सशस्त्र आतंकवादियों द्वारा वृहस्पतिवार को पांच गांवालों को मार गिराये जाने के बाद से समूचे असम में तनाव पैदा हो गया है. विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 के खिलाफ चल रहे राज्यव्यापी आंदोलन के बीच पांच बंगलाभाषी हिन्दुओं की हत्या से राज्य में और अधिक विकट समस्या उत्पन्न होने की आशंका है.

मारे गये सभी लोग बंगाली हिन्दू थे और उनकी पहचान श्यामलाल बिस्वास, अविनाश बिस्वास, अनंत बिस्वास, धनंजय नामशुद्र और सुबल दास के रूप में की गयी है.

आतंकवादियों के हमले में बाल – बाल बचे सहदेव नामशुद्र ने बताया कि खेरबारी गांव में, जोकि ब्रह्मपुत्र नदी पर बने ढोला – सदिया पुल से 6 किलोमीटर की दूरी पर है, रात आठ बजे मोटरसाइकिल सवार आतंकवादियों ने गांवालों के एक समूह को निकट के एक स्थान तक अपने पीछे आने के लिए कहा था.

भय से कांपते सहदेव नामशुद्र ने संवाददाताओं को बताया, “हमें उनके (आतंकवादियों के) पीछे आने के लिए कहा गया. वे हमारे पास आये और कहा कि उन्हें कुछ बात करनी है. कुछ ही मिनट पैदल चलने के बाद उन्होंने हमें कतार बनाकर बैठ जाने को कहा और गोलीबारी शुरू कर दी. चारों तरफ अंधेरा और धुंध था. मैं लड़खड़ाकर गिर पड़ा और कुछ मिनटों तक शिथिल पड़ा रहा. उन्होंने सोचा कि मैं मर चुका हूं. उनके चले जाने के बाद मैं वहां से भागा.”

पुलिस को संदेह है कि इस कार्रवाई के पीछे उल्फा (स्वतंत्र) का हाथ है. लेकिन परेश बरुआ के नेतृत्व वाले इस प्रतिबंधित संगठन ने शुक्रवार की सुबह इस हत्याकांड में अपनी संलग्नता से इन्कार किया है. घटना की तफ्तीश करने वाले एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “आतंकवादियों के हाथों पांच गांव वाले मारे गये. छह आतंकवादी दो मोटरसाइकिल पर सवार होकर आये थे.”

घटना के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस एवं प्रशासन पर उन्हें सुरक्षा देने में असफल रहने का आरोप लगाया.

सुबिमल बिस्वास नाम के एक स्थानीय निवासी ने द सिटिज़न को बताया, “हम यहां वर्षों से रह रहे हैं. हम गरीब लोग हैं. हमें राजनीति के बारे में कुछ नहीं पता. हम यह नहीं समझ पा रहे कि हमें मारकर इन हत्यारों को क्या हासिल होगा. पुलिस और प्रशासन को अवश्य जिम्मेदारी लेनी होगी. अब हम डरे हुए हैं.”

केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस घटना की निंदा की और इस बात के लिए आश्वस्त किया कि दोषियों को दंडित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जायेंगे.

इससे पहले, परेश बरुआ ने गुवाहाटी में कुछ सप्ताह पहले हुए एक कम शक्तिशाली बम धमाके की जिम्मेदारी लेते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 के समर्थकों को निशाना बनाने का दावा किया था.

यह विवादास्पद विधेयक पिछले कुछ समय से राज्य में बहस और चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके तहत 31 दिसम्बर 2014 तक पड़ोसी देशों से आये गैर – मुसलमान आप्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.

राज्य के विभिन्न संगठन इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. उनका तर्क है कि इस विधेयक के पारित होने पर हजारों हिन्दू आप्रवासियों को राज्य में जगह देनी पड़ेगी.