संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेस के भारत दौरे पर आने से पहले हुर्रियत कांफ्रेंस ने एक पत्र के माध्यम से उनसे घाटी में “दमन के अभियान” पर रोक लगवाने की अपील की है. हुर्रियत ने उनसे कहा कि वे “कश्मीर समस्या के समाधान” के लिए नयी दिल्ली पर इस्लामाबाद के साथ बातचीत करने के लिए दबाव बनायें.

“संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व” (ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप), जिसमें सईद अली शाह गिलानी, मीरवाईज़ उमर फारूक और यासीन मलिक शामिल हैं, ने एक खत के जरिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव से अनुरोध किया है कि वे इस बात की हिमायत करें कि “नयी दिल्ली कश्मीर में हमारे साथ और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, जिसके साथ भारत के रिश्ते दिनोंदिन ख़राब होते जा रहे हैं, के साथ बातचीत करे”.

खत में आगे कहा गया, “जम्मू-कश्मीर, भारत और पाकिस्तान के बीच एक क्षेत्रीय विवाद नहीं है. यह मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर राज्य के लोगों के अधिकार का सवाल है. हमें आत्म – निर्णय का अधिकार है. वार्ता के लिए तैयार होने से पहले, नयी दिल्ली हमसे यह अधिकार छुड़वाना चाहेगी.”

कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए खत में आगे लिखा गया, “भारत द्वारा वार्ता से इनकार करने के कारण न सिर्फ कश्मीर, बल्कि संपूर्ण दक्षिण एशियाई क्षेत्र को अकल्पनीय नुकसान हो रहा है.”

कश्मीर के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा “लगातार ध्यान नहीं दिए जाने” पर अफ़सोस जताते हुए हुर्रियत ने कहा, “इस मसले पर भारत को चेतावनी नहीं मिलने से सिर्फ भारतीय सुरक्षा बलों को ही मजबूती मिल रही है और उसे कानून से बचने का मौका मिल रहा है. नतीजतन, आम कश्मीरी नागरिकों की दिक्कतें बढ़ रहीं हैं. उन्हें रोजाना मनमानी गिरफ्तारियों, यातना और हत्या का शिकार होना पड़ रहा है.”

सुरक्षा बलों द्वारा “दमन का अभियान” और कश्मीर में “युद्ध जैसी स्थिति” का हवाला देते हुए उस खत में यह भी लिखा गया कि 16 हजार से ज्यादा लोग रबर की गोलियों से गंभीर रूप से घायल हुए हैं. “सैकड़ों लोग हमेशा के लिए अंधे हो गये. रोशनी खोने वालों में 14 प्रतिशत की उम्र 15 साल से कम है.”

इस वर्ष कश्मीर के विभिन्न इलाकों में सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में सैकड़ों लोग मारे गये और बुरी तरह घायल हुए हैं. मारे जाने की ज्यादातर घटनाएं तब हुईं जब स्थानीय लोगों ने सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में फंसे आतंकवादियों को बचाने की कोशिश की.

हुर्रियत की यह चिट्ठी संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा “अति व्यस्तता” की वजह से कश्मीर आने मेंअसमर्थता जताये जाने के एक दिन बाद सामने आई. संयुक्त राष्ट्र महासचिव को कश्मीर आने का न्योता कश्मीर सेंटर फॉर सोशल एंड डेवलपमेंट स्टडीज (केसीएसडीएस), जो क्षेत्र के राजनीतिक एवं आर्थिक महत्व के मुद्दों पर काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था है, ने दिया था.

न्योते के जवाब में केसीएसडीएस को भेजे गये पत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कार्यालय ने लिखा, “संयुक्त राष्ट्र महासचिव आपके निमंत्रण का सम्मान करते हैं. लेकिन दौरे के पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों एवं अति व्यस्तताओं की वजह से आपका निमंत्रण स्वीकार करने में असमर्थ रहने का उन्हें बेहद अफ़सोस है. उनकी ओर से हम आपके प्रति आभार एवं शुभकामना व्यक्त करते हैं.”