असम के कर्बी आंगलोंग जिले के डोकमोका पुलिस थाने के तहत दूरदराज के कंठीलंग्सो गांव में गुवाहा के दो युवकों को पीट – पीटकर मार डाला गया.

गुवाहाटी के ये दोनों युवक थे – गोवा में साउंड इंजीनियर का कम करने वाले नीलोत्पल दास और उनके मित्र अभिजीत नाथ. ये दोनों युवक घूमने और प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेने कर्बी आंगलोंग गये थे. इन दोनों युवकों को गफलत में बच्चा चुरानेवाला समझकर पंजुरिगांव इलाके के निकट गांववासियों ने उनकी गाड़ी पर हमला कर दिया जब वे शाम साढ़े सात बजे वापस लौट रहे थे. भीड़ ने उनदोनों की बांस के डंडों और लात – घूंसों से निर्मम पिटाई की. इस क्रूर हमले में दोनों युवकों की मौत हो गयी.

हमलावरों में से एक ने इस बर्बर हरकत को अपने फोन में रिकॉर्ड किया और उसके बाद से इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो में खून से लथपथ शरीर और फटे कपड़ों में घूंसे और धक्कामुक्की सहते नीलोत्पल नाथ भीड़ से हाथ जोड़कर रहम की गुहार लगाते दिखाई देते हैं.

“मैं एक असमिया हूं. मेरे पिता का नाम गोपालचंद्र दास है. मेरी मां का नाम राधिका दास है. हम दिन में ही यहां आये थे. कृपया मेरी बातों पर विश्वास कीजिए.” लेकिन भीड़ ने उनकी एक न सुनी और उन्हें पीटती रही. भीड़ ने दास को अपने बंधे बालों को खोलने को कहा. दास के जूड़े ने कथित रूप से भीड़ को उन्हें निशाना बनाने को उकसाया क्योंकि उनकी वेशभूषा से असम की बोलचाल की भाषा में “क्सोपा धोरा” कहे जाने वाली की छवि दिखाई देती थी.

मामले की जांच शुरू हो गयी है और वीडियो के आधार पर उन दोनों युवकों की हत्या में शामिल लोगों की पहचान और उनकी गिरफ़्तारी की कार्रवाई की जा रही है.

स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कर्बी आंगलोंग जिले के उपायुक्त ने बताया, “मामले की आगे की जांच और दिफू में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया जारी है. हमने घटनास्थल का दौरा किया है. हम अभी जांच का ब्यौरा नहीं दे सकते. यह पहचान में गफलत का मामला है, लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाज़त नहीं है. उनदोनों युवकों को भी इस प्रकार के दूरदराज के किसी गांव में जाने से पहले से नजदीकी पुलिस थाना को सूचित करना चाहिए था. हमें इस घटना की ख़बर रात पौने नौ बजे मिली. उनदोनों को, खासकर बाहरी होने के नाते, वहां इतनी देर तक नहीं रुकना चाहिए था. ऐसा करना सुरक्षित नहीं है. पुलिस को पहले से सूचित करने में कोई नुकसान नहीं है क्योंकि कंठीलंग्सो जैसा इलाका कर्बी आंगलोंग के दूरदराज के गांवों में से एक है. पर्यटकों के आने का मौसम नहीं होने की वजह से भी हम इसपर नजर नहीं रख पाये. ख़बर मिलते ही वहां के अफसर इंचार्ज फ़ौरन घटनास्थल पर पहुंचे और एम्बुलेंस मंगवाया. लेकिन एम्बुलेंस के पहुंचने से पहले ही उनदोनों की मौत हो गयी. गांव के मुखिया के साथ हमारी एक बैठक हो चुकी है और आगे की जांच जारी है.”

उपायुक्त के इस बयान की सोशल मीडिया में खूब आलोचना हुई है. लोगों ने इस बात पर हैरानी जताई है कि किसी व्यक्ति को किसी गांव में जाने से पहले ‘अनुमति’ क्यों लेनी होगी और पुलिस की निगरानी के बगैर किसी गांव का दौरा करना क्यों सुरक्षित नहीं है.

नीलोत्पल दास के एक दोस्त ने द सिटिज़न को बताया, “ वह एक प्रकृति – प्रेमी और संगीतज्ञ था. वह बहुत ही नेक व्यक्ति था. उसके ऐसे अंत पर मुझे अभी तक यकीन नहीं हो पा रहा. उसके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था.”

मीडिया को दिए एक भावुक साक्षात्कार में नीलोत्पल दास के पिता ने कहा, “आज समाज से मेरा एक ही सवाल है. अपनी अंतरात्मा का इस्तेमाल किये बगैर हम कैसे किसी को इस कदर बर्बर तरीके से मार सकते हैं? मुझे इसका जवाब अभीतक नहीं मिला है. जिन लोगों ने मेरे बेटे को मारा है, उनके अपने बच्चे भी जरुर होंगे. उन्हें कैसा महसूस होगा जब बिना किसी कसूर के उनके बच्चों को घर से निकलते ही इसी तरह मार दिया जाये?”