प्रकाश अम्बेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी से दरअसल भाजपा – सेना को नुकसान

महाराष्ट्र की राजनीति में नये सिरे से खेमेबंदी

Update: 2019-03-31 09:14 GMT

अपने गले में पीला पट्टा लपेटे वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के नवनाथ पादलकर बारामती में घूम – घूमकर प्रचार कर रहे हैं. राजनीतिक दृष्टिकोण से, बारामती महाराष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्रों में एक है. श्री पादलकर अपने प्रत्येक भाषण का समापन जय भीम ! और जय मल्हार!, जोकि धनगर समुदाय के अभिवादन का प्रतीक है, के नारे से करते हैं. राज्य में धनगर समुदाय की आबादी तकरीबन 9% है.

महाराष्ट्र के एक शीर्ष कॉलेज से इंजीनियरिंग स्नातक श्री पादलकर अपने जीवन की सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं. वे पवार परिवार को उनके गढ़ में चुनौती दे रहे हैं. पिछले चुनाव में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले 69,000 मतों से जीती थीं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लिए इस संसदीय क्षेत्र में जीत का यह सबसे कम अंतर था. विपक्षी उम्मीदवार, (भाजपा की सहयोगी) रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के महादेव जनकर, जोकि धनगर समुदाय से आते हैं, को साढ़े चार लाख वोट मिले थे. तुलनात्मक रूप से, 2009 में सुश्री सुले तीन लाख से अधिक मतों से विजयी हुई थीं.

पिछले चुनाव में, धनगर समुदाय का एकमुश्त वोट भाजपा को मिला था. तब भाजपा ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह मंत्रीमंडल की पहली बैठक में ही धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति की तर्ज पर आरक्षण देने का निर्णय लेगी. श्री पादलकर याद दिलाते हुए कहते हैं, “बारामती संसदीय क्षेत्र में भाजपा के पास डेढ़ लाख से अधिक आधार वोट नहीं है, लेकिन धनकर समुदाय की बदौलत श्री जनकर को इससे तीन गुणा अधिक मत प्राप्त हुए. लेकिन उसके बाद इस मुद्दे पर दगाबाजी की वजह से भाजपा ने धनगर समुदाय का समर्थन खो दिया.”

धनगर समुदाय, जोकि फिलहाल विमुक्त जाति और घुमंतू जनजाति की श्रेणी में हैं, के लोग अधिकतर पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के इलाकों में बसे हुए हैं. वर्ष 2014 में एनडीए के पक्ष में इस समुदाय की एकजुटता की वजह से कांग्रेस – एनसीपी गठबंधन को अपने कई गढ़ भाजपा और शिव सेना के हाथो गंवान पड़ा था.

यशवंत क्रांति सेना के संस्थापक श्री पादलकर ने पिछले साल धनगर समुदाय के पंढरपुर मार्च के दौरान वीबीए के गठन में भी अहम भूमिका निभायी थी. उक्त मार्च में इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग की गयी थी. क्षेत्र में एक जाना – पहचाना चेहरा होने के नाते श्री पादलकर द्वारा एनडीए के पुराने मतों को अपने पाले में लाने और बारामती की चुनावी लड़ाई को रोचक बनाने की पूरी संभावना है. उन्हें धनगर, मुसलमान और दलित समुदाय के मतदाताओं से उम्मीदें हैं और स्वाभाविक रूप से बाबासाहब के करिश्मा पर पूरा भरोसा है.

वे कहते हैं, “प्रकाश अम्बेडकर के नेतृत्व में हमने अपना एक गठबंधन बनाया है क्योंकि वे यह नारा ‘हमें सत्ता की भीख नहीं चाहिए, हमें हमारी सत्ता चाहिए’ बार – बार दोहराते हैं.”

धनगर जैसी कई जातियों के भाजपा – सेना से पाला बदलकर वीबीए की तरफ आ जाने से एनडीए को न सिर्फ बारामती बल्कि पूरे महाराष्ट्र में झटका लगने वाला है.

दलित, पिछड़ी जातियों एवं घुमंतू जनजातियों को लुभाने की कोशिश में वीबीए

बीते 23 मार्च को अपने गठबंधन की घोषणा करते हुए कांग्रेस एवं राकंपा नेताओं ने वीबीए का नाम लिए बिना उसे “भाजपा की बी – टीम” करार दिया. कुछ स्थानीय मीडिया विश्लेषकों का मानना है कि वीबीए से कांग्रेस – राकंपा को अधिक नुकसान पहुंचेगा. लेकिन यह पूरा सच नहीं है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भाजपा के आधार वोटों में उल्लेखनीय बदलाव आये हैं.

एक समय ब्राह्मण – बनिया पार्टी के नाम से जानी वाली भाजपा पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कई समूहों को अपने पाले में लाने में सफल रही है. शिवसेना भी व्यापक रूप से पिछड़ी जातियों एवं अनुसूचित जातियों पर निर्भर है. हाल के कुछ सालों में कांग्रेस ने ऐसे कई समूहों का समर्थन भाजपा के हाथों गवांया है. लिहाज़ा वीबीए के पक्ष में पिछड़ी जातियों, घुमंतू जनजातियों और अनुसूचित जातियों के ध्रुवीकरण से वास्तव में भाजपा और सेना पर असर पड़ेगा.

वीबीए की सूची में कुनबी, शिम्पी, अगारी, कोली, मातंग, धनगर, होलार एवं वाडर समुदाय के उम्मीदवार शामिल हैं. ये सभी समुदाय सेना – भाजपा मतों के आधार - स्तंभ हुआ करते थे.

यहां देवेन्द्र फडनवीस सरकार द्वारा मराठा आरक्षण लागू करने की तौर – तरीकों से नाखुश अन्य पिछड़ी जातियों का ध्रुवीकरण भाजपा – सेना के विरुद्ध हुआ है. अन्य पिछड़ी जातियों का एक तर्क यह भी है कि मराठा आरक्षण से दरअसल अन्य पिछड़ी जातियों के कोटे में ही कटौती होगी. सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के जिस कोटे के तहत मराठों को आरक्षण दिया गया है, उसका दरअसल तात्पर्य अन्य पिछड़ी जातियों से है.

प्रकाश अम्बेडकर ने इस कदम को अन्य पिछड़ी जातियों एवं मराठों के बीच दरार डालने वाला करार दिया. विगत 2 मार्च को बम्बई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा था कि सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के तौर पर मराठों को क्यों और किस तरह से आरक्षण की जरुरत है.

श्री अम्बेडकर का कहना है कि उनपर “भाजपा की बी – टीम” होने का आरोप चस्पां करने वाले पत्रकार दरअसल बौद्धिक रूप से बेईमान हैं. वे कहते हैं कि कांग्रेस को शरद पवार से इस बात का स्पष्टीकरण लेना चाहिए कि उन्होंने 2014 में फडनवीस की अल्पमत सरकार को बिना शर्त समर्थन क्यों दिया था और पिछले कुछ सालों में वे प्रधानमंत्री मोदी बार – बार क्यों मिले थे.

वे आगे जोड़ते हैं, “हमने कांग्रेस – राकंपा के आधार वोट - बैंक मराठों को निशाना नहीं बनाया है. हमारे साथ समाज के वैसे वंचित समुदाय आ रहे हैं जिन्होंने कभी कांग्रेस को वोट नहीं दिया है. वीबीए भाजपा और सेना को ज्यादा नुकसान पहुंचायेगा क्योंकि कांग्रेस एवं राकंपा नेताओं की मुख्य चिंता सत्ता को अपने परिवार के भीतर समेटे रखने की है.”
 

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