कांगेस पार्टी द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव में जम्मू – कश्मीर के अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से अपने प्रदेश अध्यक्ष जी. ए. मीर को उतारने के ऐलान के साथ ही राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ़्ती की संभावनाएं कमजोर पड़ी हैं.

दक्षिण कश्मीर के इस संवेदनशील संसदीय क्षेत्र में श्री मीर की सीधी टक्कर महबूबा मुफ़्ती के साथ – साथ नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी से होगी. सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर चार जिलों – शोपियां, पुलवामा, अनंतनाग एवं कुलगाम – में फैले इस संसदीय क्षेत्र में तीन चरणों में चुनाव कराये जायेंगे.

श्री मीर ने द सिटिज़न को बताया, “हमें जम्मू – कश्मीर में कम – से – कम चार सीटें जीतने की उम्मीद है. यह (लोकसभा चुनाव) फ़ासिस्ट एवं धर्मनिरपेक्ष शक्तियों के बीच मुकाबला है. और मुझे विश्वास है कि जम्मू – कश्मीर के धर्मनिरपेक्ष ताने – बाने को नुकसान पहुंचाने वाले ताकतों को शिकस्त देने के लिए लोग भारी संख्या में मतदान करेंगे.”

वर्ष 2014 के आम चुनावों में अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से महबूबा मुफ़्ती विजयी हुई थीं. लेकिन वर्ष 2016 में अपने पिता, मुफ़्ती मोहम्मद सईद, के इंतकाल के बाद राज्य की राजनीति में लौटने को मजबूर पीडीपी की मुखिया ने इस सीट को खाली कर दिया. सुरक्षा की चिंताओं के मद्देनजर चुनाव आयोग द्वारा अनंतनाग संसदीय क्षेत्र का उप – चुनाव तीन बार टाला गया.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी द्वारा अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से अपने उम्मीदवार के नाम के ऐलान में की जा रही देरी को देखते हुए पीडीपी अपनी मुखिया के लिए इस चुनाव को “आसान” मानकर चल रही थी.

श्री मीर, जिनके पास दक्षिण कश्मीर में एक अच्छा – खासा वोट – बैंक है, दो मर्तबा दूरू विधानसभा सीट से जीत चुके हैं. हालांकि, उन्हें पीडीपी के सईद फारूक अंद्राबी के हाथो महज 200 वोटों के मामूली अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था.

पीडीपी – भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री रहे और महबूबा के रिश्तेदार श्री अंद्राबी को वर्ष 2014 के राज्य के विधानसभा चुनाव में जहां 18,150 वोट हासिल हुए थे, वहीँ श्री मीर को 17,985 मत मिले थे.

श्रीनगर के प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक प्रो. नूर बाबा का कहना है, “अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से श्री मीर के उतरने से नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच त्रिकोणीय संघर्ष होगा. दक्षिण कश्मीर में कांग्रेस के पास अच्छा – खासा वोट बैंक होने की वजह से अब महबूबा के लिए लड़ाई कतई ‘आसान’ नहीं रही.”

अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में कुल 16 विधानसभा सीटें हैं. पिछले चुनावों में इनमें से दो सीटें – शंगुस और देवसर – कांग्रेस ने जीती थी. हालांकि तीन अन्य सीटों पर पार्टी की मामूली अंतर से हार हुई थी. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में दक्षिण कश्मीर की अधिकांश सीटें पीडीपी के खाते में गयी थी.

प्रो. बाबा ने कहा, “हथियारबंद लोगों एवं जमात के खिलाफ हुई कार्रवाई की वजह से पीडीपी की छवि पर असर पड़ा है और आगामी संसदीय चुनावों में पार्टी के लिए अपना वोट बैंक बचाना मुश्किल होगा.”