अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के निकट निर्जुली में न्यिकुम निया हॉल परिसर से लाउडस्पीकर पर संगीत की आती आवाज़ एक स्थानीय बाज़ार कल्याण समिति के स्थापना दिवस समारोह की मुनादी कर रही थी. वहीँ सड़क के उस पार, नार्थ ईस्ट रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनईआरआईएसटी) के गेट पर माहौल खासा गंभीर था.

इस प्रतिष्ठित साइंस इंस्टिट्यूट में छात्रों ने पिछले 27 फरवरी से तालाबंदी कर रखी है. उनकी मांग इंस्टिट्यूट में तत्काल एक पूर्णकालिक निदेशक बहाल करने की है. इंस्टिट्यूट में निदेशक का पद अक्टूबर 2014 से खाली पड़ा है. स्टूडेंट यूनियन ऑफ़ एनईआरआईएसटी ने 24 जनवरी को केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक महीने की नोटिस देते हुए इस पद को अविलम्ब भरने की मांग की. दिए गए समय – सीमा के बीत जाने के बाद छात्रों ने आंदोलन शुरू करते हुए संस्थान की कक्षाओं और कार्यालय के कार्य – कलापों को बंद करा दिया.

स्टूडेंट यूनियन ने 27 फरवरी को राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे संस्थान के मुख्य द्वार को बंद कर अपने आंदोलन की शुरूआत की. छात्रों का गुस्सा तब और बढ़ा जब केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनकी मांगों पर कोई तवज्जो नहीं दिखाई और न ही राज्य में एक नयी रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाने आये केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने इस बाबत कुछ कहा. छात्रों को यह महसूस हुआ कि उन्हें उनके अपने ही लोकसभा सांसद द्वारा अपमानित किया जा रहा है. लिहाज़ा आक्रोशित छात्रों ने रिजीजू और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर का पुतला फूंक डाला.

अपना पुतला फूंके जाने के बाद रिजीजू ने छात्रों की मांग के बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को लिखा. इस बीच, रिजीजू के एक तथाकथित बयान ने छात्रों और फैकल्टी मेम्बरों को खासा हतप्रभ किया. उक्त बयान में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि फैकल्टी मेम्बरों के अंदरूनी झगड़ों की वजह से संस्थान में एक पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति में देरी हो रही है.

स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष, बंता नातुंग, ने बताया कि छात्र यह बार – बार कह रहे हैं कि उन फैकल्टी मेम्बरों के नाम सार्वजनिक किये जायें जो अंदरूनी राजनीति में मशगूल हैं और जिनकी वजह से एक पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति में देरी हो रही है.

संस्थान के फैकल्टी मेम्बरों ने भी कहा कि वे ऐसे किसी भी अंदरूनी झगड़ों से नावाकिफ़ हैं. हालांकि, एनईआरआईएसटी के सूत्रों ने बताया कि एक प्रभारी – निदेशक के कार्यकाल में कई ऐसे फैकल्टी मेम्बरों की नियुक्ति की गयी जिन्हें निर्धारित विषय में विशेषज्ञता हासिल नहीं थी.

नातुंग ने बताया कि एक पूर्णकालिक निदेशक के नहीं रहने की वजह से खासा शैक्षिक नुकसान हो रहा है. पिछले चार वर्षों में पीएचडी के तकरीबन एक दर्जन छात्रों ने अपना शोध बीच में ही छोड़ दिया है. उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान के कई विभागों के प्रयोगशालाओं को उन्नत बनाने के लिए आवश्यक धनराशि के आवंटन में दिक्कतें आ रही है.

अंदरूनी झगड़े हो न हो, संस्थान में राजनीति पुरजोर हो रही है. नातुंग ने बताया कि मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के छात्रों इकाइयों ने निदेशक की नियुक्ति में देरी के लिए एक दूसरे पर दोषारोपण कर इस मामले का राजनीतिकरण कर दिया है.

एनईआरआईएसटी के सूत्रों ने बताया कि संस्थान का ज्यादा ध्यान शिक्षा से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं को बेहतर बनाने के बजाय गेस्टहाउस जैसी नयी इमारतों के निर्माण पर है. संस्थान में तीन गेस्टहाउस हैं.

इधर, सरकार और अधिकारियों के रेवैये से हताश संस्थान का एक छात्र, किपा ताचक, 1 मार्च को संस्थान के गेट पर भूख – हड़ताल पर बैठ गया. हड़ताल छोड़ने की अपील करने वाले अपने साथियों और फैकल्टी मेम्बरों से उसका एकमात्र सवाल है कि क्या उन्होंने निदेशक की नियुक्ति करवा लिया है?

ताचक के साथ भूख – हड़ताल में कई और छात्र जुड़ गए हैं और सरकार को अपनी आवाज़ सुनाने के लिए वे बारी – बारी से भूख – हड़ताल पर बैठ रहे हैं. नातुंग ने बताया कि निदेशक की नियुक्ति की अधिसूचना जारी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.