भारतीय राजनीति के इतिहास में पांच राज्यों में हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी मिजोरम में सत्ता गवांकर भी काफी खुश दिख रही है। क्योंकि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे तीन बड़े राज्यों में उसने भाजपा से कांग्रेस मुक्त भारत के नारों के बावजूद सत्ता छीनकर बाजी जो मार ली है। इन दिनों देश-दुनियां में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। इन पांच राज्यों के चुनावी फैसले आने के बाद तो बिहार की राजनीति भी गरमाने लगी है। सभी राजनीतिक दलों के द्वारा एक-दूसरे के पक्ष-विपक्ष में बयानबाजी का दौर भी जारी है। नमो-अमित शाह की जोड़ी के नेतृत्व वाली भाजपा के लिए बिहार ’मिशन-2019’ यानी 17वीं लोकसभा चुनावों को लेकर इन दिनों केन्द्र बना हुआ है। क्योंकि एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर ही नाराज हुए नमो सरकार में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री की कुर्सी पर पिछले साढ़े चार वर्षों से विराजमान रह चुके रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा जैसे बिहार के दिग्गज नेता अपने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर अब महागठबंधन का दामन थाम लिया है। वहीं, जोगारी लाल के रूप में मशहूर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कभी दुलारे रह चुके नवगठित विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी पार्टी के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष व ’सन आफॅ मल्लाह’ के नाम से चर्चित मुकेश सहनी भी महागठबंधन का दामन थाम चुके हैं। परिणाम है कि एनडीए में अब पूरी तरह ’दरार’ पड़ चुका है। हालांकि नमो-अमित शाह ने पहले ही जद(यू.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बराबर-बराबर यानी 17-17 सीटों पर 17वीं लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला कर केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री व लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के सामने घुटने टेक दिए हैं। क्योंकि एनडीए की घटक दल लोजपा के लिए बिहार में 6 लोकसभा सीटों पर चुनाव लडा़ने के साथ-साथ असम से भाजपा के कोटे की एक सीट पर राज्यसभा में रामविलास पासवान को भेजना तय कर दिया है। इसकी औपचारिक ऐलान भी हो चुकी है।

उधर, तीन राज्यों की सफलता से बेहद खुश कांग्रेस पार्टी बिहार की धरती से ‘जन आकांक्षा रैली’ के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनावी बिगुल फंूकने की तैयारी में जुटी है। वैसे, ’मकर संक्रांति’ यानी 14 जनवरी 2019 के बाद महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, राजद, हम, रालोसपा, वीआईपी आदि दलों के बीच सीटों का बंटवारा भी होना लगभग तय है। बहुचर्चित चारा घोटालों में दोषी पाए जाने के बाद राजनीतिक बनवास के साथ ही रांची स्थित बिरसा मुंडा सेन्ट्रल जेल की सलाखों के पीछे पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालु प्रसाद इन दिनांे अपने इलाज के लिए रिम्स अस्पताल के पेइंगवार्ड में भर्ती हैं। जहां, महागठबंधन से जुड़े विभिन्न दलों के नेताओं का हाजरी लगाना आज भी जारी है। जबकि लालु प्रसाद की ओर से किस दल को कितने सीट पर लोकसभा का चुनाव लड़वाना है, इस के लिए लालु पुत्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को पहले ही हरिझंडी मिल चुकी है।

