किसी समय लड़कियों के लिये पूरी तरह सुरक्षित माने जाने वाला राजस्थान प्रदेश अब जाकर महिलाओं के साथ साथ नाबालिग लड़कियों के लिये बडा असुरक्षित प्रदेश का रुप धारण करता दिखाई दे रहा है। अपराधियों में खाकी व शासन का जरा भी डर ना होने के चलते प्रदेश मे नाबालिगों के साथ दुष्कर्म होने की घटनाओं मे लगातार इजाफा हो रहा है। जिसके कारण प्रदेश की जैलो मे बंद बंदियों मे नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपियों की तादात लगातार बढती जा रही है। प्रदेश भर की कुछ जॆलों में तो बंदियों की मौजूदा संख्या मे आधे या आधे से अधिक बंदी नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म के आरोपी बताते है। प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला होने के बावजूद जो हालात इन दिनों उभर कर सामने आ रहे है उससे देश भर मे राजस्थान प्रदेश की तस्वीर डरावनी दिखने लगी है।

राजस्थान मे एक बानगी के तौर पर देखे तो प्रदेश में कोटा के बाद के दूसरे नम्बर पर शौक्षणिक हब के तौर पर पहचान बना चुके एवं बेहतरीन शिक्षा के हिसाब से राज्य भर में पांचवां स्थान रखने वाले सीकर जिला मुख्यालय स्थित केन्द्रीय जेल मे बंद बंदियों पर नजर डाले तो कुल 264- बंदियों में से 104- बंदी दुष्कर्म के आरोपी है। जिनमे भी 104- मे 96- आरोपी नाबालिगो के साथ दुष्कर्म के आरोप में बंदी है।

सभी बंदियों को नियमों के तहत बंद रखने की बात करने वाले सीकर जेल उप अधीक्षक नरेश चौधरी के मुताबिक सीकर जेल मे कुल 264-बंदियों मे से 96-पाक्सो एक्ट के तहत बंद होना हमारे प्रगतिशील समाज के लिये एक अभिशाप ही माना जायेगा।

प्रदेश मे पिछले दिनों नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने की घटनाओं मे यह देखने को मिला है कि विकृत मानसिकता वाले युवाओं ने दूध पीतीं बच्चियो से लेकर बालिग होने से पहले वाली उम्र तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने के प्रयास किये या दुष्कर्म किया है। गम्भीर होते इन हालात पर सरकार व समाज को गम्भीरता के साथ सोचकर बच्चियों की सुरक्षा व बचाव के लिए कोई रास्ता निकालना होगा।