‘दहशतगर्दी के ताज़ा उभार’ का केंद्र बने दक्षिणी कश्मीर के एक गांव में शुक्रवार की रात को सेना के जवानों ने कथित रूप से दर्ज़नों घरों में तोड़फोड़ मचाई, महिलाओं समेत कई लोगों को पीटा और लाखों रूपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.

खबरों के मुताबिक, सेना के जवानों ने रात में करीब आठ बजे दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के भान गांव के इर्द – गिर्द घेरा डाला. उन्होंने एक स्थानीय मस्जिद के लाउडस्पीकर के जरिए गांववालों से उस दिन हुई पत्थरबाजी में कथित रूप से शामिल युवकों को सौंपने को कहा.

भान गांव के निवासी हबीबुल्लाह डार ने फ़ोन पर बताया, “इस उद्घोषणा के बाद पूरे में गांव में चुप्पी छा गयी. गांववालों की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर सेना के जवान नाराज हो गये और उन्होंने कहर ढाहना शुरू कर दिया. वे घरों में घुस आये और महिलाओं समेत घरों में रहने वाले अन्य लोगों को मारना – पीटना चालू कर दिया. लगभग हर घर की खिड़कियां तोड़ दी गई और यहां तक कि रसोई के उपकरणों को भी नहीं बख्शा गया.”

पूरे गांव में कोहराम मच गया जब लोगों ने अपने पड़ोसियों की चीख – पुकार सुनीं. स्थानीय लोगों ने सेना के जवानों पर कई दुकानों में लूटपाट करने का भी आरोप लगाया. श्री डार ने कहा, “चार दर्ज़न से अधिक निजी मोटरगाड़ियों, ट्रैक्टरों और माल ढुलाई करने वाले वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया.” उन्होंने आगे जोड़ा कि लगभग आधी रात तक उधम मचाने के बाद सेना के जवान लौट गये.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि घेरा उठाने से पहले फैसल बशीर, फसिल नज़ीर और मुनीब अहमद शेख़ नाम के तीन युवकों की पहचान की गयी और उन्हें सेना द्वारा हिरासत में लिया गया. ये तीनों युवक भान गांव के निवासी हैं.

शनिवार की सुबह स्थानीय प्रशासन के हरकत में आने के बाद समूचा गांव गुस्से से खौल उठा. स्थानीय निवासियों ने बताया कि नायब – तहसीलदार ने गांव का दौरा किया और नुकसान की भरपाई का वादा किया.

श्री डार ने कहा, “उन्होंने कुछ वायदे किये और चले गये. लेकिन कुछ भी होने वाला नहीं है.”

यह पहला मौका नहीं है जब सरकारी सुरक्षा बलों ने दहशतगर्दों और पत्थरबाजों का, खासकर दक्षिण कश्मीर के इलाकों में, पीछा करते हुए इस किस्म का कहर बरपाया जिसमें दहशतगर्दों या उसके समर्थकों और आम नागरिकों के बीच कोई फ़र्क नहीं रहा.

बीते दिनों में शोपियां समेत कश्मीर के विभिन्न इलाकों से इस किस्म की घटनाएं सामने आयीं हैं जिसमें सेना पर दहशतगर्दों के परिजनों एवं रिश्तेदारों के बागानों को उजाड़ देने का आरोप लगाया गया.

इसी साल की शुरुआत में दक्षिण कश्मीर में हुई एक घटना में सुरक्षा बलों ने खेत से काटकर लाये हुए धान के ढेर में आग लगा दी जब गांव वालों ने आतंकवाद विरोधी अभियान में लगे सुरक्षा बलों के जवानों पर पत्थरबाजी करके मुठभेड़ में घिरे दहशतगर्दों को भाग निकलने में मदद की.

नाम न जाहिर करने की शर्त एक अन्य गांववासी ने बताया, “पिछले तीन सालों से हमलोग ये सब झेल रहे हैं. हमें दहशतगर्दों की तरफदारी और उनके उद्देश्यों का समर्थन करने की सजा दी जा रही है. लेकिन ऐसी चालों से हमारा इरादा और मजबूत ही होता है.”

इस बारे में जम्मू – कश्मीर पुलिस के शीर्ष अधिकारियों और श्रीनगर स्थित रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की प्रतिक्रिया नहीं हासिल हो सकी. सेना के एक प्रवक्ता ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा, “हम तोड़फोड़ और लोगों को पीटने की किसी भी घटना में शामिल नहीं थे. ये सभी आरोप आधारहीन हैं.”