कश्मीर में आतंकवादियों के साथ सरकारी सुरक्षा बलों की एक मुठभेड़ को कवर रहे कम – से – कम 10 पत्रकारों के साथ सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा घटनास्थल के निकट धक्कामुक्की की गयी. राजधानी श्रीनगर में हुए उस मुठभेड़ में एक आम नागरिक, जिसे पुलिस ने “आतंकवादियों का जमीनी कार्यकर्ता” करार दिया, मारा गया. गोलीबारी में दो आतंकवादी और एक पुलिसकर्मी भी मारे गये.

आधिकारिक सूत्रों एवं स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों ने द सिटिज़न को बताया कि श्रीनगर के बाहरी इलाके में फतेह कदल मोहल्ले में आतंकवादियों के मौजूद होने की सूचना मिलने के बाद जम्मू – कश्मीर पुलिस, सेना और अर्द्धसैनिक बलों की एक संयुक्त टीम ने इलाके की घेराबंदी की.

श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, इम्तियाज पर्रे, ने संवाददाताओं को बतया, “एक रिहाइशी इलाके के एक मकान में छुपे आतंकवादियों की एक टोली द्वारा की गयी गोलीबारी का करारा जवाब दिया गया. गोलीबारी में तीन आतंकवादी मारे गये. एक पुलिसकर्मी को भी अपनी जान गंवानी पड़ी.”

माना जा रहा है कि उक्त मुठभेड़ में लश्कर-ए-तोइबा के एक शीर्ष कमांडर मेहराजुद्दीन बंगरू एवं उसके सहयोगी फैज को मार गिराया गया है. इस आशय की सूचना से राजधानी श्रीनगर में माहौल तनावपूर्ण हो गया. हालांकि, पुलिस ने अभी तक आधिकारिक तौर पर आतंकवादियों की पहचान नहीं की है.

स्थानीय मीडिया में आयी खबरों में मारे गये एक “आतंकवादी” की पहचान रईस हबीबुल्लाह नाम के आम नागरिक रूप में की गयी है. उसे उस मकान के मालिक का बेटा बताया जा रहा है, जहां आतंकवादी छुपे हुए थे. एक अन्य खबर में, पुलिस सूत्रों के हवाले से, उसे आतंकवादियों का जमीनी कार्यकर्ता बताया गया.

इस बात का तत्काल पता नहीं चल सका है कि मारे गये उस “आम नागरिक” का कोई आपराधिक इतिहास था या नहीं. इस बारे में प्रतिक्रिया देने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इम्तियाज पर्रे उपलब्ध नहीं हो सके.

मुठभेड़ के तत्काल बाद, प्रशासन द्वारा राजधानी श्रीनगर में मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गयी है, जबकि शैक्षिक संस्थानों को बंद रखने के आदेश जारी किये गये है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए इस किस्म के एतिहाती कदम उठाये गये हैं.

मुठभेड़ को कवर करने गये पत्रकारों के एक समूह के साथ सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा धक्कामुक्की करने और उन्हें अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने से रोकने की खबर है. धक्कामुक्की के शिकार एक पत्रकार ने बदले की कार्रवाई के डर से नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमें डराकर दूर भगाने के लिए पुलिस एवं सीआरपीएफ के जवानों ने हवा में गोलियां तक चलायीं.”

राज्य में नगर निगम चुनावों के खत्म होने के बस एक दिन बाद श्रीनगर के बाहरी इलाके में यह मुठभेड़ हुआ. गौरतलब है कि नगर निगम चुनावों में लोगों की बेहद कम भागीदारी रही. जहां जम्मू क्षेत्र के लोगों ने मतदान में बढ़ – चढ़कर हिस्सा लिया, वहीँ घाटी में हुर्रियत के बहिष्कार के आह्वान और आतंकवादियों के हमले की आशंका की वजह से मतदाताओं ने मतदान – केन्द्रों से दूरी बनाये रखी.

वर्ष 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर में खासकर आतंकवादियों के साथ सुरक्षा बलों के मुठभेड़ के दौरान आम नागरिकों के मारे जाने की घटनाओं में खासा इजाफा हुआ है. बुरहान वानी वाली घटना के समय घाटी में जबरदस्त जनाक्रोश भड़का था.

मानवाधिकारों से जुड़ी संस्था, जेकेसीसीएस, की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल कुल 108 आम नागरिक मारे गये थे. इनमें से 14 नाबालिग थे. कश्मीर में इस साल के पहले आठ महीनों में कम से कम 70 आम नागरिक मारे गये. इनमें से अधिकांश सुरक्षा बलों द्वारा मारे गये. हालांकि, कुछ आम नागरिकों की मौत का तोहमत आतंकवादी समूहों के सिर पर भी है.