भाजपा समर्थित श्रीनगर के महापौर के साथ सार्वजानिक रूप से बहस में उलझने के बाद आईपीएस अफसर बसंत रथ को हटाकर उनकी जगह एक ‘दागी’ अफसर को राज्य ट्रैफिक पुलिस विभाग के मुखिया के तौर पर लाये जाने से कश्मीर घाटी में हंगामा मच गया है.

वर्ष 2000 बैच के ‘दबंग’ आईपीएस अफसर के रूप में मशहूर श्री रथ को ताकतवर लोगों से भिड़ने और ट्रैफिक प्रबंधन के अनोखे तरीके अपनाने के लिए कश्मीर के आम लोगों का जबरदस्त समर्थन मिला था. उन्हें अब ‘कम महत्वपूर्ण’ माने जाने वाले होमगार्ड विभाग में भेज दिया गया है.

सोशल मीडिया में सक्रिय लोगों ने अचानक हुए इस तबादले को श्रीनगर के नवनिर्वाचित महापौर जुनैद मट्टू के साथ हाल में हुई उनकी वर्चुअल तकरार से जोड़ा.

सरकार द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया, “आलोक कुमार, आईपीएस (जेके – 1997), आईजीपी सुरक्षा का स्थानांतरण एवं पदस्थापना आईजीपी ट्रैफिक, जम्मू – कश्मीर के पद पर बसंत कुमार रथ के स्थान पर किया जाता है. बसंत कुमार रथ, आईपीएस (जेके – 2000), आईजीपी ट्रैफिक, जम्मू – कश्मीर का स्थानांतरण कर उन्हें अगले आदेश तक होमगार्डस/ सिविल डिफेंस / एसडीआरएफ के कमांडेंट के कार्यालय से संबद्ध किया जाता है.”

बसंत रथ और जुनैद मट्टू के बीच ट्विटर पर तीखी बहस हुई थी. यह बहस पर्यावरण की दृष्टि से नाजुक श्रीनगर शहर में आर्द्रभूमि (वेटलैंड) के महत्व को कम करके आंकने वाली श्री मट्टू की टिप्पणियों को लेकर हुई थी. गौरतलब है कि श्रीनगर में आयी 2014 के विनाशकारी बाढ़ के बाद अनियंत्रित निर्माण और भूमि माफिया की हरकतों ने एक गंभीर खतरा पैदा किया है.

आर्द्रभूमि (वेटलैंड) के महत्व को रेखांकित करते हुए, श्री रथ ने ट्विटर पर लिखा था कि केवल "कोई बंदगोभी ही ऐसा सोचेगा”. श्री जुनैद, जो पीपुल्स कांफ्रेंस और भाजपा के समर्थन से श्रीनगर के महापौर चुने गए हैं, को यह टिप्पणी नागवार गुजरी. अपनी आलोचना को खारिज करते हुए उन्होंने उक्त आईपीएस अधिकारी को "अस्वस्थ" बताया.

वर्चुअल तकरार के बाद सोशल मीडिया पर इस किस्म के कयास लगने शुरू हो गये कि इस आईपीएस अधिकारी को श्री मट्टू, जिन्होंने महापौर केचुनाव के दिन श्रीनगर में भाजपा नेता राम माधव के साथ फोटो खिंचवाया था, के मर्म को छूने की कीमत चुकानी पड़ेगी.

हालांकि, राज्यपाल प्रशासन द्वारा इस आशय का औपचारिक आदेश जारी होने के बाद एक “ईमानदार, सहज और मेहनती” अफसर को दरकिनार करके उनकी जगह आलोक कुमार, जिनका एक दागी अतीत है, को लाने की तीखी आलोचना शुरू हो गयी.

जम्मू – कश्मीर कैडर के 1997 बैच के अफसर, श्री कुमार को सारण प्रक्षेत्र के उप – महानिरीक्षक पद पर तैनाती के दौरान एक शराब व्यावसायी से कथित रूप से 10 करोड़ रूपए की रंगदारी की मांगने के आरोप में बिहार सरकार द्वारा निलंबित किया गया था.

इस बीच, कई लोगों ने सोशल मीडिया में श्री रथ के साथ एकजुटता प्रदर्शित की. अश्विन कुमार ने फेसबुक पर लिखा, “आपका तबादला इस वजह से किया जा रहा है क्योंकि आपने कश्मीर में लोगों से प्यार और सम्मान पाया है. आप सत्ता - प्रतिष्ठान के लिए बहुत डरावने हैं दोस्त. आम लोगों के बीच आपकी लोकप्रियता से निपट पाने की कूवत उनमें नहीं है.”

जम्मू निवासी श्री कुमार ने अपनी पोस्ट में लिखा, “यह पहला मौका है जब मैं किसी गैर – कश्मीरी पुलिस वाले के लिए कश्मीर के लोगों का इस कदर समर्थन देख रहा हूं. आपको गर्व महसूस करना चाहिए. आगे आप जहां कहीं भी जायेंगे, लोगों का समर्थन आपके साथ होगा.”

ब्रिटेन में बसे एक कश्मीरी, महबूब मखदूमी, ने फेसबुक पर लिखा, “कश्मीरी लोग पुलिस के खिलाफ नहीं हैं. इस अहम विभाग के बिना दुनिया अराजक हो जायेगी. अगर पुलिसवाले सिर्फ विधि – व्यवस्था संभालने का अपना असली काम करें और दिल्ली की दमनकारी नीतियों को मदद देने के लिए अपने रास्ते से अलग नहीं हटें, तो लोग उन्हें प्यार करेंगे. आम लोगों के साथ दोस्ताना रवैया रखने वाले अधिकारियों का हमेशा सम्मान किया जायेगा.”