देश भर में पुलिस द्वारा मनमानी गिरफ़्तारी और नागरिक अधिकारों के खुले उल्लंघन की बढ़ती घटनाओं पर पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) समेत विभिन्न सामाजिक एवं मानवाधिकार संगठनों ने गहरी चिंता जताई है. इन संगठनों ने हाल में दिल्ली के इंदिरा गांघी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से 34 वर्षीय युवक अभय देवदास नायक की छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा की गयी गिरफ़्तारी का हवाला देते हुए सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कानून का माखौल उड़ाये जाने पर तीखा आक्रोश व्यक्त किया.

पीयूडीआर ने प्रेस को जारी एक बयान में यह आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने पिछले 31 मई को दिल्ली के इंदिरा गांघी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से अभय नायक का अपहरण किया और 12 दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखने के बाद 12 जून को उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार दिखाया. संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि अपनी ‘करतूतों’ से ध्यान हटाने के लिए पुलिस ने अभय नायक को एक “शीर्ष माओवादी प्रचारक” बताकर मीडिया के सामने पेश किया. सीपीआई (माओवादी) जैसे प्रतिबंधित संगठन से जुड़ाव का आरोप लगाकर पुलिस द्वारा अभय नायक के मौलिक अधिकारों का बेशर्मी से उल्लंघन किये जाने पर संगठन ने रोष जताया.

प्राप्त सूचना के मुताबिक, अभय नायक को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 एवं 5, और एक “आतंकवादी संगठन” की सदस्यता और समर्थन के आरोपों से संबंधित गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 38 एवं 39 के तहत गिरफ्तार किया गया है.

मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि यूएपीए के तहत एक “आतंकवादी संगठन” के तौर पर सीपीआई (माओवादी) की पहचान दरअसल पुलिस को मनमर्जी से किसी भी व्यक्ति को निशाना बनाने की इजाज़त देती है. इस कानून की बदौलत पुलिस किसी भी व्यक्ति को प्रतिबंधित माओवादी संगठन का सदस्य होने का आरोप लगाकर माओवादियों के मत्थे मढ़े जाने वाले तमाम अपराधों का दोषी ठहरा सकती है. अपने बात के समर्थन में मानवाधिकार संगठनों ने नक्सल – विरोधी अभियान के विशेष महानिदेशक डी. एम. अवस्थी का उदहारण दिया, जिन्होंने अभय नायक के खिलाफ आरोपों की जानकारी देते हुए कहा, “जब आप माओवाद से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो आप स्वतः ही उसके सभी अपराधों में भागीदार हो जाते हैं.”

पीयूडीआर की अगर माने तो अभय नायक के खिलाफ मामला पूरी तरह से अस्पष्ट और कई अनुमानों पर आधारित है. पुलिस का यह दावा है कि नायक को 2013 के एक मामले में पकड़ा गया था, हालांकि

उसे अब 2017 के एक मामले में गिरफ्तार दिखाया गया है. दरअसल वर्ष 2013 का मामला एक आईईडी विस्फोट से जुड़ा है जिसमें पुलिस को घटनास्थल से ‘अभय’ और ‘विकल्प’ के नाम से जारी सीपीआई (माओवादी) के पर्चे मिले थे. पुलिस का मानना है कि इन पर्चों का संबंध अभय नायक से है. नक्सलवाद से जुड़े लेखों और बयानों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने जैसे तथ्यों के आधार पर पुलिस का अनुमान है कि अभय नायक निश्चित रूप से सीपीआई (माओवादी) का प्रचारक है. पुलिस का अभय नायक पर दक्षिण एशिया में माओवादी पार्टी एवं संगठन के समन्वय और भूमिगत पार्टी की ओर से ‘अभय’, ‘आज़ाद’ और ‘विकल्प’ के नाम से प्रेस को बयान जारी करने का आरोप है. पुलिस के अन्य अनुमानों के मुताबिक चूंकि अभय नायक दो बार बस्तर का दौरा कर चुका है, लिहाज़ा वह निश्चित रूप से माओवादियों के संपर्क में होगा और माइक्रो – फाइनेंस से संबंधित उसका ब्लॉग उसकी माओवादी गतिविधियों का एक ओट है.

पुलिस के रवैये पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीयूडीआर की सचिव शशि सक्सेना और शहाना भट्टाचार्य ने कहा, “ये फ़िल्मी आधार और एक आम भारतीय नाम से जुड़े होने का संयोग यूएपीए के तहत अभय नायक की गिरफ़्तारी के लिए पर्याप्त थे.”

इस बीच, पुलिस की मौजूदगी में मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में अभय नायक ने पुलिस द्वारा लगाये गये सभी आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया. उसने कहा कि वह वो ‘अभय’ नहीं है जो पुलिस समझ रही है. उसने बताया कि वह एक स्वतंत्र पत्रकार है और उसका एक वेबसाइट है, जिसमें माओवादियों से संबंधित ख़बरें रहती हैं.

उल्लेखनीय है कि हाल में यूएपीए के तहत माओवादियों से संबंध होने के आरोप में पांच लोगों – रोना विल्सन, शोमा सेन, सुरेन्द्र गडलिंग, महेश राउत और सुधीर धावले – को गिरफ्तार किया गया था. पीयूडीआर का मानना है कि अभय नायक की गिरफतारी भी इन गिरफ्तारियों से मेल खाती है. पीयूडीआर का आरोप है कि पुलिस अभय नायक का संबंध इन गिरफ्तार पांच लोगों में से कुछ के साथ दिखाकर “शहरी माओवादी” का मुहावरा गढ़ने के फ़िराक में है. संगठन का कहना है कि इस मुहावरे के जरिए दलित, आदिवासियों, राजनीतिक बंदियों के अधिकारों के पक्ष में और राज्य द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले लोगों को सबक सिखाने की कोशिश की जा रही है.

पीयूडीआर ने यूएपीए के तहत अभय नायक समेत अनेक निर्दोष लोगों की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा करते हुए इस जनविरोधी कानून को तत्काल वापस लेने की मांग की है. संगठन ने सरकार से अभय नायक की अवैध गिरफ़्तारी के लिए जिम्मेदार पुलिस अफसरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने और अभय नायक की अविलंब रिहाई की मांग भी की है.