अशांत दक्षिण कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती के काफिले पर एक गुस्साई भीड़ ने हमला कर दिया. इस हमले में जम्मू – कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री तो सुरक्षित बच निकलीं, लेकिन उनकी सुरक्षा में चल रहा एक वाहन क्षतिग्रस्त हो गया.

सूत्रों के मुताबिक, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के बिजबेहरा शहर में एक रैली को संबोधित करने वाली थी.

पुलिस सूत्रों ने बताया, “खिराम दरगाह पर इबादत के बाद वो बिजबेहरा में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने जा रही थी, जब एक गुस्साई भीड़ ने उनके काफिले पर पत्थरों से हमला बोल दिया.”

उन्होंने बताया कि यह हमला इतना अचानक और तेजी से हुआ कि पीडीपी की मुखिया के साथ चल रहे सुरक्षा बलों के जवानों को जवाबी कार्रवाई करने का मौका भी नहीं मिला. सूत्रों ने बताया, “इस क्रम में एक सुरक्षा वाहन भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया.”

हालांकि, इस हमले में पीडीपी की मुखिया सुरक्षित निकल आयीं. इस घटना के बाद समूचे इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सूचना मिलते ही फ़ौरन भारी संख्या में सुरक्षा बलों को घटनास्थल की ओर रवाना कर दिया गया. सुरक्षा बलों ने महबूबा मुफ़्ती को सुरक्षित निकलने का उपाय निकाला.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमलावरों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान जारी है. हालांकि, अब तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है.”

यह पहला मौका था जब एक समय पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ रहे अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में इस किस्म की घटना हुई. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में पीडीपी को इस इलाके की कुल 16 विधानसभा सीटों में से 11 पर जीत हासिल हुई थी.

अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के तहत अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां जिले के इलाके शामिल हैं. कानून – व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर चुनाव आयोग ने इन इलाकों में तीन चरणों में – 23 अप्रैल, 29 अप्रैल और 6 मई को – मतदान कराने के एलान किया है.

इस महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र से महबूबा मुफ़्ती, जिनके नेतृत्व में राज्य में बनी गठबंधन सरकार को भाजपा ने 2018 में गिरा दिया था, दोबारा मैदान में हैं. वर्ष 2016 में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद यह क्षेत्र “उग्रवाद के नये युग” का केंद्र बन गया.

वर्ष 2014 के चुनावों में अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से महबूबा मुफ़्ती विजयी हुई थीं. हालांकि, वर्ष 2016 में अपने पिता, मुफ़्ती मोहम्मद सईद, की मृत्यु के बाद उन्हें राज्य की राजनीति में लौटने को मजबूर होना पड़ा और यह संसदीय सीट खाली करनी पड़ी. चुनाव आयोग को सुरक्षा संबंधी समस्याओं के मद्देनजर अनंतनाग सीट पर उप – चुनाव को दो बार टालना पड़ा.

इस सीट पर पीडीपी की मुखिया का मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार और जम्मू – कश्मीर उच्च न्यायलय के पूर्व न्यायाधीश हसनैन मसूदी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी. ए. मीर और घाटी में भाजपा के मुस्लिम चेहरे और राज्य विधान परिषद के सदस्य सोफी यूसुफ़ से है.

बारामूला संसदीय क्षेत्र, जहां 11 अप्रैल को मतदान हुए, और श्रीनगर संसदीय क्षेत्र, जहां आगामी 18 अप्रैल को मतदान होने वाले हैं, के मुकाबले अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में आतंकवादी हमलों की आशंका के बीच राजनीतिक गतिविधियां अपेक्षाकृत धीमी और शांत रहीं.