भीम आर्मी के मुखिया चन्द्रशेखर आजाद रावण ने घोषणा की है कि संगठन के विभिन्न नेताओं को जेल से रिहा कराने के लिए 6 दिसम्बर से देशव्यापी प्रदर्शन किया जायेगा. इन नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत पकड़ा गया है और वे इस साल के अप्रैल से बिना जमानत के मुज़फ्फरनगर जेल में बंद हैं.

श्री आजाद, जो खुद भी एक लंबे अरसे के बाद भीम आर्मी द्वारा उत्तर प्रदेश और दिल्ली में किये गये कई प्रदर्शनों की वजह से जेल से बाहर आ पाये, ने मुज़फ्फरनगर जेल जाकर उपकार बावरा और शहीद उधम सिंह समेत संगठन के अन्य नेताओं से मुलाकात की जो पुलिस द्वारा हिंसा भड़काने का आरोप लगाये जाने के बाद इस साल 2 अप्रैल से बिना जमानत के बंद हैं. भीम आर्मी के नेता राजन गौतम के मुताबिक, इन नेताओं से मुलाकात के बाद संगठन ने 1 दिसम्बर को मुज़फ्फरनगर में एक विशाल प्रदर्शन आयोजित करने और फिर इसे देश के बाकी हिस्सों में 6 दिसम्बर से फैलाने का निर्णय लिया है.

भीम आर्मी का कहना है कि भारत बंद के दौरान “बाहरी तत्वों” द्वारा हिंसा फैलायी गयी थी और उनके सदस्यों को यूपी पुलिस द्वारा गलत तरीके से फंसाया गया है. श्री आजाद ने कहा कि वे उक्त हिंसा के संबंध में एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ किये गये सभी मुकदमों की वापसी चाहते हैं.

लंबे कारावास से बाहर आने के बाद, श्री आजाद अपने संगठन को फिर से गति देने के लिए पुरजोर मेहनत कर रहे हैं. खासकर शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के एक लंबे इतिहास के बाद यह संगठन एक सामाजिक आंदोलन की शक्ल में उभरा. श्री आजाद ने हाल में उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्कूलों का दौरा किया और दलित बच्चों के साथ बरते जा रहे भेदभाव के बारे में एक वीडियो जारी किया. न सिर्फ शिक्षा के गुणवत्ता के स्तर पर, बल्कि सरकार द्वारा चलाये जा रहे प्राथमिक विद्यालयों में दलित बच्चों को दिये जाने वाले वर्दी तक में भेदभाव बरता जा रहा है.

अभी कुछ दिनों पहले, श्री आजाद ने भीम आर्मी के आंदोलन के “सामाजिक” स्वरुप को रेखांकित करनेवाला एक लंबा वीडियो जारी किया. उन्होंने जोर दिया कि वो बहुजन सभा के सभी सदस्यों, चाहे उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता कुछ भी हों, के दुर्दशा के बारे में आवाज उठायेंगे. उन्होंने कहा कि भीम आर्मी की अपनी एक विचारधारा और अपना एक संविधान है. उन्होंने संगठन के सभी सदस्यों से जवाबी हमलों से डरे बिना काम करने की अपील की. उन्होंने खाकर मुसलमानों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों से सभी आपसी मतभेद भुलाकर बहुजन समाज के साथ काम करने की गुजारिश की. उन्होंने भरोसा दिलाया कि वो उनके साथ ‘कंधे से कंधा’ मिलाकर सबों के उत्थान के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि एक बेहतर कल के लिए सबों का एकजुट होकर एक मंच पर आना जरुरी है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े इलाके में प्रभावी माने जाने वाले चन्द्रशेखर के पास पूरे उत्तर प्रदेश के दलितों को एकजुट करने की क्षमता है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ओर से उनके साथ चुनावी गठबंधन करने के लिए संपर्क साधा गया है, लेकिन उन्होंने सकारात्मक या नकारात्मक जवाब नहीं दिया है. बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने उनसे एक दूरी बनाये रखने को तरजीह दी है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक, आजाद ने व्यापक एकता के लिए काम करने का इरादा जाहिर किया है.

जेल में कठिन समय गुजारने वाले आजाद, जिनकी जिंदगी को लेकर उनके साथी रिहाई से पहले तक हमेशा आशंकित रहे, ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने अपने गर्दन में कोई पट्टा नहीं पहन रखा है और अपने मन की बात कहने की आजादी को कीमती करार दिया. उन्होंने कहा कि भीम आर्मी अल्पसंख्यकों समेत सबों के अधिकार के लिए संघर्ष करेगी और सामाजिक समानता एवं न्याय इस सघर्ष के केंद्र में होगी. एक लंबे वीडियो में उन्होंने यह भी उम्मीद जाहिर की कि उन्हें ”कुछ हो जाने” की स्थिति में संगठन संघर्ष को आगे बढ़ायेगा.

श्री आजाद ने कहा कि बहुजन समाज को इस बात का अहसास होना जरुरी है कि उन्हें अधिकार और न्याय खुदबखुद नहीं मिलेंगे. उन्होंने कहा, “हमें ये सब छीनकर लेना पड़ेगा.”

उन्होंने कहा, “आपका यह समझना जरुरी है कि आपको लूटा जा रहा है. आपको आपके अधिकार से वंचित किया जा रहा है. आपके हकों को आपसे छीनकर बड़े व्यापारिक घरानों को सौंपा रहा है.” उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि “डरने की जरुरत नहीं है. वे चाहे जितने भी झूठे मुकदमे लादें, आप एकजुट रहें. चिंतित न हों, इस संघर्ष में हमसब एक साथ हैं.”