असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के खिलाफ व्यापक जन – विरोध को देखते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सभी पक्षों से राय – मशविरा किये बगैर अब इस दिशा में आगे कोई कदम नहीं उठाया जायेगा.

इस विधेयक, जिसमें 31 दिसम्बर 2014 तक पड़ोसी देशों से आये हुए अल्पसंख्यकों (गैर – मुसलमान) को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, को 2016 में संसद में पेश किया गया था. लेकिन धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने के इस कदम की व्यापक आलोचना शुरू हो गयी.

नई दिल्ली में बुधवार को असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल एवं राज्य के अन्य उच्चाधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी पक्षों के साथ विचार – विमर्श किये बगैर केंद्र नागरिकता संशोधन विधेयक के संबंध में आगे कोई कदम नहीं बढ़ायेगा.

प्रेस को जारी एक बयान में कहा गया, “इस संदर्भ में असम के लोगों की चिंताओं के समाधान के लिए सभी प्रयास किये जायेंगे. असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल के अनुरोध को स्वीकार करते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक के दौरान इस बारे में केंद्र सरकार के निर्णय से अवगत कराया.”

पिछले दो वर्षों के दौरान असम, खासकर ब्रह्मपुत्र घाटी, में इस विधेयक के खिलाफ जबरदस्त जन – प्रतिरोध उभरा है. राज्य के 280 से अधिक जन – संगठनों और भाजपा को छोड़कर बाकी राजनीतिक दलों ने इस विधेयक का घोर विरोध किया है.

अधिकांश संगठनों ने 25 मार्च 1971, जब बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ादी मिली, को अवैध नागरिकों की पहचान के लिए कट – ऑफ की तारीख के तौर पर स्वीकार किया है. केंद्र के साथ 1985 में हुए असम समझौते के तहत अधिकांश संगठनों ने इस तारीख को सर्वसम्मति से स्वीकार किया है. असम समझौता, 1980 के दशक में राज्य से बाहरी लोगों को हटाने के लिए छह साल तक चले लंबे आंदोलन का नतीजा था.

बुधवार की बैठक नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीज़न (एनआरसी) में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ताज़ा आंकड़ों को जोड़ने के क्रम में जरुरी प्रशासनिक और सुरक्षा संबंधी बंदोबस्त के बारे में विचार – विमर्श के लिए आयोजित की गयी थी. असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीज़न (एनआरसी) में ताज़ा आंकड़ों को जोड़ने का काम अभी चल रहा है. एनआरसी वास्तविक भारतीय नागरिकों को सूचीबद्ध करने की एक प्रक्रिया है और 1951 से बाद से असम में यह काम लगातार जारी है.

बैठक के दौरान श्री सोनोवाल ने राजनाथ सिंह से असम समझौता की धारा 6 को लागू कराने की दिशा में आवश्यक सुझाव देने के लिए एक समिति गठित करने का अनुरोध किया. असम समझौते की धारा 6 में राज्य के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक पहचान और विरासत को संरक्षित रखने के लिए जरुरी संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक प्रावधान है.

श्री सिंह ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार के साथ विचार – विमर्श करके इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई की जायेगी.

श्री सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में एनआरसी के प्रकाशित होने के बाद आनेवाले दावों और आपत्तियों के निपटारे के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के बारे में भी चर्चा की गयी.

बैठक के दौरान श्री सोनोवाल ने दावों और आपत्तियों के निपटारे के क्रम में जनता को किसी भी किस्म की परेशानी नहीं आने देने पर जोर दिया और इस संबंध में उचित और उपयुक्त व्यवस्था करने की बात कही.

बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव राजीव गौबा, असम के मुख्य सचिव टी वाई दास, असम के पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया एवं भारत और असम सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.