आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक उथल – पुथल शुरू हो गया है. पीपुल्स पार्टी ऑफ़ अरुणाचल (पीपीए) के दो विधायक वापस कांग्रेस में शामिल हो गये. विधायकों के दलबदल से राज्य के इस एकमात्र क्षेत्रीय दल का राजनीतिक वजूद गौण हो गया.

इस साल जुलाई में, पीपीए के कुल नौ विधायकों में सात ने मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) का दामन थाम लिया था. बचे दो विधायकों के साथ राज्य में इस विपक्षी दल की ताकत खासी कमजोर हो गयी. उधर, एनपीपी तीन राज्यों – मणिपुर, मेघालय और नागालैंड – में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सत्ता में भागीदारी कर रही है.

बीते 19 सितम्बर को, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं पीपीए विधायक दल के नेता तकम परिओ अपने साथी विधायक मर्कियो ताड़ो के साथ कांग्रेस में वापस लौट गये. ताड़ो ताली क्षेत्र से चुने गये थे. दोनों विधायक 2014 के चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर जीते थे.

उनके दल बदलने के कदम को विधानसभा अध्यक्ष ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्यों की (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियमावली, 1987 के नियम - 4 के तहत मान्यता प्रदान कर दिया.

हालांकि, पीपीए को यह कदम नागवार गुजरा.

पीपीए के महासचिव, कलिंग जेरंग, ने कहा कि न तो उन्हें और न ही उनकी पार्टी को इस घटनाक्रम जानकारी थी. उन्होंने इसे ‘दगाबाजी’ करार दिया.

उन्होंने कहा, “हमें इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली, और काफी दिनों से परिओ मेरे साथ संवाद में नहीं थे.”

जेरंग ने कहा कि अन्य विधायक बिना किसी सूचना के पार्टी छोड़कर जा सकते हैं, लेकिन पार्टी को “विपक्ष के नेता एवं अपने विधायक दल के नेता से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा नहीं थी”.

उन्होंने परिओ पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं भूतपूर्व सांसद तकम संजोय के साथ साठगांठ का आरोप भी लगाया. तकम संजोय रिश्ते में परिओ के भाई भी हैं.

उन्होंने कहा, “यह दर्शाता है कि दोनों के बीच एक अघोषित समझौता था. यह दगाबाजी है.”

इस घटनाक्रम पर परिओ की प्रतिक्रिया जानने के लिए उनसे संपर्क नहीं हो सका.

इस बारे में तकम संजोय ने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने यह जरुर कहा कि उनकी पार्टी और पीपीए मीडिया से बात करेंगे.

उधर, जेरंग ने कहा कि अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर पीपीए के भविष्य के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. अगले कुछ सप्ताह में राज्य में राजनीतिक दिशा निर्धारित होगी.

इससे पहले, राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस साल मई में कहा था कि भाजपा किसी अन्य दल के साथ चुनाव – पूर्व गठबंधन नहीं करेगी. हालांकि, भाजपा के नेतृत्ववाले नार्थ – ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायन्स (नेडा) में एनपीपी एक साझीदार है.

दूसरी ओर, एनपीपी ने अगस्त में कहा था कि वह “समान विचार वाले दलों” के साथ चुनाव – पूर्व गठबंधन के लिए तैयार है.