लोकसभा चुनावों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में हुई वोटिंग के दौरान अपेक्षाकृत अधिक मतदान के साथ - साथ हिंसा की घटनाएं भी देखी गयीं.

चुनाव के दूसरे चरण में, 18 अप्रैल को असम की पांच एवं मणिपुर की एक संसदीय सीटों के लिए वोट डाले गये.

असम में जहां मतदान शांतिपूर्ण रहा, वहीँ मणिपुर में कम – से – कम दो मतदान केन्द्रों पर हिंसा हुई जिसमें कथित रूप से सुरक्षाकर्मियों द्वारा गोलियां चलायी गयीं.

मणिपुर में, इनर मणिपुर संसदीय सीट के लिए वोट डाले गये. एक सूत्र ने बताया कि इंफाल ईस्ट जिले के कियाम्गेई मुस्लिम साउथ – ए के कियाम्गेई उच्च मदरसा स्थित मतदान केंद्र पर सुबह 11.30 बजे कुछ अज्ञात लोगों द्वारा मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी पर ‘दुर्व्यवहार’ का आरोप लगाते हुए मतदान में बाधा डाला गया.

उस घटना से जुड़े एक कथित वीडियो में कई लोगों को उक्त मतदान केंद्र पर हमला करते और इवीएम एवं वीवीपैट मशीन समेत मतदान केंद्र में लगे विभिन्न उपकरणों को तोड़फोड़ करते हुए दिखाया गया है.

हमलावरों द्वारा की गयी पत्थरबाजी में पीठासीन अधिकारी एल. लवली सिंह और माइक्रो आब्जर्वर पी. गुनाचंद्र के घायल होने की ख़बर है.

मतदान केंद्र पर तैनात सुरक्षाकर्मियों द्वारा लाठीचार्ज के अलावा गोलियां चलाये जाने की भी ख़बर है.

मणिपुर के मुख्य चुनाव अधिकारी पी. के. सिंह ने बताया कि शोरगुल तब शुरू हुआ जब “कुछ शरारती तत्वों ने दूसरों के नाम पर मत डालने का प्रयास किया”.

श्री सिंह द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि “मतदान पार्टी द्वारा विरोध किये जाने और इस किस्म की अवैध हरकत करने की अनुमति नहीं दिए जाने पर” उपद्रव की शुरुआत “शरारती तत्वों” की ओर से की गयी. उन्होंने यह भी सूचित किया कि “हिंसा पर उतारू भीड़ को तितर – बितर करने के लिए केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के जवानों द्वारा हवा में गोलियां चलायी गयीं.”

घटना के दौरान हमलावरों द्वारा कुछ पत्रकारों के साथ हाथापाई किये जाने की भी ख़बरें हैं.

एक अन्य घटना में, उरुप मुस्लिम मतदान केंद्र पर कुछ मतदान अभिकर्ताओं एवं अज्ञात शरारती तत्वों द्वारा दोपहर बाद तीन बजे इवीएम मशीनों को क्षतिग्रस्त कर दिये जाने पर मतदान रोक देना पड़ा.

मणिपुर में, आउटर मणिपुर संसदीय क्षेत्र के लिए मतदान 11 अप्रैल को मतदान हुआ था. लेकिन 19 मतदान केन्द्रों पर 18 अप्रैल को दोबारा मतदान कराया गया.

अरुणाचल प्रदेश के उन 19 मतदान केन्द्रों, जहां कथित रूप से चुनावी हिंसा होने की खबरें है, पर भी दोबारा वोट डाले जायेंगे.

राज्य के पूर्वी हिस्से में म्यांमार से सटे उग्रवाद प्रभावित तिरप जिले में, पिछले 29 मार्च को एनएससीएन (आईएम) के एक संदिग्ध सदस्य द्वारा नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गयी.

लोंग्डिंग जिले में, 11 अप्रैल को मतदान के दिन एक पुलिस थाने में हुई एक झड़प के दौरान लोंग्डिंग – पुमाओ के विधायक और एनपीपी के उम्मीदवार थान्ग्वंग वान्घम पर हमला किया गया. ख़बर है कि मतदान केंद्र के निकट मौजूद एनएससीएन के एक गुट के कार्यकर्ताओं ने गोलियां चलायीं. वान्घम को उनके सुरक्षा अधिकारी सुरक्षित निकाल ले गये.

राज्य के अन्य जगहों पर भी अधिकारियों से हिंसा की विभिन्न घटनाओं की शिकायत की गयी. राज्य के गृहमंत्री कुमार वई ने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा के गुरूक पोर्दुंग एवं उनके समर्थकों पर मतदान के दिन उस समय उनकी हत्या का प्रयास करने का आरोप लगाया जब वो ईस्ट कमेंग जिला मुख्यालय सेप्पा से वापस लौट रहे थे.

नागालैंड में, चुनावी हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गयी. जुन्हेबोतो जिले में नगा पीपुल्स फ्रंट और एन. रियो के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट प्रोग्रेसिव पार्टी के समर्थकों के बीच हुई झड़प के दौरान यह हिंसा भड़की.

चुनाव के पहले चरण में, त्रिपुरा पश्चिम सीट हुए मतदान के दौरान हिंसा की कई घटनाओं की ख़बर है.

त्रिपुरा पूर्वी सीट पर 18 अप्रैल को होने वाले मतदान को चुनाव आयोग ने “विधि – व्यवस्था की स्थिति” के मद्देनजर टाल दिया. चुनाव आयोग ने यह कदम विशेष पुलिस पर्यवेक्षकों द्वारा दी गयी सूचना के आधार पर उठाया. इस सीट पर अब 23 अप्रैल को वोट डाले जायेंगे.

त्रिपुरा पुलिस ने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के एक कार्यकर्ता को भी हिरासत में लिया. उक्त कार्यकर्ता पर खोवाई जिले में कांग्रेस उम्मीदवार प्रज्ञा देव बर्मन के काफिले पर हमले का प्रयास करने का आरोप है.