बिहार की नदियों में अंतर्देशीय जलमार्ग के नतीजों का असर

व्यापक जन-विमर्श जरुरी और पर्यावरणीय मंजूरी भी

Update: 2018-07-27 14:47 GMT

बिहार की नदियों में बनने वाले जलमार्गों का इन नदियों के जीवन पर गहरा असर पड़ेगा।कम पानी, गाद की भारी समस्या और धारा परिवर्तन से संकट में पड़ी नदियों के लिए ये परियोजनाएं अच्छी नही होंगी| इस परियोजना के लिए आम लोगों व नदियों पर जीवन बसर करने वालों से कोई बातचीत नहीं की गई है और न ही पर्यावर्णीय मंजूरी को भी आवश्यक समझा गया है| इसका परिणाम बिहार की इन नदियों और उसके साथ जुड़े समुदाय को ही आगे चुकाना पड़ेगा|

सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण शोधकर्ता व मंथन अध्यन केंद्र, पुणे के निदेशक श्रीपद धर्माधिकारी ने गाँधी संग्रहालय में जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय और मंथन अध्यन केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित “बिहार में अंतर्देशीय और राष्ट्रीय जलमार्ग विषय पर बातचीत” में ये भी बताया कि बिहार जैसे राज्य में जहाँ विकास के नाम पर नदियों के साथ किये गये पहले के हस्तक्षेप के परिणाम अब दिख रहे हैं, गर्मियों में नदियों में पानी भी औसत से कम रहता हैं, गाद और धाराओं की शिफ्टिंग से नदी के जीवन पर व्यापक असर पड़ा हैं वही उस पर आश्रित समुदाय पर भी असर पड़ता हैं| इन सबके बावजूद बिना किसी व्यापक जन विमर्श के यह परियोजना बढ़ाई जा रही हैं| पर्यावरणीय प्रभावों का आंकलन (एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट) और पर्यावरणीय मंजूरी की अनिवार्यता भी नही हैं|

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत बिहार की सात नदियों - गंगा, कर्मनाशा, घाघरा, कोसी, गंडक, पुनपुन और सोन - को भी राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है। इनमें से गंगा, गंडक, घाघरा और कर्मनाशा के प्रस्तावित जलमार्ग अंतर्राज्यीय है जबकि गंडक और कोसी के जल मार्ग नेपाल तक बढ़ाए जा सकते हैं।

'बिहार के राष्ट्रीय अंतर्दे‍शीय जलमार्ग : एक विवरण'

पानी और उर्जा से सम्बंधित मुद्दों पर शोध करने वाला 'मंथन अध्ययन केंद्र ' राष्ट्रीय- अंतर्देशीय जलमार्गों पर देशभर में अध्ययन कर रहा है। मंथन ने 2017 में 'राष्ट्रीय अंतर्देशीय जलमार्ग स्थिति रिपोर्ट' प्रकाशित की है जो इन जलमार्गों से संबंधित मुद्दों की विस्तरित विवेचना प्रस्तुत करती है, जिसमें जलमार्गो से जुड़े तथ्य, क़ानूनी प्रावधान और उसकी पर्याप्तता, जलमार्ग बनाने और उनके रखरखाव के लिए हस्तक्षेप, इन हस्तक्षेपों का सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक परिणाम शामिल हैं। इसी कड़ी में मंथन द्वारा आज बिहार के जलमार्गों संबंधी अपनी ताज़ा रपट 'बिहार के राष्‍ट्रीय अंतर्दे‍शीय जलमार्ग :

एक विवरण' का लोकार्पण ई0 विनय शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार सरुर अहमद,सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रबीर यादव, शत्रुध्न झा, व प्रो0 प्रकाश ने संयुक्त रूप से किया।

‘कोसी और गंडक नदी के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग – एक प्रारंभिक रिपोर्ट' के प्रारंभिक निष्कर्ष और सिफारिशें भी लोंगों के सामने रखी गई। यह रपट मंथन द्वारा इन नदियों में 23 - 28 मई 2018 के दौरान मैदानी मुआयनो, अधिकारियों, स्थानीय जनता, एवं सामाजिक संस्थाओ के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकातों तथा संबंधित दस्तावेजों के विस्तृत अध्ययन पर आधारित है।

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