश की। कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई संगठन ने जब विनोद जाखड़ को राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव मे अपना उम्मीदवार नही बनाया तो विनोद इससे निराश होकर घर बैठने की बजाय छात्र हितों व अपने मजबूत दावे को नकारने के खिलाफ इंसाफ पाने के लिये चुनावी रण में उतरकर निर्दलीय रुप से चुनाव लड़ा और तमाम राजनीतिक दलो की छात्र इकाई के उम्मीदवारो को पछाड़ते हुये विजय प्राप्त कर एक नया इतिहास रचा है। मुस्लिम समुदाय सहित अन्य वंचित वर्गो के यूवा व छात्रों को राजनीतिक दलों की टिकट को लेकर जारी दादागिरी के खिलाफ अपना हक पाने के लिये संघर्ष करने का नया संदेश भी दे दिया है।

राजनीतिक दलों मे ऊपरी स्तर पर विशेष वर्ग व दबंग बिरादरियों के लोगो का अघोषित कब्जा बना हुआ है।जिस कब्जे को तोड़ने के लिये विनोद जाखड़ सहित हजारों युवा व छात्रो को आगे आकर बडी होशियारी से संघर्ष करके अपना हक पाने के लिए आगे भी विचार करते रहना होगा। दलित समाज के छात्र विनोद की इस जीत का असर तीन महिने बाद प्रदेश मे होने वाले आम विधानसभा चुनावों मे भी नजर आयेगा। आरक्षित क्षेत्र से हटकर जब जनरल क्षेत्र से अनुसूचित जनजाति के रामनारायण मीणा के विधायक बनने की तरह अब अनुसूचित जाति के उम्मीदवार भी जैसलमेर से मुलताना राम की तरह फिर विधायक बनने लगेंगे।

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