कृषि क्षेत्र में लगातार बदतर होते हालात भले ही मीडिया की सुर्ख़ियों में न आ पाये हों, लेकिन इस मसले ने एक नया मोड़ ले लिया जब अखिल भारतीय किसान सभा की महाराष्ट्र इकाई ने एक विशाल यात्रा का आयोजन किया. इस यात्रा की शुरुआत 6 मार्च को संध्या साढ़े चार बजे नासिक के सीबीएस चौक से हुई जिसमें महाराष्ट्र के कोने – कोने से आये हजारों किसानों ने शिरकत की.

यह यात्रा 200 किलोमीटर की दूरी तय कर 12 मार्च को मुंबई पहुंचेगी जहां किसान राज्य विधानसभा का घेराव करने का प्रयास करेंगे. किसान नेताओं की अगुवाई में निकली यह यात्रा दो साल पहले किसानों से किये गये सभी वादों तथा स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों एवं वन अधिकार कानून को लागू करने से मुकरने के लिए राज्य की भाजपा सरकार की सख्त आलोचना करेगी. इस यात्रा की खासियत यह है कि इसमें हजारों महिला किसान भी भाग ले रही हैं. यात्रा के सभी रास्ते लाल झंडों, बैनरों और तख्तियों से पटे पड़े हैं. लाल तख्तियों पर किसानों की मांगें लिखी हुई हैं. इस यात्रा में शामिल किसान राज्य की भाजपा सरकार द्वारा कृषि ऋण माफ़ी, फसलों की उचित कीमत मुहैया कराने, वनाधिकार कानून लागू करने में की गयी वादाखिलाफी पर जमकर नारेबाजी कर रहे थे.

इस विशाल यात्रा का नेतृत्व अखिल भारतीय किसान सभा के नेता सर्वश्री डॉ अशोक धावले, विजू कृष्णन, जे पी गावित, किसन गुजर और डॉ अजित नवाले आदि कर रहे हैं. मार्च को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने वालों में उपरोक्त किसान नेताओं के अलावा पीडब्लूपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व – विधायक मीनाक्षी पाटिल, सीटू के राज्य इकाई के अध्यक्ष डॉ डी एल कराड एवं एटक के नेता राजू देसले भी शामिल थे.

इस यात्रा को रवाना करने से पहले एक आम जनसभा की गयी जिसमें उपरोक्त किसान नेताओं ने राज्य और केंद्र की भाजपा सरकारों की किसान और आम जनता के हितों के उलट कॉरपोरेट – परस्त नीतियों और धार्मिक एवं जातिवादी षड्यंत्रों की जमकर आलोचना की.

वक्ताओं ने त्रिपुरा में राज्य विधानसभा के चुनाव परिणामों के बाद आरएसएस – भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा सीपीएम एवं अन्य वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों पर किये गये हमलों की जमकर निंदा की. उन्होंने लेनिन की मूर्तियां गिराये जाने की भी तीखी आलोचना की और लोगों को आगाह किया कि यह तो इनकी कारगुजारियों की एक झलक भर है, अगर इन्हें पूरे देश भर सत्ता मिल गयी तो ये महात्मा गांधी, डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर, ई वी रामास्वामी नायकर (पेरियार), भगत सिंह जैसे प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष नायकों की मूर्तियां ढहाने से भी नहीं हिचकेंगे.

राष्ट्रीय मीडिया भले ही किसानों के मसले को दरकिनार करते हुए शहरी चमकदमक की ओर आकर्षित हो, लेकिन जमीनी स्तर पर इस यात्रा में भारी तादाद में किसान लगातार जुड़ते जा रहे हैं. बड़ी संख्या में राज्य के अन्य जिलों के किसानों के इस यात्रा में मुंबई में जुड़ने की संभावना है जहां वे विधानसभा का घेराव करेंगे. यहां यह याद रखा जाना चाहिए कि मार्च 2016 में किसानों ने नासिक को दो दिनों तक घेर रखा था. किसानों का गुस्सा मई 2016 में भी फूटा था जब उन्होंने ठाणे में एक ताबूत रैली निकाली थी. पिछले साल जून में किसानों ने 11 दिनों तक हड़ताल रखी थी और फिर अगस्त में तकरीबन दो लाख किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्गों को ठप्प कर दिया था.