देश के दूसरे कई हिस्सों की तरहराजस्थान में भी नगरपालिका/परिषद व नगर निगमों में सफाई कर्मचारियों की भर्ती मे बाल्मीकि समाज के ही महिला-पुरुषो का भर्ती होना एक तरह से उनका एकाधिकार माना जाता था। लेकिन काफी रुकावटों के बाद इसी महीने प्रदेश मे मौजूद स्थानीय निकाय विभाग के उपक्रमों में सफाई कर्मचारियों की भर्ती हुई जिसमें बाल्मीकि समाज के अलावा सभी श्रेणियों के लोगो को आरक्षण के आधार पर लॉटरी के मार्फत भर्ती किया गया है। सफाई कर्मचारियों के रुप में भर्ती होने वालों में एससी, एसटी, ओबीसी के अलावा जनरल बिरादरी के लोग भी शामिल है।

राजस्थान .मे पहली बार सफाई कर्मचारियों की भर्ती को आरक्षण के आधार पर करने से बाल्मीकि समाज के लोग नाम मात्र के ही भर्ती हो पाये हैं। इनके मुकाबले दबंग व मजबूत बिरादरी के लोगो की तादाद भर्ती होने वालों मे काफी अधिक बताई जा रही है। इनमें ओबीसी आरक्षण के तहत अनेक जगह जाट व मुस्लिम बिदरियों के अलावा अन्य बिरादरी के युवक भी बतौर सफाईकर्मी भर्ती होने मे कामयाब हो गये है।

आरक्षण का लाभ देते हुये राजस्थान की भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम पड़ाव में प्रदेश में हजारों सफाई कर्मचारियों की इसी महीने भर्ती की है और सफाई कर्मचारी के रुप में सवर्ण व ओबीसी के सदस्यों की भी भर्ती की गई है। लेकिन बाल्मीकि समाज के अलावा भर्ती हुये अन्य दबंग बिरादरी के कर्मियों से वास्तव में सफाईकर्मी का ही काम करवाया जायेगा या फिर पर्दे के पीछे कोई दूसरा खास मकसद है,देश के दूसरे हिस्से में अतीत के अनुभवों के आधार पर समझा जा सकता है। बताया जा रहा है कि भर्ती हुये उक्त बिरादरी के कर्मचारियों से पहले चपरासी का काम करवाया जायेगा। उसके बाद उनकी शेक्षणिक योग्यता के अनुसार उनको पद्दोन्नत करके बाबू व निरीक्षक तक बनाया जा सकेगा। दूसरी तरफ उक्त भर्ती के तरीके को लेकर बाल्मीकि समाज ने प्रदेश मे जगह जगह आंदोलन शुरू कर दिया है।