जम्मू – कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में मंगलवार की अहले सुबह शीर्ष कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के घरों में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के अधिकारियों द्वारा छापेमारी किये जाने के बाद प्रदर्शनकारियों एवं सुरक्षा बलों के बीच तीखी झड़पें हुईं.

सूचनाओं और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जम्मू – कश्मीर पुलिस के साथ एनआईए की टीम ने श्रीनगर के निगीन मोहल्ले में स्थित उदारवादी हुर्रियत नेता मीरवाईज़ उमर फारूक के आवास पर छापा मारा.

नाम न छापने की शर्त पर मीरवाईज़ के एक सहयोगी ने बताया, “स्थानीय पुलिस के साथ सादी वर्दी में चार से छह लोग आये. उन्होंने वारंट दिखाया और तलाशी शुरू कर दी, जोकि अभी भी जारी है.”

उन्होंने बताया कि छापेमारी से पहले पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों द्वारा पूरे इलाके की घेराबंदी की गयी. मीरवाईज़ के आवास पर तलाशी चल ही रही थी कि एनआईए की एक दूसरी टीम मैसूमा इलाके में स्थित जेकेएलएफ के मुखिया यासीन मलिक के आवास पर पहुंची.

जेकेएलएफ के सूत्रों ने बतया, “उस इलाके को चार्रों ओर से घेर लिया गया और यहां तक कि स्थानीय मीडिया को भी जेकेएलएफ के मुखिया के आवास पर जाने से रोका गया.” इस संगठन के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा कि “बड़ी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ एनआईए ने श्री मलिक के आवास को सुबह साढ़े सात बजे घेर लिया.”

जल्द ही, श्री मलिक के आवास के निकट दर्जनों प्रदर्शनकारी इकठ्ठा हो गये और सुरक्षा बलों के साथ उलझने लगे. प्रदर्शनकारियों एवं सुरक्षा बलों के बीच काफी समय तक झड़पें जारी रहीं.

जेकेएलएफ के मुखिया के आवासीय परिसर की तलाशी तब भी ली गयी जबकि उन्हें शनिवार से ही कोठीबाग पुलिस थाने में बंद रखा गया है.

एक अन्य छापेमारी हुर्रियत के वरिष्ठ नेता सैयद अली गिलानी के छोटे बेटे नसीम गीलानी के आवास पर भी हुई. वे कश्मीर के एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर हैं.

खबरों के मुताबिक, जेल में बंद हुर्रियत नेता शाबिर अहमद शाह के सनत नगर इलाके में स्थित आवास पर भी छापेमारी की गयी. हालांकि, इसकी तत्काल पुष्टि नहीं हो सकी.

एनआईए की ओर भी अबतक शीर्ष हुर्रियत नेताओं के यहां की गयी छापेमारी के बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया है. ये छापेमारी ऐसी समय में हुई हैं जब सरकार ने वैलेंटाइन दिवस (14 फरवरी) को हुए हमले के बाद से अलगाववादियों एवं उनके समर्थकों के खिलाफ जोरदार अभियान छेड़ा हुआ है.

आत्मघाती हमले में चार दर्जन से अधिक अर्द्धसैनिक बल के जवानों के मारे जाने और दर्जनों अन्य के घायल होने के बाद से राज्य सरकार ने जमात – ए – इस्लामी के खिलाफ व्यापक गिरफ़्तारी अभियान शुरू किया हुआ है. जमात के तकरीबन 200 शीर्ष नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को जेल भेजा जा चुका है.