ASSAM: असम के दिमा हसो में पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत से गुस्साए लोगों ने गणतंत्र दिवस को काला दिवस के रूप में मनाया. लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक नेता के बयान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.

विभिन्न संगठनों ने आरएसएस के कार्यकर्ता जगदम्बा माल के उस बयान के खिलाफ 25 जनवरी को 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि नगा समझौते के मसौदे में दिमा हसो जिले को भी नागालिम में शामिल किया गया है.

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर उस समय फायरिंग की जब वे मैबांग रेलवे स्टेशन पर पटरियों को अवरुद्ध करने का प्रयास कर रहे थे. गंभीर रूप से घायल दो प्रदर्शनकारी – मिथुन डिब्रगेदा (27) और प्रबंता हकमओसा (17) को गुवाहाटी मेडिकल कालेज अस्पताल ले जाया गया.

हालांकि, डिब्रगेदा की मौत रास्ते में ही हो गयी और हकमओसा ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया. जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इलाके में कर्फ्यू लगा दिया है.

पुलिस के रवैये से नाराज गायक और सामाजिक कार्यकर्ता डेनियल लंग्थासा कहते हैं, “करणी सेना, शिव सेना, बजरंग दल, आरएसएस के लोग बॉलीवुड की सिनेमाओं, पाकिस्तान की क्रिकेट टीम, वैलेंटाइन्स डे, बीफ और कई अन्य फालतू वजहों से सारे देश में तोड़फोड़ मचाते हैं, लेकिन उनपर एक भी गोली नहीं चलायी जाती. लेकिन जब असम के मैबांग शहर के लोग सरकार से जवाब मांगने और नागालिम की संरचना, जिसके बारे में आरएसएस के एक नेता के गैर - जिम्मेदार बयान से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो रहा है, से असम को बाहर रखने की मांग को लेकर कुछ घंटों के लिए ट्रेन को रोकते हैं तो पुलिस गोलियां दागती है और निर्दोष स्त्रियों, पुरुषों और बच्चों की जान लेती है या उन्हें घायल करती है. यह मेरा गणतंत्र दिवस नहीं है.”

इस घटना में 10 से ज्यादा प्रदर्शनकारी और इतनी ही संख्या में पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.

जादिके नैसो होसोम, दिमासा स्टूडेंट्स यूनियन और दिमासा मदर्स एसोसिएशन समेत कई संगठनों ने आरएसएस नेता के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. जादिके नैसो होसोम के प्रवक्ता ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा, “हम दिमा हसो को नागालिम में शामिल करने के विचार का पुरजोर विरोध करते हैं और श्री माल से अपील करते हैं कि वे हाफलोंग आयें और दिमा हसो को नागालिम को दिए जाने के अपने प्रस्ताव पर माफ़ी मांगें. हम सरकार से भी अपील करते हैं कि वो इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ़ करे. चूंकि सरकार अबतक ऐसा करने में असफल रही है, इसलिए हमें बंद का आह्वान करने पर मजबूर होना पड़ा.”

उन्होंने मानवाधिकार का उल्लंघन करने और बेकसूर लोगों को निर्ममता से मारने के लिए दिमा हसो जिला प्रशासन और पुलिस की घोर निंदा की.

शाम को लोगों ने दोनों मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने और न्याय की मांग करने के लिए मौन जुलूस निकाला.

उग्रवाद को समाप्त करने और नगा समझौते को अंतिम रूप देने लिए एनएससीएन (आई –एम) और केन्द्रीय गृह मंत्रालय के बीच नई दिल्ली में 3 अगस्त 2015 को जिस सहमति – पत्र पर हस्ताक्षर हुए उसके बारे में कोई खुलासा नहीं हुआ है और कई तरह की अटकलें हैं.

असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल ने कहा है कि नागालिम में असम का कोई इलाका शामिल नहीं किया जायेगा.

गुवाहाटी में कई लोगों का मानना है कि सर्वानन्द सोनोवाल के नेतृत्व वाली सरकार के आने के बाद पुलिसिया “अत्याचार” में बढ़ोतरी हुई है. स्वतंत्र शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता बोनोजित हुसैन कहते हैं, “ भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश हुकूमत के तहत 9 अगस्त 1942 से लेकर 31दिसम्बर 1943 के बीच प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग की चार घटनाएं हुई थीं. लेकिन 24 मई 2016 को सर्वानन्द सोनोवाल सरकार के सत्ता में आने के बाद अनाम प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग की पांच घटनाएं हो चुकी हैं.”

मैबांग से पहले राहा, काजीरंगा, गोलपारा और धुला में पुलिस फायरिंग की घटना हुई थी. इसमें सात लोगों की मौत हुई थी. जांच की घोषणा के बाद अबतक एक भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी है.