जम्मू – कश्मीर पुलिस द्वारा श्रीनगर के एक पत्रकार की गिरफ्तारी से मीडिया समूहों में जबरदस्त आक्रोश है. मीडिया समूहों ने इस कार्रवाई को “पत्रकारों को परेशान करने की कवायद” करार दिया है. पुलिस ने उक्त पत्रकार को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सुरक्षा बलों पर पिछले महीने हुए हमले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है.

“कश्मीर नैरेटर” नाम की पत्रिका में सहायक संपादक के रूप के रूप में कार्यरत आसिफ सुल्तान को 27 अगस्त की रात को पुलिस द्वारा उनके बटमालू स्थित आवास पर छापेमारी के बाद हिरासत में लिया गया. आसिफ के पिता मोहम्मद सुल्तान डार ने बताया, “ वे आसिफ के लैपटॉप और सेलफोन के अलावा उसकी कुछ किताबें और दस्तावेज अपने साथ ले गये हैं. उसे पिछले छह दिनों से अवैध रूप से हिरासत में रखा गया.”

हालांकि, जम्मू – कश्मीर पुलिस द्वारा जारी एक बयान में बताया गया कि आसिफ को शनिवार को गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद एक स्थानीय कोर्ट ने उसे सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. बयान में कहा गया, “आरोपी से शुरुआती पूछताछ के दौरान इस मामले में हुए खुलासे के आधार पर कई जगहों पर ली गयी तलाशी में बरामद संदिग्ध सामग्रियों को जब्त कर लिया गया है. इससे आतंकवाद की विभिन्न घटनाओं में शामिल जाने – पहचाने आतंकवादियों के साथ उसकी (आसिफ की) निकटता भी साबित होती है.”

आसिफ की गिरफ्तारी से कमिटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) में भारी नाराजगी है. इन दोनों संगठनों ने पुलिस की इस कार्रवाई को “उस पर मुखबिर बनने के लिए दबाव डालने” वाला एक कदम बताया.

सीपीजे के एशिया प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर स्टीवन बटलर ने अपने एक बयान में कहा, “पुलिस को आसिफ सुल्तान को तत्काल जेल से रिहा करना चाहिए और उसपर स्त्रोतों का खुलासा करने या मुखबिर बनने के लिए दबाव डालने के प्रयासों से बाज आना चाहिए.” उन्होंने आगे जोड़ा, “आतंकवादी गतिविधियों के बारे में रिपोर्टिंग करके सुल्तान कोई अपराध नहीं कर रहा था, बल्कि एक जरुरी सार्वजानिक दायित्व निभा रहा था.”

कश्मीर में आतंकवाद पर विस्तार से लिखने वाले और हाल में अपनी पत्रिका के लिए बुरहान वानी पर आवरण कथा लिखने वाले आसिफ के खिलाफ लगाये गये आरोपों का उसके परिजनों तथा कार्यालय ने जोरदार खंडन किया है. इस बीच, उसके तत्काल रिहाई की मांग तेज हो गयी है.

“कश्मीर नैरेटर” के संपादक शौकत मोट्टा ने कहा, “उसके खिलाफ लगाये गये तमाम आरोप निराधार और बिल्कुल झूठे हैं. वे (पुलिस) आतंकवाद से जुड़ी हमारी खबरों और रिपोर्टिंग से खुश नहीं हैं. यह विशुद्ध रूप से तंग करने की कार्रवाई के अलावा और कुछ नहीं है. उन्होंने उससे कहा था कि चूंकि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति है, लिहाजा उसे एक मुखबिर के तौर पर पुलिस के लिए काम करना चाहिए.” श्रीनगर स्थित कश्मीर वर्किंग जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (केडब्लूजेए) और कश्मीर जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (केजेए) ने भी आसिफ की गिरफ्तारी घोर निंदा की है. इन दोनों संगठनों ने पुलिस की “अवैध हिरासत” से उसकी तत्काल रिहाई की मांग की.

एक बयान में इन संगठनों ने कहा, “सुरक्षा बल कश्मीर की मीडिया को नियंत्रित करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं और मीडिया संस्थानों एवं पत्रकारों को तंग करना उनका एक नियमित काम बन गया है.

लेकिन हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि पत्रकार बिरादरी पूरी ताकत से ऐसे प्रयासों का विरोध करेगी. हम सरकार और पुलिस प्रमुख से यह पूछना चाहते हैं कि आखिर किस कानून और नियम के तहत आसिफ को पिछले छह दिनों से हिरासत में रखा गया है.”