उल्लेखनीय है कि बिहार में दरभंगा जिले के निवासी ’सन आफॅ मल्लाह’ के नाम से चर्चित मुंबई फिल्मी इंडस्ट्रीज में किंग खान के नाम से मशहूर सिने स्टार शारूख खान की ’देवदास’ और सलमान खान की ’बजरंगी भाइजान’ आदि जैसी फिल्मों में शीशे का शानदार सेट बनाकर ख्याति के साथ ही अकूत संपत्ति अर्जित कर चुके मुकेश सहनी अपने ही दमपर मल्लाह वोटरों को अनुसूचित जाति/जन जाति में सम्मिलित करने की लड़ाई को लेकर मल्लाह समाज को एकजुट करने का आन्दोलन शुरू किया था, नीतीश सरकार की बेलगम पुलिस की लाठियां तक उन्हें खानी पड़ी, फिर भी आन्दोलन थमने का नाम नहीं ले रहा था। इसे देखते हुए सूबे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के मल्लाह समाज को अनुसूचित जाति/जन जाति में रखने की सिफारीश भी कर दी थी, बावजूद इसके नमो नीत केन्द्र सरकार ने उसे नज़रअंदाज करते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिसका आक्रोश पूरे बिहार के मल्लाह समाज के लोगों के बीच है। क्योंकि पंश्चिम बंगाल, गुजरात, दिल्ली आदि राज्यों में मल्लाह समाज के लोगों को यह सुविधा आज भी मिल रही है। इस अवसर को भुनाने के लिए ही मुकेश सहनी ने वीआईपी जैसे पार्टी का निर्माण कर लिया है। अतः मल्लाह समाज को आरक्षण नहीं देने का खमियाजा एनडीए खासकर भाजपा को भुगतना ही पड़ेगा। यही वजह है कि अपने को ’सन आॅफ मल्लाह’ कहने वाले मुकेश सहनी का कद यहां मल्लाह समाज में काफी बढ़ चुका है। क्योंकि वतर्मान में इनके एक आवाज पर बिहार में मल्लाह समाज के लोग नाव, पतवार और जाल लेकर लाखों की संख्या में सड़कों पर उतर आते हैं। राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान सहित बिहार के विभिन्न जिलों में मुकेश सहनी कई बड़ी रैली का आयोजन कर अपने ताकत का इजहार तक कर चुके हैं। इसी ताकत की वजह से ही करीब 3600 हजार फीट की ऊंचाई पर नई दिल्ली से पटना के बीच हवाई जहाज से यात्रा के दौरान वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी को लालु पुत्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पटाकर महागठबंधन में शामिल कर लिया है। एनडीए के लिए मुकेश सहनी जैसा मल्लाह समाज में बड़ा चेहरा तलाशना कठिन है।

दूसरी ओर भाजपा ने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को कुशवाहा जाति के बीच एनडीए के पक्ष में गोलबंदी का जिम्मा सौंपा है। उन्होंने बिहार की धरती पर कदम रखकर राफेल मामले को लेकर विपक्ष पर जमकर निशाना साधा है। वहीं, कांग्रेस अब नमो यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से केन्द्रीय सत्ता छीनने की फिराक में ’राजनीतिक सतरंज’ की एक और नई चाल चलने में लगी है। कांग्रेस अब नये सिरे से गठबंधन की तैयारी में जुटी है। यही वजह है कि ’मिशन-2019’ यानी 17वीं लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस गैर भाजपा दलों की एकता यानी ताकत दिखाने के लिए एक बड़ी रैली करने जा रही है। ’जन आकांक्षा रैली’ के नाम से आयोजित यह रैली इस वर्ष 3 फरवरी को राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में बिहार कांग्रेस के द्वारा की जाऐगी। इस रैली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही बड़ी संख्या में गैर भाजपा दलों के कई दिग्गज नेता भी शिरकत करेंगे। बिहार पहले भी देश में सत्ता परिवर्तन का केन्द्र रहा है। जय प्रकश नारायण के नाम पर राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित की गई रैली के बाद जेपी आन्दोलन से इंदिरा गाांधी की सत्ता तक छीन गई थी। इस लिए संभवतः उस दिन राहुल गांधी बिहार से ही नमो सरकार के खिलाफ चुनावी बिगुल फूंक सकते हैं।

बता दें कि हाल ही में वामपंथी दलों के द्वारा राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ही ’भाजपा हराओ-देश बचाओ’ और ’भाजपा भगाओ-लोकतंत्र बचाओ’ के नाम पर दो बड़ी रैली का आयोजन किया जा चुका है। इस रैली में भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव एस.सुधाकर रेड्डी, राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान एवं सांसद डी.राजा के अलावा जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व एआईएसएफ के नेता कन्हैया कुमार, भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, देश के चर्चित दलित युवा नेता व गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी, लोकतांत्रिक जनता दल के संरक्षक व राज्यसभा सांसद शरद यादव, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्यूलर) यानी हम के सुप्रीमो व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाॅ.तनवीर हसन व राजद के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ.रामचन्द्र पूर्वे, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव सहित कई विपक्षी नेता शामिल हुए थे। अब देखना होगा कि 17वीं लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की यह बड़ी रैली बिहार की राजनीति पर क्या असर दिखाती है।