नई दिल्लीः इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों छह दिवसीय भारत दौरे पर हैं। उनकी इस यात्रा के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों और कस्बों में भी विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ नेतन्याहू की इस यात्रा के विरुद्ध अब तक लगभग 1000 प्रदर्शन हो चुके हैं।

दिल्ली में इजराइली दूतावास के बाहर सीपीआई(एम) सहित कई अन्य वामदलों , छात्र संगठनों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा ‘युनाइटेड एगेंस्ट हेट’ के बैनर तले शाहजहां रोड पर एक जगह जमा होकर इज़राइली प्रधानमंत्री के भारत दौरे के खिलाफ़ प्रदर्शन किया और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ नारेबाजी की।

इस अवसर पर राज्य सभा सदस्य डी. राजा ने कहा, “गैर- अरब देशो में फिलिस्तीन की आज़ादी का समर्थन करने वाला भारत पहला देश था। लेकिन मोदी सरकार वहां के लोगों पर जुल्म करने वाले इज़राइल को अपना मित्र बना रही है और वहां के प्रधानमंत्री को यहां आमंत्रित किया है। हम यह कहना चाहेंगे कि भारत की जनता उनका स्वागत नहीं कर रही है।“

अतुल कुमार अनजान ने कहा कि भारत इज़राइली हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बन गया है। भारत सरकार ने इजराइल के साथ चालीस हज़ार करोड़ रूपए का सुरक्षा सौदा किया है और ये सारा पैसा इज़राइल फिलिस्तीनियों के उत्पीड़न में इस्तेमाल करेगा। उनहोंने याद दिलाते हुए कहा, “मोदी सरकार ने अरब देशों के दबाव में आकर जेरुशलम को इज़राइल की राजधानी बनाने के प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में अपना वोट डाला था।“

सीपीआइ (एम) के वरिष्ठ नेता प्रकाश करात ने कहा, ”भारतीय प्रधानमंत्री इजराइल की उपनिवेशवादी नीतियों का समर्थन करते हैं। जब वे इजराइल गए तो फिलिस्तीनी नेता महमूद अब्बास से नहीं मिले। जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपने इज़राइल दौरे पर महमूद अब्बास से मिले थे।“

इज़राइली दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने नहीं दिए जाने के बारे में ‘युनाइटेड एगेंस्ट हेट’ के प्रमुख सदस्य और

जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडे ने अपने फेसबुक पन्ने पर लिखा ““पुलिस हमें नेतन्याहु के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए घर से निकले नहीं दे रही है। क्या हम क़ातिलों और उपनिवेशवादियों के विरुद्ध प्रदर्शन भी नही कर सकते?”

(Cover Photograph: Protest in Delhi (Getty Images)