भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) देश में जातीय युद्ध करवाने पर उतारू है. विगत 2 अप्रैल को एससी/एसटी एक्ट को लेकर आयोजित भारत बंद के दौरान हुई हिंसा से यह स्पष्ट हुआ है कि हिंसा भड़काने वाले अधिकतर लोग भाजपा और आर आर एस के ही थे. इसका सबसे बड़ा सबूत ग्वालियर में प्रदर्शनकारियों पर पीछे से पिस्तौल से गोलियां चलाने वाला राजा सिंह राठौर भाजपा का कार्यकर्त्ता है. राजस्थान के बाड़मेर में प्रदर्शनकारियों पर पथराव करने वाले लोग करनी सेना से जुड़े थे. इसके इलावा, राजस्थान के रानीवाड़ा, जालौर, सांचोर,गंगापुर सिटी और हिन्डौन में प्रदर्शनकारियों पर पथराव करके हिंसा फ़ैलाने वाले लोग भी भाजपा और आरएसएस के ही थे.

यह भी उल्लेखनीय है कि अधिकांश जगहों पर हिंसा पुलिस की उपस्थिति में ही हुई जिसके परिणामस्वरूप अब तक 11 दलितों की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं, 3 अप्रैल को राजस्थान के किरौली जिले के हिन्डौन कसबे में भाजपा की दलित विधायक राजकुमारी जाटव और पूर्व विधायक भरोसी लाल जाटव के घर भी बीजेपी समर्थकों द्वारा पुलिस की उपस्थिति में ही जलाये गये. इस प्रकार, भारत बंद के दौरान अधिकतर जगहों पर बंद को बदनाम करने के लिए भाजपा और आर एस एस के लोगों द्वारा ही हिंसा भड़काई गयी और दलित विरोधी माहौल पैदा किया गया.

यहां उल्लेखनीय तथ्य यह है कि सबसे अधिक हिंसा की घटनाएँ भाजपा शासित राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में ही हुई हैं जो कि हिंसा में आरएसएस और भाजपा का हाथ होने का संकेत देता है.

अब तक भाजपा जगह - जगह हिन्दू - मुस्लिम दंगे करवा कर हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण करने का काम करती रही है. अब उसने दलितों और सवर्णों के बीच हिंसा भड़का कर सवर्ण वोटों के ध्रुवीकरण का काम शुरू किया है. साफ़ है कि देश को जाति युद्ध में धकेला जा रहा है. वास्तव में उसने सुप्रीम कोर्ट में एससी/एसटी एक्ट के केस में जानबूझ कर उचित पैरवी न करके तथा एकतरफ़ा दलित विरोधी फैसला करवा कर दलितों और सवर्णों को आपस में लड़वाने का काम किया है. इसी तरह, इस निर्णय के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका भी काफी विलंब से दाखिल की गयी है. इसके पीछे भाजपा का मंशा अपनी सरकार से सभी वर्गों का मोहभंग होने और वोट बैंक के खिसक जाने को रोकने तथा दलितों, आदिवासियों, मजदूरों, व्यापारियों और किसानों के मुद्दों से ध्यान हटाने और उन्हें गैर मुद्दों पर लड़वा कर सवर्ण- हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण करने का है.

वोटों का ध्रुवीकरण करवाने के लिए भाजपा का पहले हिन्दू- मुस्लिम और अब दलित- सवर्ण दंगे करवा कर देश को साम्प्रदायिकता और जाति युद्ध में झोंकने का प्रयास है. भाजपा के इस खेल को सभी दलितों, पिछड़ों, सवर्ण हिन्दुओं और अल्पसंख्यकों को समझना चाहिए.

(लेखक पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एवं जनमंच के संयोजक हैं )