अब यह साफ़ हो गया है कि हालिया चुनावी झटकों से थोड़े से हताश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मनाने में कामयाब नहीं हो पाये. हाल ही में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी. श्री शाह को उम्मीद थी कि इस मुलाकात के बाद दोनों दलों के संबंधों में आया तनाव ढीला पड़ेगा. मीडिया में भी इस बाबत अटकलें जोरों पर थीं. लेकिन इसके उलट, श्री ठाकरे और शिवसेना अपने पुराने तेवर में वापस लौट आये हैं और भाजपा पर पिछले कुछ दिनों से लगभग रोज किये जाने वाले हमले को जारी रखा है.

महाराष्ट्र की सरकार में अपने सहयोगी दल (भाजपा) के उलट रुख अपनाते हुए शिवसेना खुलकर आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो इन दिनों लेफ्टिनेंट गवर्नर के आवास पर धरने पर बैठे हैं, के समर्थन में आ गयी है. पार्टी ने अपना पक्ष रखने के लिए संजय राउत को मैदान में उतारा है. श्री राउत ने पत्रकारों को बताया कि उद्धव ठाकरे ने अरविंद केजरीवाल से बात की है और उनके आंदोलन को “अनोखा” करार दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में चल रहा गतिरोध लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.

शिवसेना ने केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर भी हमला बोला है. पार्टी ने ईद की पूर्व संध्या पर आतंकवादियों द्वारा सेना के जवान औरंगजेब के अपहरण और उसकी हत्या की कड़ी निंदा की है. पार्टी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर सीधा निशाना साधा. उन्हें कमजोर, निष्क्रिय और बिना वजूद वाला बताते हुए शिवसेना के मुखपत्र “सामना” ने अपने संपादकीय में लिखा, “ऐसे व्यक्ति को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी देकर हम देश का बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं. हमें अपनी सेना पर पूरा भरोसा है, लेकिन हमारा नेतृत्व बहुत ही कमजोर है.” संपादकीय में आगे कहा गया, “ न सिर्फ मुसलमानों, बल्कि इस देश के सभी हिन्दुओं को भी औरंगजेब की कुर्बानी को सलाम करना होगा. देश के प्रत्येक मुसलमान के घर में औरंगजेब जैसा बेटा पैदा होना चाहिए.”

जम्मू – कश्मीर के मुद्दे पर टिके रहते हुए शिवसेना ने अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी निशाना बनाया है. पार्टी के मुताबिक, दुनिया भर में जम्मू – कश्मीर पुलिस की हो रही आलोचनाओं को बेअसर करने में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं अक्षम साबित हुईं हैं. कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक कठोर

रिपोर्ट का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं भारत की छवि को बचाने में असफल रही है.

सामना के संपादकीय ने आगे कहा, “पिछले चार महीनों में, कश्मीर में 400 से अधिक लोग मारे गये हैं. इनमें से ज्यादातर सेना के जवान हैं. हमारे प्रधानमंत्री विदेश यात्राओं में व्यस्त हैं, जबकि रक्षा मंत्री अपनी पार्टी के मामलों में उलझी हुई हैं.

“अबतक यह कहा जाता रहा है कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं ने दुनिया भर में देश की छवि को बेहतर किया है, लेकिन कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक हालिया रिपोर्ट से उनकी अपनी छवि धूमिल हुई है.”

संपादकीय ने आगे जोड़ा, “ इस (रिपोर्ट) का मतलब यह हुआ कि प्रधानमंत्री के बेतहाशा विदेश दौरों के बावजूद कश्मीर मसले पर कोई भी देश भारत के साथ खड़ा होने का इच्छुक नहीं है और हमने संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने अपना नजरिया सही और उचित तरीके से नहीं रखा.”

आगे बढ़ते हुए संपादकीय ने लिखा, “ देश की आतंरिक सुरक्षा मजाक बनकर रह गयी है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होना बाकी है. भगवान राम अभी ‘वनवास’ में हैं. लेकिन देश की सुरक्षा ‘राम – भरोसे’ है.

“रमज़ान के दौरान घाटी में आतंकवादियों द्वारा किये गये खून – खराबे के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.”

उद्धव ठाकरे ने हाल में भाजपा द्वारा आगे बढ़ाये गये विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक के मसले पर असम से आये आल असम स्टूडेंटस यूनियन (आसू) के नेताओं से भी मुलाकात की थी. उन्होंने आसू के नेताओं से स्पष्ट कहा था कि वे इस मुद्दे पर उनका समर्थन करेंगे. असम के विभिन्न समूहों ने उनके इस एलान को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना.



ऐसा मालूम होता है कि अमित शाह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मनाने में असफल रहे और मुख्यधारा की मीडिया द्वारा फैलायी गयी दोनों दलों के बीच ‘शांति’ की ख़बर क्षणिक साबित हुई. शिवसेना ने भाजपा पर हमला बढ़ा दिया है. हाल ही में उसने अपने सहयोगी दल को मुख्य राजनीतिक दुश्मन करार दिया.