भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित झारखंड में एक नया ध्रुवीकरण करवट लेता दिखाई दे रहा है. विगत 8 अक्टूबर को झुमरी तिलैया में आयोजित ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’ रैली में वामपंथी – लोकतांत्रिक शक्तियों की अगुवाई में गरीब, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक एवं महिलाओं की एकजुटता से राज्य में बनते एक नये किस्म के राजनीतिक – सामाजिक समीकरण का संकेत मिला.

भाकपा माले की अगुवाई में आयोजित झारखंड के विपक्षी दलों की इस रैली में महिलाओं और नौजवानों की जबरदस्त भागीदारी थी. झारखंड में सत्ता प्रायोजित भीड़ की हिंसा और भुखमरी की सबसे अधिक मार झेलने वाले दलित, आदिवासी एवं अल्पसंख्यकों ने अपनी असरदार उपस्थिति से तमाम राजनीतिक पर्यवेक्षकों को चौंकाया. कई पर्यवेक्षक इन तबकों की भागीदारी को आगामी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की शुरूआत मान रहे है.

रैली को संबोधित करते हुए भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर कड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के घोटालों के सामने पहले के सारे घोटाले बच्चे नजर आते हैं. रफाल घोटाले की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी ने देश की सुरक्षा का भी ख्याल नहीं रखा. केवल घोटाले को अंजाम देने के लिए देश में इस लड़ाकू जहाज को तैयार किये जाने के करार को तोड़कर फ्रांस से बने-बनाये विमान को लाने का ठेका अंबानी दे दिया.

श्री भट्टाचार्य ने कहा, “भाजपा के नारों को उसी के मुंह पर दे मारिये. देश में चल रहे नये नारों से भाजपा बहुत चिंतित है. देश भर में ‘बहुत हुआ अब भ्रष्टाचार, नहीं चाहिए मोदी सरकार!’, ‘बहुत हुआ महिलाओं पर वार, दूर हटो मोदी सरकार!’ और ‘बहुत हुई मंहगाई की मार, नहीं चाहिए मोदी सरकार!’ जैसे नारे अब गूंज रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “गुजरात ने भाजपा को हाफ कर दिया है, बिहार और झारखंड मिलकर भाजपा को साफ देगा. कोडरमा और झारखंड के बहुत सारे लोगों को पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे से अफसोस हुआ था. कुछ लोग हमेशा ही भाजपा को बचाने के लिए बीच में आयेंगे. लेकिन अब वे न तो धोखा दे सकते हैं और न ही कोडरमा और झारखंड के लोग धोखा खा सकते हैं.”

रैली में चुटीले अंदाज में मोदी पर हमला बोलते हुए चर्चित दलित नेता एवं गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा, “इस देश में अगर कोई सबसे बड़ी झूठ है, तो वह गुजरात मॉडल है. मोदी ने क्या किया? देश की सरकार को अडाणी-अंबानी की जेब में रख दिया है.”

इस रैली के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा, “भाजपा के पास झारखंड के गांव-मुहल्लों में जाने का अधिकार नहीं है. उन्हें वहां से खदेड़ना होगा और इस रैली के संदेश को हर जगह ले जाना होगा. जब से झारखंड में भाजपा की सरकार बनी है, वह झारखंडियों के हितों के खिलाफ काम कर रही है. चाहे स्थानीयता की नीति का मुद्दा हो या फिर सीएनटी-एसपीटी एक्ट में तोड़-मरोड़ का, यह सरकार झारखंड के लोगों के हितों की अनदेखी कर रही है.”

भाकपा माले के केंद्रीय कमिटी सदस्य और झारखंड के बगोदर क्षेत्र के पूर्व विधायक विनोद सिंह ने कहा, “भाकपा माले का लाल झंडा केवल किसी राजनीतिक पार्टी का झंडा भर नहीं है, यह संकट-विपत्ति में आपका साथ देनेवाला जनसंघर्षों का मजबूत कंधा है.”

रैली में अपनी बात रखते हुए मार्क्सवादी कॉर्डिनेशन कमिटी (मासस) के विधायक अरूप चटर्जी ने कहा, “भाकपा माले का कोई प्रतिनिधि यदि किसी इलाके से जीतता है तो उस इलाके के साथ-साथ पूरे राज्य और गरीब-गुरबों की आवाज संसद-विधानसभा में पहुंचती है. हमें हर हाल में यह मौका नहीं गंवाना है और कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से भाकपा माले प्रतिनिधि को संसद भेजना है.”

भाकपा माले विधायक राजकुमार यादव ने कहा, “समय आ गया है कि जनता सरकार और सांसद से हिसाब मांगे और चुनावों में उसका पूरा-पूरा जबाब दे.”

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के प्रकाश विप्लव ने अपनी पार्टी की ओर से आगामी चुनाव में भाकपा माले को इस क्षेत्र में समर्थन देने की घोषणा की.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महेंद्र पाठक ने कहा कि रैली में महिलाओं की उपस्थिति कह रही है कि लोगों का समर्थन लाल झंडा के प्रति है. एसयूसीआई नेता राजेश रंजन ने भी अपने दल की ओर से भाकपा माले के प्रति समर्थन की घोषणा की.

रैली को झारखंड बुद्धिजीवी मंच के प्रेमचंद मुर्मू और एआईपीएफ के वशीर ने भी संबोधित किया. सभा में खाद्य अधिकार आंदोलन के कार्यकर्ता सिराजदत्ता भी उपस्थित थे.

इस रैली के आयोजन से पूर्व, भगत सिंह के जन्मदिन 28 सितंबर से शुरू होकर 3 अक्तूबर तक पूर्व विधायक विनोद सिंह के नेतृत्व में ‘लूट, झूठ व भूख के खिलाफ’ एक पदयात्रा निकाली गयी. गौरतलब है कि 28 सितम्बर को ही झारखंड के सिमडेगा में भूख से संतोषी नाम की लड़की की मौत हुई थी. यह पदयात्रा गांडेय से “गांव शहर में एक ही बोल, रॉफेल चोर गद्दी छोड़” के नारे के साथ शुरू होकर लगभग 300 गांव-कस्बों से गुजरते हुए कुल 175 किलोमीटर की दूरी तय कर 3 अक्टूबर को झुमरी तिलैया में “8 अक्टूबर को कोडरमा चलो” के आह्वान के साथ समाप्त हुई.