जम्मू – कश्मीर के भूतपूर्व वित्त मंत्री हसीब द्रबू के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से निकलने के बाद से यह कयास जोरों पर है कि यह प्रख्यात अर्थशास्त्री शायद पीपुल्स कांफ्रेंस के मुखिया सज्जाद लोन के नेतृत्व वाले ‘तीसरा मोर्चा’ में शामिल होगा.

सूत्रों के मुताबिक, पीडीपी से निकलने के बाद श्री द्रबू से सज्जाद लोन ने बातचीत की है. पीडीपी – भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री रहे श्री लोन पीडीपी के कम – से – कम चार विधायकों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहे हैं. इनमें जम्मू – कश्मीर के खेल मंत्री इमरान अंसारी और उनके चाचा आबिद अंसारी शामिल हैं. इस उभरते राजनीतिक समीकरण को “उत्तरी गठबंधन (नार्दर्न एलायंस)” का नाम दिया जा रहा है.

पीडीपी अध्यक्ष को कल भेजे गये इस्तीफे के अलावा श्री द्रबू ने पार्टी छोड़ने के बारे में और कोई बात नहीं की है. लेकिन घाटी में इस बात की अटकलें जोरों पर है कि वे शायद “तीसरे मोर्चे” में शामिल हो सकते हैं या इस सीमवर्ती राज्य, जिसने पिछले तीन सालों में कई उठापटक देखा है, की अगली सरकार में कम – से – कम हिस्सा ले सकते हैं.

नाम न छापने शर्त पर श्री द्रबू के एक सहयोगी ने द सिटिज़न को बताया, “श्री द्रबू का श्री लोन के साथ हाथ मिलाने की संभावना कम है. वे (श्री द्रबू ) अपने मंत्रीमंडलीय सहयोगियों के भ्रष्टाचार में बाधक थे, जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी. यो तो सज्जाद उनके मित्र हैं, लेकिन जहां तक उनकी राजनीति का सवाल है, उनदोनों में कुछ भी एक जैसा नहीं है.”

पूर्व मंत्री पिछले दो सालों से पार्टी की गतिविधियों से दूर थे और हाल में उन्होंने पीडीपी की सबसे शक्तिशाली निकाय, राजनीतिक मामलों की समिति, का सदस्य बनने से इंकार कर दिया था. महबूबा मुफ़्ती को कल भेजे गये अपने इस्तीफा – पत्र में उन्होंने लिखा, “(पीडीपी – भाजपा गठबंधन सरकार की) इस संक्षिप्त अवधि में इसके सिद्धांतों से लेकर प्रतिज्ञाओं एवं प्रतिभाओं तक में मुझे राजनीति का पूरा स्वाद मिला !”

उन्होंने आगे जोड़ा कि मुफ़्ती मोहम्मद सईद उन्हें राजनीति में लेकर आये थे और उनसे उन्हें से काफी कुछ सीखने को मिला, जो यह मानते थे कि “राजनीति बदमाशों की आखिरी शरणस्थली नहीं है !”.

इन दिनों अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए बुरी तरह जूझ रही महबूबा के लिए द्रबू का पार्टी छोड़ना एक और बड़ा झटका है. पिछले सप्ताह, पार्टी के सह – संस्थापक एवं वरिष्ठ नेता मुज़फ्फर हुसैन बेग, जिन्हें अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में महबूबा ने किनारे कर रखा था, ने भी “तीसरे मोर्चे” में शामिल होने का शामिल होने का संकेत दिया.

“उत्तरी गठबंधन (नार्दर्न एलायंस)” का उभार नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए चिंता का सबब बन गया है क्योंकि दोनों पार्टियों के कई नेता सज्जाद लोन के पिता अब्दुल गनी लोन के साथ काम कर चुके हैं. कश्मीर में दहशतगर्दी के उभार के पहले के समय में अब्दुल गनी लोन की पार्टी विधानसभा चुनावों में शिरकत किया करती थी.

भाजपा के समर्थन से उत्साहित सज्जाद लोन, जिनकी पार्टी 87 – सदस्यीय विधानसभा में दो सीटों पर काबिज थी, को इस बात की उम्मीद है कि वे नेशनल कांफ्रेंस एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कई और नेताओं को अपने पाले में लाकर एक मजबूत गठबंधन बनाने में कामयाब होंगे, जो अगले विधानसभा चुनाव में सत्ता का एक प्रबल दावेदार होगा.