मिज़ो नेशनल फ्रंट के मुखिया और मिज़ोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा और नेशनल पीपुल्स पार्टी के मुखिया और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा मंगलवार को गुवाहाटी में हुई 11- पार्टियों की उस बैठक में शामिल हुए, जिसमें नागरिकता संशोधन विधेयक के संयुक्त विरोध को और तेज करने का एलान किया गया.

इस बैठक में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) ने भी हिस्सा लिया.

मिज़ो नेशनल फ्रंट के मुखिया और मिज़ोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने बताया, “हम सभी इस बैठक में एकजुट थे और हमलोगों ने नागरिकता संशोधन विधेयक की आलोचना करते हुए इसका विरोध जारी रखने का एक कड़ा प्रस्ताव पारित किया. अगर यह विधेयक पारित होकर अमल में आता है, तो यह हमलोगों के लिए बेहद खतरनाक और नुकसानदायक साबित होगा. इसलिए, हमें विधेयक के खिलाफ एक कड़ा कदम उठाना होगा. हमलोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलेंगे. हम समान विचारों वाले राजनीतिक दलों से भी संपर्क करेंगे ताकि इसका साझा विरोध किया जा सके.”

गुवाहाटी की इस बैठक में मिज़ो नेशनल फ्रंट, नेशनल पीपुल्स पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) के अलावा यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, असम गण परिषद, नगा पीपुल्स फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और इन्डीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा के प्रतिनिधि शामिल हुए.

बैठक में शामिल पूर्वोत्तर क्षेत्र के छह क्षेत्रीय दल भाजपा के नेतृत्व में बने गैर – कांग्रेसी गठबंधन, नार्थ – ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायन्स, के घटक हैं. असम गण परिषद ने हाल में इस गठबंधन से अपना नाता तोड़ा.

गुवाहाटी की बैठक को आहूत करने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी के मुखिया और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा, “यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और किसी भी तरह से राजनीति से प्रेरित नहीं है. हम शिद्दत से यह महसूस करते हैं कि हमें एक स्वर से इस विधेयक का विरोध करना चाहिए. यही लोगों की भावनाओं की एकजुटता है.”

उन्होंने आगे कहा, “पूर्वोत्तर क्षेत्र के नेता होने के नाते यहां के लोगों के हितों की रक्षा हमारा दायित्व है. इसी भावना ने हमें आज प्रेरित किया है. यह एक व्यवस्थित बैठक भले ही न हो, लेकिन स्वाभाविक जरुर है.”

लोकसभा से पारित हो चुके इस नागरिकता संशोधन विधेयक में 31 दिसम्बर 2014 की आधी रात के पहले तक भारत आने वाले हिन्दू, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी आप्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.

इस विधेयक का असम एवं अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में पुरजोर विरोध किया जा रहा है. सिर्फ असम के बराक घाटी के कुछ हिस्सों में इसका समर्थन देखने को मिल रहा है.