आठ साल की मासूम बच्ची के बलात्कार और हत्या की बर्बर घटना के बाद जम्मू में हिन्दू एकता मंच के गठन के बाद कम – से - कम जम्मू – कश्मीर के बाहर के इलाकों में जो व्यक्ति रडार के भीतर रहने में सफल रहा, वो है – कांग्रेस पार्टी का सदस्य और नोनाथ, घग्वाल का भूतपूर्व सरपंच विजय तागोत्र. इसी व्यक्ति ने उस कुख्यात मंच के गठन में अहम भूमिका निभायी जिसके बैनर तले फरवरी माह में हुए बलात्कार के आरोप में राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये लोगों के समर्थन में पहली बार एक मार्च का आयोजन किया गया था.

गिरफ्तार किये गये लोगों के समर्थन में भाजपा के दो मंत्रियों के साथ सुर में सुर मिलाने वाले तागोत्र को कांग्रेस पार्टी से निकालने के बजाय सिर्फ निलंबित भर किया गया. निलंबन के बाद उसके खिलाफ आगे और किसी कार्रवाई की घोषणा नहीं की गयी. जबकि बलात्कार के आरोपियों के पक्ष में बोलने वाले भाजपा के दो मंत्रियों को देशभर में बलात्कार के विरोध में आवाज़ उठने के बाद आख़िरकार राज्य के मंत्रीपरिषद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा. खबरों के मुताबिक, बलात्कार के आरोपियों के पक्ष में निकाले गये मार्च में जम्मू इलाके के दो अन्य प्रमुख कांग्रेसी नेताओं – गिरधारी लाल और सुभाष चंदर – के भी शामिल होने की सूचना है.

तागोत्र ने हिन्दू एकता मंच द्वारा निकाले गये उस मार्च का नेतृत्व किया जिसमें बलात्कार के आरोपियों को रिहा करने और घटना की सीबीआई जांच कराने की मांग की गयी थी. इस मार्च में शामिल लोगों की भीड़ ने हाथों में तिरंगा थामकर बलात्कार के आरोपियों के पक्ष में खुलेआम समर्थन जाहिर किया और यातना और बलात्कार की शिकार मासूम की पीड़ा को गौण बना दिया. इस मार्च ने भय का एक ऐसा वातावरण रचा कि बलात्कार की घटना से सहमे और अपनी सुरक्षा और सलामती के लिए चिंतित बकरवाल जनजाति के लोग इलाका छोड़कर भागने पर मजबूर हो गये.

तागोत्र इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी खासा सक्रिय है. अपने फेसबुक पेज पर आसिफ़ा की हत्या और बलात्कार कांड की सीबीआई जांच की मांग का उसने आक्रामक तरीके से समर्थन किया है. उस पेज पर पोस्ट किये गये एक वीडियो में उसने हिन्दू एकता मंच के गठन की जिम्मेदारी ली है और इस मंच द्वारा सीबीआई जांच की मांग के पक्ष में बुलाये गये बंद का समर्थन करने के लिए जम्मू के लोगों का धन्यवाद भी किया है.

फेसबुक पेज पर सीबीआई जांच की मांग के पक्ष में डाले गये एक अन्य पोस्ट में उसने हत्या की तुलना रेयान स्कूल की उस घटना से की है जिसमें मीडिया द्वारा किये गये ट्रायल में एक बच्चे की मौत का जिम्मेदार एक बस कंडक्टर को बताया जा रहा था, लेकिन सीबीआई की जांच के बाद वह बेकसूर साबित हुआ. अपने पोस्ट में तागोत्र ने लिखा कि अगर उस घटना की सीबीआई जांच नहीं हुई होती तो कंडक्टर मारा जाता. और यही वजह है कि कठुआ कांड की भी सीबीआई जांच होना जरुरी है. उस पोस्ट में भले ही यह बात सीधे तौर पर नहीं कही गयी, पर उसका तात्पर्य यही था कि कठुआ कांड में गिरफ्तार किये गये लोग बेकसूर हैं. एक अन्य वीडियो संदेश में तागोत्र ने साफ़ कहा कि मंच को मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की निष्पक्षता पर यकीन नहीं है और इसलिए इस घटना की सीबीआई जांच जरुरी है. उसके फेसबुक पोस्टों में इस बात को या तो आरोपियों के परिवार के सदस्यों के वीडियो संदेशों के माध्यम से या फिर खुद उसके द्वारा बारबार दोहराया गया है.

कांग्रेस पार्टी की जम्मू – कश्मीर इकाई द्वारा तागोत्र को आईटी सेल और राजीव गांधी पंचायत सेल का संयोजक बनाया गया था. जैसा कि राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि जम्मू – कश्मीर के मामले में भाजपा और कांग्रेस, दोनों, एक जैसे ही हैं.

तागोत्र द्वारा जारी किये गये तस्वीरों और चलाये गये अभियानों के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने उसे सिर्फ निलंबित भर किया है, निकाला नहीं है. हिन्दू एकता मंच के गठन के बाद से सोशल मीडिया पर जारी उसके वीडियो और टिप्पणियां सिर्फ इसी संगठन की गतिविधियों से जुड़ी हैं, न कि कांग्रेस पार्टी के. शुरुआती निलंबन के बाद कांग्रेस पार्टी ने संगठन में उसके भविष्य को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा है. विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर हल्ला मचने पर उसका बुनियादी रवैया यह है कि “हमें बदनाम मत कीजिए, हम न्याय चाहते हैं, हमने सिर्फ सीबीआई जांच की मांग की है.” यह 14 अप्रैल की बात है.

11 अप्रैल को, उसने सीबीआई जांच की मांग के समर्थन में घग्वाल बंद की तस्वीरें जारी की हैं.

गौरतलब है कि दो अलग – अलग क्षेत्रों के लिए दो अलग – अलग भाषा का इस्तेमाल कर कांग्रेस पार्टी जम्मू – कश्मीर में वर्षों से विभाजनकारी राजनीति का अनुसरण करती रही है. भाजपा ने इसी राजनीति को तेजी से आगे बढ़ाया है. प्रखर विद्वान और कार्यकर्ता स्वर्गीय बलराज पुरी ने कई साक्षात्कारों और लेखों के माध्यम से राज्य में सांप्रदायिक शक्तियों को समर्थन देने और उन्हें मजबूत करने में कांग्रेस पार्टी की भूमिका पर गहरी चिंता जतायी थी.

रोचक तथ्य यह है कि मार्च महीने के शुरुआत में हिन्दू एकता मंच के गठन से पहले तागोत्र के फेसबुक पेज पर कांग्रेस पार्टी की ओर उसके झुकाव की झलक मिलती है.