हिंसा से त्रस्त उत्तर प्रदेश और बिहार के “प्रवासियों” का गुजरात से पलायन

प्रवासियों के खिलाफ हिंसा में अल्पेश ठाकोर की सेना के शामिल होने की ख़बर

Update: 2018-10-08 16:54 GMT

पिछले सप्ताह एक मासूम बच्ची के साथ बिहार के एक व्यक्ति ने बलात्कार किया. उसे गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन उसके बाद, अफवाहों ने पूरे गुजरात में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं बिहार के हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ व्यापक पैमाने पर हिंसा भड़का दिया गया और उन्हें पर बड़ी संख्या में राज्य छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया. पिछले कुछ दिनों में हजारों लोग गुजरात से पलायन कर गये हैं.

पुलिस ने कम - से - कम 180 लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है. लेकिन ये गिरफ्तारियां भीड़ द्वारा “प्रवासियों” की बस्तियां और उनके छोटे दुकानों को जलाने, उन्हें पीटने और राज्य से नहीं भागने पर जान मारने की धमकियां देने से पहले नहीं हुईं. भीड़ ने गलियों में घूम – घूमकर “बाहरी लोगों” को रोककर उनकी पृष्ठभूमि जांच की. उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को जमकर भला – बुरा कहा गया और उनके छोटे – छोटे मकानों को जला या तोड़ दिया गया और खाना एवं सब्जी बेचने वाले उनके ठेलों को आग के हवाले कर दिया गया.

अधिकांश राज्यों की तरह, गुजरात भी उत्तर प्रदेश और बिहार से आये हुए मजदूरों पर निर्भर है. इन दोनों राज्यों के दूर – दराज इलाकों से बेहद गरीब लोग लंबी दूरी तय कर अपनी जीविका कमाने गुजरात पहुंचते हैं. “प्रवासियों” के बजाय “स्थानीय” युवाओं को रोजगार में तरजीह देने की स्थानीय नेताओं एवं राजनीतिक दलों की मांग के बीच, हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ यह हिंसा “गुजरात, गुजरातियों के लिए” की सतही भावनाओं से संचालित रही है.

आधिकारिक रूप से, भाजपा और कांग्रेस ने प्रवासियों पर हमले एवं उनके पलायन के मसले पर शर्मनाक चुप्पी ओढ़ रखी है. हालांकि, लोगों ने ट्वीटर पर कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर को हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जमकर निशाना बनाया. उसके बाद से ठाकोर ने लोगों से शांति की अपील की है. लेकिन उनकी गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना को इस हिंसा के लिए जिम्मेवार माना जा रहा है. ठाकोर सेना का दावा है कि उसकी सदस्य – संख्या 7 लाख से अधिक है. मीडिया में श्री ठाकोर का यह बयान आया है कि लोगों का गुस्सा प्रवासी मजदूरों के बजाय उन कंपनियों के खिलाफ था, जो अपनी फैक्ट्रियों में 80 प्रतिशत गुजरातियों को रोजगार देने के कानून का पालन नहीं कर रहे हैं. दरअसल, खबरों के मुताबिक, सेरामिक उद्योग, जिससे बलात्कार के आरोपी का संबंध था, सबसे पहले हिंसा का शिकार हुआ. बाद में, इसकी आग फैलती हुई गांधीनगर, साबरकांठा, अहमदाबाद, पाटन और मेहसाणा तक जा पहुंची और इन इलाकों को सबसे ज्यादा झुलसाया.

इंडियन एक्सप्रेस ने राज्य के प्रवासियों में व्याप्त डर और आतंक का विस्तार से चित्रण किया है. डर और आतंक ने प्रवासियों को अपनी जान बचाने के लिए गुजरात से भागने को मजबूर किया. बसें ठसाठस भरी हुई जा रही हैं. बस मालिकों ने बताया कि बढ़ती मांगों के मद्देनजर उन्होंने अतिरिक्त बसों का इंतजाम किया है. भीड़ के हमलों के बारे में बात करते हुए प्रवासी लोग विस्तार से बताते हैं कि कैसे भीड़ उनके घरों में घुसी और सामने पड़ने वाले हर किसी को बुरी तरह पीटा. कैसे उनके बच्चे डर और आतंक से चिल्लाते रहे. कैसे लाठियों से लैस लोगों ने गलियों में रोककर उनकी पृष्ठभूमि का पता किया, उनके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी देते हुए गुजरात छोड़कर जाने को कहा.

स्थानीय सूत्रों ने बताया कि भावनाएं लंबे समय से उबल रही थीं और राजनीतिक नेताओं ने अपने जनाधार को मजबूत करने की नीयत से इसका दोहन किया. पिछले कुछ अरसे से गुजरात में हिंदी भाषी प्रवासियों के साथ हिंसा की जा रही थी और उनका पलायन हो रहा था, लेकिन अब उसमें तेजी आ गयी है. हजारों लोग राज्य से पलायन कर गये हैं, जबकि अन्य सवारियों में जगह पाने के लिए कतार में खड़े हैं. मजेदार बात तो यह है कि भाजपा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में जनता दल (यू) के साथ गठबंधन कर सत्ता में है.

Similar News

Uncle Sam Has Grown Many Ears
When Gandhi Examined a Bill
Why the Opposition Lost
Why Modi Won