नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में 11 वर्षों से छात्र संघ पर ताला लगा हुआ है। 2006 से छात्र अपने छात्र संघ को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। परन्तु, जामिया प्रशासन इस बहाने चुनाव को टाल रहा है कि ‘ इस मामले में अभी दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला आना बाकी है।इसलिए कोर्ट के दिशा निर्देश के बिना कुछ करने से कोर्ट की मानहानि होगी’। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील संजय हेगड़े का मानना है कि जामिया में छात्र संघ का चुनाव कराने से न्यायालय का अपमान नहीं होगा।

जामिया में छात्र संघ के चुनाव कराए जा सकते है , इस बारे में वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने आठ पन्नों का एक विवरण लिखा है । इसकी एक कॉपी ‘द सिटीजन’ के पास है। इसमें उन्होंने साल 2012 में दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल किए गए हामिदुर रहमान बनाम जामिया मीलिय़ा इस्लामिया एवं अन्य के मुक़दमा का अध्ययन किया। उन्हें लगता है कि न्यायालय में यह मामला पड़ा हुआ है वह .जामिया में छात्र संघ का चुनाव कराने के रास्ते में रुकावट नहीं है।

वकील हेगड़े की कानूनी राय़ है कि “.अगर जामिया प्रशासन छात्र संघ का चुनाव कराए तो यह मानहानि नही होगी”।

उनहोंने यह भी साफतौर पर कहा है कि .“इस मुकदमे में चुनाव कराने के लिए अदालत के किसी निर्देश की जरूरत जामिया प्रशासन को नही है”।

उन्होने जामिया प्रशासन को एक सुझाव दिया है कि “(इसके बावजूद) सावधानी हेतु जामिया के पास हमेशा से यह विकल्प रहा है कि वह उच्च न्यायालय के सामने उसके आदेश व निर्देश के लिए एक आवेदन दाखिल कर सकता है जिसमे चुनाव की अनुसूची दी गई हो”।

सुप्रीम कोर्ट के वकील हेगड़े ने जामिया के छात्रों के एक अनुरोध पर इस मामले का अध्ययन कर अपनी कानूनी राय दी है। इसके बारे में जामिया में सक्रिय छात्र संगठन ‘आइसा’ के सदस्य अम्बर फातमी ने बताया कि पिछले दिनों छात्रों से एक मुलाकत के दौरान जामिया के कुलपति तलअत अहमद ने कहा था “अगर आप अपने वकील का कोई ऐसी कानूनी राय पेश करें जिससे यह साबित हो कि चुनाव कराने के फैसले से अदालत की मानहानी नहीं होगी तो वे चुनाव का ऐलान कर सकते हैं।

वकील संजय हेगड़े की कानूनी राय की एक प्रति छात्रों ने जामिया के डीन, स्टूडेंट्स वेलफेयर (डीएसडब्ल्यू) को दे दिया है।

अम्बर फातमी के मुताबिक 16 जनवरी को यूनिवर्सिटी खुलने के बाद इस मामले के लिए बनी पांच सदस्य की समिति इसका जवाब देगी।

जामिया की पीआरओ साइमा सईद भी इस समिति की एक सदस्य हैं। उन्होने कहा कि “हम वरिष्ठ वकगील संजय हेगड़े द्वारा दी गई कानूनी राय का अध्ययन करने के बाद उस पर कोई फैसला करेंगे”।