हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति एवं प्रबंधन ने विश्वविद्यालय परिसर में नये सिरे से विरोध प्रदर्शनों को चिंगारी दिखा दी है. कुलपति और विश्वविद्यालय प्रबंधन ने दलित छात्र रोहित वेमुला, जिसने जनवरी 2017 में आत्महत्या कर ली थी, की पुण्यतिथि से पहले 5 जनवरी को विश्वविद्यालय परिसर में उसकी याद में बने “वेलिवाडा” नाम की अस्थायी संरचना को हटा दिया. वेमुला को चार अन्य दलित छात्रों के साथ 2016 में उनके छात्रावास से निलंबित कर दिया गया था.

खबरों के मुताबिक, छात्रों को कथित रूप से रविवार की सुबह विश्वविद्यालय प्रबंधन की इस हरकत का पता चला. अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने द सिटिज़न को जानकारी दी कि कुलपति पोडिले अप्पाराव के नेतृत्व में विश्वविद्यालय प्रशासन ने उक्त संरचना को गिरा दिया और वेलिवाडा से डॉ. बी. आर अम्बेडकर, रमाबाई अम्बेडकर, महात्मा ज्योतिबा फूले, क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फूले, छत्रपति शाहूजी महाराज, कोमाराम भीम, गुरराम जशुआ, पेरियार ई. वी. रामास्वामी एवं मान्यवर कांशीराम की तस्वीरों को नोच कर हटा दिया.

छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की इस हरकत का विरोध करते हुए रविवार की रात को प्रदर्शन किया. उनका प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रहा. उनकी मांग है कि हटाये गये पोस्टरों एवं तस्वीरों फिर से उसी जगह लगाया जाये. अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न (रोकथाम) कानून का उल्लंघन करने के आरोप में कुलपति अप्पाराव को गिरफ़्तार करने और उन्हें पद से हटाने की मांग की है क्योंकि “उनकी उपस्थिति विश्वविद्यालय परिसर में दलित एवं पिछड़े वर्गों के छात्रों के हितों पर एक बहुत बड़ा खतरा है”.

अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने आगे जोड़ा कि “वेलिवाडा हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला समेत पांच दलित शोधार्थियों के साथ किये गये उत्पीड़न एवं भेदभाव का सबूत है. उत्पीड़न मामले की जांच अभी भी पुलिस थाने में लंबित है, जिसमें पोडिले अप्पाराव अभी भी आरोपी है और उन्हें माननीय उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी से रोक लगाने वाली राहत नहीं मिली है. इसके बावजूद अगर उन्होंने सबूतों को नष्ट करने और आगे फिर से अपराध करना तय किया है, तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जातिवादी संबंधों / नेटवर्क ने उन्हें किस कदर शक्तिशाली बनाया है. यही नहीं, खतरा इस बात का है कि पोडिले अप्पाराव उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों में वंचित समुदायों के अधिकारों को दबाने का एक आदर्श बन जायें.”

दूसरी तरफ, अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अधिसूचित सदस्यों को शनिवार को ही एक नोटिस जारी कर उन्हें वेलिवाडा को हटाने को कहा था. कुलपति के हस्ताक्षर से जारी नोटिस में कहा गया, “विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस आशय के कई सर्कुलर जारी किये हैं कि बिना पूर्वानुमति के विश्वविद्यालय परिसर में कहीं भी बैनर, पोस्टर, फ्लेक्सी बोर्ड आदि लगाने की मनाही है. हालांकि, शॉपिंग काम्प्लेक्स (उत्तरी) में 4 – 5 जनवरी की रात 00.45 बजे सुरक्षाकर्मियों द्वारा विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की आपत्ति के बावजूद फर्श खोदकर एक अस्थायी शेड खड़ा करने और वहां फ्लेक्सी बोर्ड एवं पोस्टर आदि लगाये जाने की बात विश्वविद्यालय प्रशासन के संज्ञान में आई है.”

अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने इस आरोप से इंकार करते हुए कहा, “हमने कुछ भी नहीं खोदा और सिर्फ उस संरचना को सहारा देने के लिए सिर्फ पत्थरों का उपयोग किया.”

विश्वविद्यालय में एबीवीपी के तत्कालीन अध्यक्ष सुशील कुमार के साथ तकरार के बाद वेमुला एवं अन्य छात्रों को छात्रावास से निष्कासित कर दिया गया था. “सामाजिक बहिष्कार” का अपमान बर्दाश्त न कर पाने के कारण वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी, जिसे अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने “सांस्थानिक हत्या” करार दिया था.

दलितों के प्रेरणास्रोत माने जाने वाले नेताओं की तस्वीरों एवं पोस्टरों को “अपवित्र” किये जाने की इस घटना से विभिन्न विश्वविद्यालय परिसरों में आक्रोश पनपने और भाजपा एवं छात्रों के बीच के रिश्तों में खटास आने की संभावना है.