रायबरेली के ऊंचाहार में एनटीपीसी की छठवीं यूनिट में ब्‍वायलर फटने से हुए हादसे की हकीकत धीरे-धीरे खुल रही है। नेशनल हेराल्‍ड और बीबीसी पर इस संबंध में जो रिपोर्ट आई है, उन दोनों से एक बात साफ़ हो रही है कि इस यूनिट को औपचारिक रूप से शुरू करने का अधिकारियों पर काफी दबाव था क्‍योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने के लिए 9 नवंबर को आने वाले थे। इसी जल्‍दबाज़ी में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई और कथित तौर पर 32 लोगों की जान चली गई।

रायबरेली की यह यूनिट मोदी सरकार द्वारा मंजूर 500 मेगावाट की पहली यूनिट है। हेराल्‍ड एनटीपीसी के सूत्रों से पुष्टि कर रहा है कि पहले कंपनी ने प्रधानमंत्री को 7 नवंबर की तारीख उद्घाटन के लिए दी थी लेकिन गुजरात चुनाव की व्‍यस्‍तताओं के मद्देनज़र प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से 9 नवंबर की तारीख तय पायी गई।



बीबीसी पर समीर आत्‍मज मिश्र की कुल 11 मिनट की रिपोर्ट में स्‍थानीय लोगों के हवाले से कई चौंकाने वाली सूचनाएं सामने आई हैं।

  1. प्‍लांट का औपचारिक परिचालय शुरू होने और उस पर काम पूरा होने से पहले ही अधिकारियों से इसे खोल दिया था।
  2. ब्‍वायलर में काम करने वाले एक कर्मचारी के मुताबिक हादसे के वक्‍त कम से कम 500 लोग वहां मौजूद थे।
  3. कम से कम 100 लोगों की जान 1 नवंबर के हादसे में गई है।
  4. परिजनों के मुताबिक आसपास के गांवों के निवासी कई कर्मचारी हादसे के बाद से गायब हैं।
  5. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि हादसे के बाद वो लोग लोग प्लांट की ओर भागे, लेकिन घटनास्थल तक किसी को नहीं जाने दिया गया।
  6. प्रत्यक्षदर्शियों का सीधे तौर पर आरोप था कि एनटीपीसी के अधिकारियों ने ख़ुद को बचाने के लिए मृतकों को ढूंढ़ने की बजाय वहां जेसीबी मशीनों से समतलीकरण का काम शुरू कर दिया।
  7. घायल अधिकारियों का इलाज दिल्‍ली में हो रहा है जबकि घायल कर्मचारियों को इलाहाबाद और लखनऊ भेजा गया है।




नेशनल हेराल्‍ड की रिपोर्ट में ऐसे ही तथ्य गिनाए गए हैं। मजदूरों, यूनियनों और इंजीनियरों ने नाम न छापने की शर्त पर अख़बार को बताया:

  1. उन्‍हें बताया गया था कि छठवीं यूनिट का ट्रायल रन 31 अक्‍टूबर को बंद हो जाएगा और औपचारिक उद्घाटन के बाद 9 नवंबर को इसे दोबारा चालू किया जाएगा।
  2. यूनिट 1 नवंबर को क्‍यों चालू थी, इसका कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है।
  3. यूनिट ट्रायल रन पर थी लेकिन कहा जा रहा है कि तय समय से पहले ही इसमें वाणिज्यिक उत्‍पादन शुरू कर दिया गया था।
  4. संदेह जताया गया है कि वाणिज्यिक उत्‍पादन समय से पहले इसलिए शुरू किया गया ताकि केंद्र सरकार से सब्सिडी का दावा किया जा सके।
  5. एनटीपीसी के दावों से उलट यूनिट हादसे के वक्‍त ऑटो मोड पर काम नहीं कर रही थी। ऑटो मोड में चलने पर यूनिट में केवल तीन से चार लोगों की मौजूदगी की जरूरत होती है जबकि कर्मचारियों के मुताबिक उस वक्‍त वहां 500 के आसपास लोग मौजूद थे।
  6. हादसे के वक्‍त यूनिट में नेशनल हेराल्‍ड 200 से 300 कर्मचारियों की मौजूदगी बता रहा है जबकि बीबीसी पर स्‍थानीय लोग कम से कम 500 की बात कर रहे हैं। यह इस बात को साबित करता है कि उस वक्‍त यूनिट मैनुअल मोड पर चलाई जा रही थी।
  7. मजदूरों के मुताबिक उन्‍होंने प्रबंधन को ऐश पाइप की खराबी और उसके जाम होने के बारे में सूचना दी थी जिसे नजरंदाज कर दिया गया। बीबीसी पर ब्‍वायलर परिचालन के एक जानकार त्रिपाठी बताते हैं कि ऐश पाइप में राख जाम होने से ब्‍वायलर के भीतर भाप बनता गया जिसके चले वह फट गया।
  8. हेराल्‍ड के मुताबिक आरोप है कि ब्‍वायलर इंस्‍पेक्‍टर ने ब्‍वायलर का भौतिक मुआयना किए बगैर ही राज्‍य सरकार को प्रमाण पत्र सौंप दिया था।


बीबीसी पर स्‍थानीय लोग अधिकारियों की ‘प्रमोशन’ के लिए जल्‍दबाजी करने का आरोप लगा रहे हैं जबकि हेराल्‍ड कहता है कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘रिकॉर्ड’ टाइम में यूनिट चालू करने की महत्‍वाकांक्षा के चलते अधिकारियों पर जल्‍दबाजी का दबाव बना था। दोनों बातें परस्‍पर एक-दूसरे को पुष्‍ट करती हैं।

इन आरोपों के पीछे एक तथ्‍य हेराल्‍ड यह भी गिनवाता है कि पिछले साल एनटीपीसी के अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक गुरदीप सिंह की नियुक्ति में पब्लिक एंटरप्राइजेज सेलेक्‍शन बोर्ड के माध्‍यम से होने वाली नियुक्ति की प्रक्रिया को उपेक्षित कर के असामान्‍य तरीके से नियुक्ति की गई। सामान्‍य प्रक्रिया यह है कि सार्वजनिक उपक्रम के मुखिया की नियुक्ति के लिए पीएसईबी एक सर्च कम सेलेक्‍शन कमेटी बनाता है। गुरदीप सिंह के मामले में ऐसा नहीं किया गया। गुरदीप सिंह एनटीपीसी में आने से पहले गुजरात राज्‍य बिजली निगम के प्रबंध निदेशक थे।