मात्र छह महीने से भी कम समय में किशोरचन्द्र वान्गखेम को तीन बार जेल भेजा गया. उनका गुनाह? विभिन्न मुद्दों पर सोशल मीडिया में अपने विचार रखना और वैसे विचार रखना जिसे कथित रूप से राज्य द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ माना जाता है.

मणिपुर के इस पत्रकार को पहली बार अगस्त में कथित रूप से सोशल मीडिया में भाजपा के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी के लिए गिरफ्तार किया गया था. आल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के हस्तक्षेप के बाद मणिपुर के इनफार्मेशन सर्विस टेलीविज़न नेटवर्क (आईएसटीवी) से जुड़े इस टीवी पत्रकार को रिहा किया गया. यूनियन के सदस्य उनकी रिहाई के लिए मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से मिले थे.

दूसरी बार उन्हें फेसबुक पर मुख्यमंत्री की आलोचना करते हुए चार वीडियो पोस्ट करने पर 20 नवम्बर को गिरफ्तार किया गया था. उनकी आलोचना झांसी की रानी की जयंती समारोह में मुख्यमंत्री द्वारा भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में रानी के योगदानों की सराहना करने वाले बयान को लेकर थी.

अंग्रेजी भाषा वाले अपने वीडियो में श्री वान्गखेम ने मुख्यमंत्री से यह सवाल पूछा था कि क्या “झांसी की रानी ने मणिपुर के उत्थान में कोई भूमिका निभायी थी?”. उन्होंने आगे बढ़कर यह तक कहा कि उनके समय में तो मणिपुर भारत का अंग भी नहीं था.

अपने वीडियो में श्री वान्गखेम ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री महोदय को यह याद दिलाना चाहूंगा कि रानी का मणिपुर से कोई लेनादेना नहीं था. अगर आप उनकी जयंती मना रहे हैं, तो ऐसा आप केंद्र के निर्देश पर कर रहे हैं.”

श्री वान्गखेम ने मुख्यमंत्री श्री सिंह से पूछा कि क्या उन्हें मणिपुर की राष्ट्रीयता का भान है. उन्होंने मुख्मंत्री को एक “कठपुतली” की तरह व्यवहार न करने को कहा.

मुख्यमंत्री को “हिंदुत्व की कठपुतली” करार देते हुए उन्होंने आगे कहा, “मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ दगाबाजी और उन्हें अपमानित मत कीजिए. मणिपुर के वर्तमान स्वतंत्रता संघर्ष का अपमान मत कीजिए.” उन्होंने मुख्यमंत्री को उन्हें गिरफ्तार करने की चुनौती दी.

उन्होंने मुख्यमंत्री श्री सिंह को “केंद्र बैठे एक चाय वाले के रिमोट से संचालित होने वाला एक कठपुतली” भी बताया.

श्री वान्गखेम की उपरोक्त टिप्पणियां प्रशासन को रास नहीं आयीं और उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

पश्चिमी इम्फाल जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश पर श्री वान्गखेम को 26 नवम्बर को रिहा किया गया. अपने आदेश में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने कहा कि “आरोपी द्वारा इस्तेमाल किये गये शब्दों, पदावलियों एवं संकेतों और जिन सन्दर्भों उनका इस्तेमाल हुआ और उनकी द्वारा की गयी टिप्पणियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 124 – A के तहत देशद्रोही नहीं ठहराया जा सकता.”

उस आदेश में यह भी कहा गया कि श्री वान्गखेम की हरकत “ महज सार्वजानिक जीवन में सक्रिय एक व्यक्ति के सार्वजानिक आचरण के खिलाफ सड़क छाप भाषा में अभिव्यक्त की गयी राय मात्र थी”.

लेकिन रिहा होने के महज 24 घंटे के भीतर ही श्री वान्गखेम को तीसरी बार गिरफ्तार कर लिया गया और सजीवा सेंट्रल जेल भेज दिया दया.

उनकी तिबारा गिरफ्तारी की परिस्थितियों एवं कारणों के बारे में कुछ शुरुआती उलझनों के बाद पश्चिमी इम्फाल के जिला मजिस्ट्रेट ने एक आदेश जारी कर श्री वान्गखेम को “राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धारा 8 के तहत गिरफतार करने के आधारों” को स्पष्ट किया.

उक्त आदेश में कहा गया कि “अश्लील शब्दों के इस्तेमाल के जरिए देश के प्रधानमंत्री एवं मणिपुर के मुख्यमंत्री की मानहानि करने” और “वर्तमान में मणिपुर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के पक्ष में बोलने और काम करने और इस प्रकार अपनी देशद्रोही प्रवृति और गैरकानूनी संगठनों के प्रति अपना झुकाव दर्शाने” के लिए उस पत्रकार को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया.

उसके बाद से श्री वान्गखेम फिलहाल जेल में बंद हैं.

अगस्त में पहली बार गिरफ्तार होने पर उन्हें अपने पत्रकार साथियों का मुखर समर्थन मिला था. लेकिन इस बार वे अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं.

अगस्त वाली घटना के उलट इस बार आल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन में इस मसले पर एक किस्म का विभाजन दिखाई दे रहा है.

आल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष ब्रोज़ेन्द्र निन्गोम्बा ने एक बयान जारी कर कहा कि वान्गखेम ने यूनियन के उस संकल्प की अवहेलना की है जिसमें कहा गया था कि यूनियन के सभी सदस्य व्यक्तिगत हैसियत से सोशल मीडिया पर अपलोड किये गये अपनी उन सभी गतिविधियों की जिम्मेदारी खुद लेंगे जिसका ताल्लुक उनके पेशे से नहीं है.

श्री निन्गोम्बा के बयान में आगे कहा गया कि “राज्य के सही सोच एवं सूझबूझ रखने वाले पत्रकारों की सर्वोच्च संस्था होने के नाते आल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन किसी आपराधिक मानसिकता एवं अस्थिर चित वाले किसी ऐसे व्यक्ति के साथ खड़ा नहीं होगा जो असभ्य तरीके से नशे की हालत में धुत होकर हरकत या बात करे”.

गौरतलब है कि आल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष जिस समाचार चैनल के संपादक हैं, श्री वान्गखेम उसी चैनल से जुड़े थे.

उधर, वान्गखेम मामले को तवज्जो नहीं देने वाले इंफाल के अखबारों के बारे में राज्य के विभिन्न वर्ग के लोगों की भौंहे तनी हुई हैं.

इंफाल के बहुत कम अखबारों ने इस मसले पर सरकार के रवैये की आलोचना की है. इसका एकमात्र अपवाद इंफाल फ्री प्रेस रहा, जिसने न सिर्फ राज्य सरकार बल्कि पत्रकार समुदाय के रवैये की भी जमकर आलोचना की है.

राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री एक पूर्व पत्रकार हैं, जिन्होंने हाल ही में चुनावी राजनीति में प्रवेश किया है. इंफाल के विभिन्न सूत्रों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री श्री सिंह के इंफाल में काम करने वाले अधिकांश वरिष्ठ पत्रकारों से अच्छा परिचय है और उन्हें इन अच्छे संबंधों का फायदा मिलता है.