भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिये राजस्थान की आबादी का 14-15 प्रतिशत वाला मुस्लिम समुदाय ने एक मुश्त होकर कांग्रेस के पक्ष मे मतदान किया और सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कुल पच्चीस सदस्य वाले मंत्रीमंडल में भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार की तरह मात्र एक मुस्लिम मंत्री बनाये जाने पर पूरे समुदाय में मायूसी देखी जा रही है। यह अगर उदासीनता में तब्दील होती है तो पांच माह बाद होने वाले आम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंच सकता है।

हालांकि वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा के कुल दो मुस्लिम विधायकों मे से यूनूस खां को मंत्रीमंडल में नम्बर टू का स्थान देकर परिवहन व पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण विभागों के साथ अन्य विभागों का प्रभार दे रखा था। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में कांग्रेस के कुल सात मुस्लिम विधायकों में शाले मोहम्मद को मंत्री बनाया है। मुस्लिम समुदाय में मंत्रीमंडल विस्तार के बाद भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस को देखकर एक तरह से खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत से जोड़ कर देखा जा रहा है।

कांग्रेस के निशान पर राजस्थान में कामा से जाहिदा खान, सवाईमाधोपुर से दानिस अबरार, शिव से आमीन खान, पोखरण से शाले मोहम्मद, जयपुर शहर की किशनपोल से आमीन कागजी व आदर्श नगर से रफीक खान के अलावा फतेहपुर से हाकम अली खा नामक कुल सात विधायक जीत कर आये है। जबकि पिछली वसुंधरा राजे सरकार के समय भाजपा की तरफ से मात्र दो नागोर से हबीबुर्रहमान व डीडवाना से यूनूस खा विधायक जीतकर आये थे। अशोक गहलोत ने सात मुस्लिम विधायकों मे से एक मुस्लिम शाले मोहम्मद को व वसुंधरा राजे ने भाजपा के मात्र दो मुस्लिम विधायकों मे से एक यूनूस खा को मंत्री बनाया था।

भाजपा की तरह कांग्रेस सरकार मे भी मात्र एक मुस्लिम को मंत्रीमंडल मे जगह देने की परिपाटी को दोहराने को लेकर समुदाय मे काफी बैचेनी देखी जा रही है। समुदाय मे घर घर चर्चा चल पड़ी है कि बडी जद्दोजहद व मेहनत के साथ कांग्रेस सरकार को लाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले क्या मुस्लिम समुदाय के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाले हालात पैदा हो चुके है।