ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध नाटककार गिरीश कर्नाड के खिलाफ एक वकील ने “मैं भी अर्बन नक्सल (मी टू अर्बन नक्सल)” की तख्ती पहनने की शिकायत दर्ज करायी है. श्री कर्नाड बीते बुधवार को बंगलुरु में पत्रकार गौरी लंकेश की पहली पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में उक्त तख्ती लटकाकर आये थे.

वकील अमृतेश एन पी ने पीटीआई को बताया, “अर्बन नक्सल वे लोग हैं जो देश के खिलाफ बगावत को भड़काते हैं. और इस किस्म की तख्ती लटकाकर श्री कर्नाड ने नक्सलवाद की हिंसक और आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रयास किया है.”

विधान सौध (राज्य सचिवालय) पुलिस ने बताया कि उन्होंने शिकायत हलासुरु गेट पुलिस थाना, जिसके अधीन घटनास्थल आता है, को स्थानांतरित कर दिया है. श्री कर्नाड एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ता बुधवार को गौरी लंकेश के आवास के बाहर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. उन्होंने पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं, जिनका संपर्क माओवादियों के साथ होने का दावा महाराष्ट्र सरकार कर रही है, की नजरबंदी के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था.

#मैं भी अर्बन नक्सल (मी टू अर्बन नक्सल) एक हैशटैग है, जो सामाजिक कार्यकर्ताओं की हाल में हुई गिरफ्तारी के बाद से ट्विटर पर इन दिनों ट्रेंड कर रहा है. इस कार्रवाई का विरोध करने वाले लोग इस हैशटैग का इस्तेमाल चुटकुलों, मजेदार तस्वीरों एवं मजाकिया बातों के जरिए गिरफ्तार बुद्धिजीवियों के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए कर रहे हैं. हालांकि श्री कर्नाड, जोकि अरसे से दक्षिणपंथी खेमे का निशाना बनते रहे हैं, के खिलाफ अब एक मामला बंगलुरु की एक अदालत में है.

गौरी लंकेश की याद में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए श्री कर्नाड ने कहा, “अब डरावनी बात वह नहीं है जो नक्सलवादी या आतंकवादी कर रहे हैं, बल्कि वह है जो पुलिस कह रही है. तर्कवादियों के खिलाफ लगाये गये आरोप पूरी तरह बकवास हैं. वह जरा भी तार्किक नहीं है. यह डराने वाली बात इसलिए है क्योंकि उन्हें लगता है कि वे जो चाहें, कर सकते हैं. कोई पुणे में मामले की जांच कर रहा है और कोई दिल्ली में बैठकर उसे निर्देशित कर रहा है. यह वाकई गंभीर स्थिति है. अगर बोलने का मतलब नक्सली होना है, तो मैं भी एक शहरी नक्सली हूं. उस हिट – लिस्ट का एक हिस्सा बनने का मुझे गर्व है.” संयोग से, इसी किस्म की भावनाएं देशभर के लेखकों, अकादमिक जगत के लोगों एवं बुद्धिजीवियों ने भी सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ व्यक्त की है.

कर्नाड के खिलाफ की गयी शिकायत ने दक्षिणपंथी संगठनों और तर्कवादियों, पत्रकारों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्या तथा गिरफ्तारी का विरोध करने वाले लोगों के बीच की खाई को और चौड़ा कर दिया है.

अमृतेश की शिकायत में यह बात जोर देकर कही गयी है कि “अपने शरीर पर इस किस्म की उपाधि चिपकाकर श्री कर्नाड ने नक्सलवाद की हिंसक और आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रयास किया है. शहरी या ग्रामीण नक्सली जैसा कुछ नहीं होता. मुझे संदेह है कि गिरीश कर्नाड कर्नाटक में नक्सलवादी आंदोलन के लिए जिम्मेदार हैं और नक्सलियों के साथ उनकी मिलीभगत है, लेकिन वो उन्हें मुख्यधारा में लाने का ढोंग रचते हैं.”

अपनी शिकायत में अमृतेश आगे जोड़ते हैं, “मैं हतप्रभ हूं कि एक ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता नक्सलवादी आंदोलन, जोकि गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है, में सक्रिय है.” वे इस बात पर जोर देते हैं कि फ़िल्मकार कर्नाड के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए. गौरी लंकेश मेमोरियल ट्रस्ट ने कर्नाटक के राज्यपाल को एक ज्ञापन देकर दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, अमृतेश उस हिन्दू जनजागृति समिति का प्रतिनिधित्व करते हैं जो गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपियों का बचाव कर रही है. गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी कथित रूप से सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति, जोकि एक आनुषांगिक संगठन है, के सदस्य माने जाते हैं.

गौरी लंकेश की याद में जुटे सामाजिक कार्यकर्ता जहां ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे थे, वहीँ हिन्दू जनजागृति समिति और श्रीराम सेना के सदस्य लंकेश की हत्या के आरोपियों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे. वे आरोपियों की तारीफ़ कर रहे थे, कर्नाटक पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये लोगों के नाम के नारे लगा रहे थे और उनकी रिहाई की मांग कर रहे थे. उनके लिए ये लोग हिन्दू धर्म के घोषित रक्षक थे.