पूर्वोत्तर क्षेत्र के एक और पत्रकार पर हमला हुआ. इस बार हमले की घटना असम के नलबारी जिले में हुई. गुरुवार की देर रात हुए एक हमले में सबसे पुराने असमिया अख़बार ‘दैनिक असोम’ के पत्रकार राजेन डेका बुरी तरह घायल हो गये. हमले के वक़्त वे गुवाहाटी से 56 किलोमीटर दूर मुकलमुआ स्थित अपने आवास लौट रहे थे.

उन्हें तत्काल एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से बाद में उन्हें गौहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया. उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों ने संवाददाताओं को बताया कि वे अब खतरे से बाहर हैं.

अड़तालीस वर्षीय श्री डेका के सिर में कई टांके लगे हैं. पुलिस के मुताबिक, डेका पर बांस की लाठियों से हमला किया गया.

स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि एक ख़बर को लेकर डेका की भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह के साथ बहस हुई थी.

नलबारी प्रेस क्लब के महासचिव मुजीबुर रहमान ने द सिटिज़न को बताया, “भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें सोशल मीडिया पर धमकी भी दी थी और उनके आवास पर भी आये थे. ऐसा नहीं है यह सिर्फ उन्हीं के साथ हुआ है, इस किस्म की घटना हमलोगों में से किसी के साथ भी होने का खतरा है.”

हालांकि, पुलिस का कहना है कि इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. अब तक इस संबंध में पुलिस ने किसी को भी पूछताछ के लिए नहीं पकड़ा है. असम के पत्रकार इस घटना के बाद दबाव में हैं और उन्होंने अपने विरोध को और तेज करने की योजना बनायी है.

नलबारी की पुलिस अधीक्षक अमनजीत कौर ने द सिटिज़न को बताया, “हमें कुछ सुराग मिले हैं और हम उनकी छानबीन कर रहे हैं. हमें सबसे पहले यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस हमले की तह में कोई निजी वजह है या फिर पेशेवर. फ़िलहाल हम इस घटना के बारे में लगाये गये आरोप या दावों की सच्चाई के बारे में कुछ नहीं कह सकते.” .

विभिन्न मीडिया संगठनों ने इस घटना के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन किया और दोषियों को कठोर सजा दिलाने की मांग की. हालांकि, दिल्ली के पत्रकार संगठनों की ओर से इस घटना को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. पूर्वोत्तर क्षेत्र के पत्रकारों की दुर्दशा को लेकर एक किस्म की चुप्पी है. जबकि इस क्षेत्र के पत्रकारों को लंबे समय से सरकार, राजनीतिक दलों, उग्रवादी संगठनों और माफियाओं की ओर से आने वाले दबावों का सामना करना पड़ रहा है.

शुक्रवार को नलबारी शहर में स्थानीय पत्रकारों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया. श्री रहमान ने कहा, “परिस्थितियां बेहद खतरनाक हो गयी हैं और हमने प्रेस की आजादी को लगभग खो दिया है. यदि ऐसी स्थिति आगे भी जारी रही, तो इस लोकतंत्र में मीडिया का कोई मतलब नहीं रह जायेगा. और यह भी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि घटना के 18 घंटे के बाद भी पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं कर पायी है. सभी पत्रकार खुद को बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.”

इस संबंध में अगले 24 घंटे के भीतर कोई कार्रवाई न होने की स्थिति में पत्रकारों ने सरकार से जुड़ी खबरों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

एक अन्य घटना में, तिनसुकिया जिले में एक स्थानीय टेलीविज़न चैनल से जुड़ी उपासना बरुआ गोस्वामी नाम की एक पत्रकार पर भी शरारती तत्वों द्वारा हमला किया गया. हमले के वक्त वह अपने परिवार के साथ एक रेस्टोरेंट में जा रही थी.

असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल ने इस घटना की निंदा की है और पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया को सख्त और त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

जर्नलिस्ट्स फोरम असम (जेएफए) ने राज्य के दो पत्रकारों पर अलग – अलग हुए हमलों पर गहरी चिन्ता जतायी है और अधिकारियों से दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की अपील की है.

जेएफए के अध्यक्ष रूपम बरुआ और महासचिव नवा ठाकुरिया ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, “हम देश भर में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक विशेष सुरक्षा कानून बनाने की अपनी पुरानी मांग को दोहराते हैं. हम मीडिया के साथियों से एकजुट होने और बेहतर पत्रकारिता करने की अपील करते हैं क्योंकि यही वक्त की मांग है.”