कश्मीर के विभिन्न इलाकों, खासकर राजधानी श्रीनगर, से ‘रहस्यमय’ परिस्थिति में किशोरियों के लगातार लापता होने की घटनाओं ने लोगों ने भारी नाराजगी पैदा कर दी है. जम्मू - कश्मीर पुलिस इन मामलों में कोई उल्लेखनीय सफलता हासिल करने में अबतक नाकाम रही है.

एक ताज़ा घटना में, श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित नौगाम मोहल्ले से एक 19 – वर्षीया किशोरी, ऐशा यासीन, गायब हो गयी है. उस किशोरी के परिजनों के मुताबिक वो 17 जुलाई से लापता है और उसके चाचा ने “रहस्यमय परिस्थिति में गायब” होने का एक मामला पिछले गुरुवार को दर्ज कराया है.

लापता किशोरी के पिता, मोहम्मद यासीन, ने बताया, “वो बाज़ार जाने की बात कहकर घर से निकली थी. जब वो नहीं लौटी, तो हमें चिंता होने लगी और हमने अपने सभी रिश्तेदारों से पूछा. लेकिन कुछ भी पता नहीं चला. सामाजिक बदनामी के डर से हमने इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताया. जब रात भी बीत गयी, तो हमने पुलिस को सूचित किया.”

ऐशा इस महीने लापता होने वाली एकमात्र लड़की नहीं है. पुलिस के आकंड़ों के मुताबिक, जुलाई में अकेले श्रीनगर से ही कम – से – कम पांच लड़कियांद रहस्यमय तरीके से लापता हुई हैं. घाटी के अन्य हिस्सों से भी ऐसे मामले आने की खबरें हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पिछले तीन महीनों में एक दर्जन से अधिक महिलाओं के गायब होने के मामले दर्ज हुए हैं और इनमें से अधिकांश किशोर उम्र की लड़कियां हैं.

पिछले 6 जुलाई से लापता लड़की, ताल्या रसूल, की मां नाज़ीरा अख्तर ने बताया, “मेरी बेटी स्कूल गयी थी लेकिन जब वो नहीं लौटी, तो हमने पुलिस को सूचित किया और एक शिकायत दर्ज करा दी. दो सप्ताह बीत चुके हैं और उसका कोई पता नहीं है. यहां तक कि पुलिस भी उसे खोज पाने में नाकाम है.”

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस साल पुलिस को प्राप्त लड़कियों के लापता होने के मामलों में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे उसमें किसी संगठित अपराधी गिरोह का हाथ होने का पता चले. उस अधिकारी ने कहा, “मिसाल के लिए, जुलाई में हमारे संज्ञान में लाये गये तमाम मामलों में से एक लापता लड़की श्रीनगर के निचले इलाकों में रहती है और उसका शहर के ऊपरी मोहल्ले, बरज़ुल्ला, में रहने वाले किसी के साथ भी उसका कोई वर्चुअल संपर्क नहीं है. इससे कमोवेश किसी संगठित गिरोह की संलिप्तता की संभावना ख़ारिज होती है.”

उस अधिकारी ने इस साल मार्च में मिली एक उल्लेखनीय सफलता को रेखांकित किया जिसमें जम्मू क्षेत्र से लापता दो लड़कियों को पुलिस द्वारा बरामद कर लिया गया था और उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया था. उन्होंने बताया, “इन दोनों मामलों में, उनके लापता होने के पीछे कोई ‘गिरोह’ नहीं था. दरअसल, इनमें से एक लड़की तो अपने रिश्तेदार के घर पर मिली.”

एक सर्वेक्षण के मुताबिक, गुमशुदा होने वाले अधिकांश लोग गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराने के 24 घंटों के भीतर ही बरामद कर लिए जाते हैं. गायब होने वाले 20 लोगों में से एक गुमशुदा होने के एक सप्ताह बाद भी लापता रहता है. हालांकि, कश्मीर की लड़कियों के संदर्भ में ये आंकड़े शायद सही नहीं बैठे.

खोजबीन करने पर लोगों के लापता होने के पीछे कई कारण सामने आते हैं. मसलन अपराध, पारिवारिक कलह, किसी के साथ भाग जाना आदि. हालांकि,कश्मीर के संदर्भ में, लापता होने की इस गुत्थी को अगर समय रहते नहीं सुलझाया गया तो यह पहले से ही बिगड़े हालात को और अधिक बदतर बना सकता है.

कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक एस पी पनी ने कहा, “हमारे अबतक के तहकीकात में किसी संगठित गिरोह की संलिप्तता का कोई संकेत नहीं मिला है. हम अपना काम पूरी तत्परता से कर रहे हैं. मैं सभी पीड़ित परिवारों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनके प्रियजनों को उनसे मिलाने में पुलिस बल की ओर से कोई कसर बाकी नहीं रखा जायेगा.”