अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है. शहर में लगातार पांचवें दिन भी लोगों का विरोध प्रदर्शन और सरकारी कर्फ्यू जारी रहा. और इंटरनेट की सेवाएं भी स्थगित रहीं.

संयुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति (जेएचपीसी) एवं उसकी सिफारिशों के खिलाफ राज्यभर में 21 फरवरी से शुरू हुए विरोध का और अधिक तीखा होना जारी है. समिति द्वारा स्थानीय न माने जाने वाले छह समुदायों को स्थायी निवास प्रमाण – पत्र जारी करने की सिफारिश से राज्य के स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी है और वे इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं.

सरकारी कार्यालयों, आधारभूत संरचनाओं एवं व्यावसायिक केन्द्रों को नुकसान के अलावा इस उग्र विरोध के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में तीन लोगों की मौत हो गयी और कई अन्य लोग घायल हो गये.

शुक्रवार को सुरक्षा बलों की गोली से 22 वर्षीय युवक रिस्सो तारी की मौत हो गयी.

काफी विलंब के बाद, रविवार को तारी को इंदिरा गांधी पार्क में दफनाया गया.

मुख्यमंत्री के निजी आवास के निकट रविवार को हुई झड़पों में बिकी रुजा और त्सेरिंग वांग्डी नाम के दो अन्य युवाओं की गोली लगने से मौत हो गयी.

रविवार की सुबह, प्रदर्शनकारियों ने उप – मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में तोड़फोड़ मचाई और आगजनी की.

ईटानगर में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और परिवहन के साधनों के सड़क से गायब रहने की वजह से लोगों को पैदल चलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का भी बंद रहना जारी है.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को कैबिनेट की एक बैठक में राजधानी में सुरक्षा की स्थिति का जायजा लिया.

पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. लेकिन राज्य सरकार द्वारा उन गैर – स्थानीय समुदायों को स्थायी निवास प्रमाण – पत्र जारी करने के निर्णय को वापस लिए जाने के बावजूद कानून – व्यवस्था की समस्या जारी है.

मुख्यमंत्री ने कहा, “इस मामले ने अब एक दूसरा रंग ले लिया है.” उन्होंने आगे जोड़ा, “स्थायी निवास – पत्र का मुद्दा अब और नहीं, हमने इस मुद्दे को दफना दिया है.”

उन्होंने बताया कि इस घटना के पीछे दूसरे अन्य तत्व सक्रिय हैं और इसका पता लगाने के लिए आयुक्त – स्तर की एक जांच की जायेगी.

श्री खांडू ने यह भी सूचित किया कि प्रत्येक मृतक के आश्रितों को 20 लाख रूपए और गंभीर रूप से घायल प्रत्येक व्यक्ति को 10 लाख रूपए दिये जायेंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शन “बहुत ही सुनियोजित तरीके से किये गये हैं” और जांच से “उस व्यक्ति” का पता चल जायेगा जिसने इन प्रदर्शनों को हवा दी.

श्री खांडू ने कहा कि जांच पूरी हो जाने के बाद “उस व्यक्ति” के बारे में खुलासा किया जायेगा.

सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक भी बुलायी गयी थी, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने अपना प्रतिनिधि नहीं भेजा.

कांग्रेस और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने पहले ही मीडिया को बता दिया था कि वे इस किस्म की बैठक में तभी शामिल होंगे जब वे राज्यपाल द्वारा बुलाये जायें.

राज्य मंत्रीमंडल ने विभिन्न जनजातीय समूहों से भी मुलाकात की और उनसे शांति बहाल करने में सहयोग मांगा.

अरुणाचल इंडिजेनस ट्राइब्स फोरम, जो राज्य के प्रमुख जनजातीय संगठनों का एक समूह है, ने भी शांति और गोलीबारी की उच्चस्तरीय जांच की जरुरत पर बल दिया है.

श्री खांडू ने, हालांकि, खुफिया तंत्र की असफलता की बात नहीं स्वीकार की. उन्होंने कहा कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पहले कभी इतनी ख़राब नहीं हुई कि अतिरिक्त सैन्य बल की जरुरत पड़े.

विवाद के घेरे में आये छह समुदाय की ओर से राजधानी में हुए विरोध प्रदर्शनों एवं हिंसा की संभावित जवाबी प्रतिक्रिया को थामने के लिए राज्य के उप – मुख्यमंत्री शीघ्र ही उन समुदायों के प्रतिनिधियों से मिलने वाले हैं.

कांग्रेस पार्टी ने केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री खांडू, उप - मुख्यमंत्री चोवना मीन एवं केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू को बर्खास्त करने की मांग है.

श्री सिंह को लिखे गये पत्र में सीधे तौर पर भले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग नहीं की गयी है, लेकिन उसमें यह जरुर कहा गया है कि राज्य सरकार “शासन करने का नैतिक अधिकार खो चुकी है”.

उसमें यह भी कहा गया है कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान या अवकाश न्यायधीश से करायी जाये.