मिशन-2019 यानी 17वीं लोकसभा चुनाव की दस्तक को लेकर बिहार में भूचाल है। क्योंकि मार्च माह के पहले सप्ताह में ही चुनावी बिगुल बजना तय है। लेकिन, महागठबंधन में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन से जुड़े दलों के बीच सस्पेंस अब भी बरकरार है। क्योंकि महागठबंधन में शामिल दलों के बीच सीटों का बंटवारा अभी तक नहीं हो पाया है। उधर, 29 साल बाद बिहार कांग्रेस ने अपने बूते पर राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ’जन आकांक्षा रैली’ के बहाने भीड़ जुटाने की हिम्मत जुटा पाई। तभी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी नमो यानी पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा और कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ताओं में नई जान डालकर जा चुके हैं। वैसे, कांग्रेस अपनी ’जन आकांक्षा रैली’ के जरिए यह साबित करना चाहती थी कि सीटों के बटवारे में कांग्रेस को हल्के में न लिया जाय। कांग्रेस चाहती है कि नमो को मात देने के लिए वामपंथी दलों से भी गठबंधन जरूर किया जाना चाहिए। ताकि महागठबंधन और भी मजबूत हो सके। लेकिन, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व एआईएसएफ के नेता कन्हैया कुमार की लोकप्रियेता से लालु पुत्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव घबराए हुए हैं। यही वजह है कि महागठबधन में सीटों को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच अब राजद अपनी ताकत खुद दिखाने जा रही है। राजद यह जताना चाहती है कि बिहार में राजद के बैनर तले ही महागठबंधन का भविष्य है।

हालांकि कांग्रेस ने अपनी ’जन आकांक्षा रैली’ में भीड़ जुटाने के लिए अन्य लोगों का भी सहारा लिया था। कभी जद(यू.) के लिए भीड़ जुटाने की कमान संभाल चुके मोकामा के चर्चित बाहुबली निर्दलीय विधायक अनंत सिंह जैसे लोगों ने भी इस बार खाने पीने से लेकर कांग्रेस की रैली के लिए भीड़ जुटाने तक का काम किया। लेकिन, राजद अपने बूते पर ’बेरोजगारी हटाओ-आरक्षण बचाओ’ यात्रा के बहाने राजनैतिक सतरंज की एक और नई चाल चल रही है। इसकी शुरूआत मिथिलांचल की धरती से की है। अहम बात यह है कि इस यात्रा की शुरूआत इन जगहों से हुई है, जहां कांग्रेस सीटों को लेकर मजबूत दावेदारी जता रही है। राजद बीते 7 फरवरी से ’बेरोजगारी हटाओ-आरक्षण बचाओ’ यात्रा की शुरूआत कर चुकी है और इस यात्रा की नेतृत्व लालु पुत्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कर रहे हैं।

लालु पुत्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने इस यात्रा के पहले चरण की शुरूआत मिथिलांचल में दरभंगा की धरती से की है। जहां राजद सुप्रीमो लालु प्रसाद के चहेते नेताओं के साथ लालु पुत्र तेजस्वी यादव पहुंचकर नमो-नीतीश के खिलाफ सभाऐं कर अगले पड़ाव की ओर कूच कर चुके हैं। भाजपा के कद्दावर नेता अरूण जेटली पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर बगावती तेवर दिखा चुके क्रिकेटर से नेता बने भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति झा आजाद दरभंगा से ही सांसद हैं और इस बार कांग्रेस की टिकट पर यहां से दावेदारी ठोकने के फिराक में हैं। लेकिन, महागठबंधन में शामिल नवगठित विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी पार्टी के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष व ’सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से देशभर में मशहूर मुकेश सहनी भी दरभंगा लोकसभा क्षेत्र से ही अपना दमखम दिखाने में जुटे हैं। बहुचर्चित चारा घोटालों में दोषी करार होने के बाद से होटवार सेन्ट्रल जेल की सलाखों के पीछे सजा काट रहे और इन दिनों इलाज के सिलसिले में रांची स्थित रिम्स के पेइंग वार्ड में भर्ती राजद सुप्रीमो लालु प्रसाद से भी मुलाकात करके आ चुके हैं। लालु पुत्र तेजस्वी यादव का झुकाव मुकेश सहनी की ओर ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस को इस सीट पर कीर्ति झा आजाद जैसे माहिर खिलाड़ी को चुनावी दंगल में उतारना मुश्किल लग रहा है। जबकि र्कीति झा आजाद आगामी 15 फरवरी तक कांग्रेस में शामिल भी हो सकते हैं। इसके बाद तेजस्वी यादव अपनी दूसरी सभा सीमांचल के सुपौल में करने जा रहे हैं। जबकि सुपौल लोकसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का कब्जा है, जहां से राजद से नाता तोड़ चुके मधेपुरा के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन सांसद हैं। रंजीता रंजन कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव भी हैं। यह बात जग जाहिर है कि पप्पू यादव से लालु पुत्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की अदावत पुरानी है। पप्पू यादव ने राजद के टिकट पर मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से तत्कालीन जद(यू.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव जैसे दिग्गज नेता को हराकर 16वीं लोकसभा चुनाव जीता था। लेकिन, बाद में पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। तेजस्वी यादव सुपौल में सभा करके कांग्रेस के साथ-साथ पप्पू यादव की भी हैसियत बताने की कोशिश करेंगे। जबकि जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो बनकर सांसद पप्पू यादव भी कांग्रेस से ही समझौता करके 17वीं लोकसभा की दहलीज लांगने की फिराक में हैं।

लालु पुत्र नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 9 फरवरी को भागलपुर में सभा करेंगे। हालांकि भागलपुर लोकसभा सीट पर पहले से राजद का कब्जा है। यहां से युवा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल सांसद हैं। लेकिन, फिर भी तेजस्वी यादव अपने दुर्ग को और मजबूत करने के लिए यहां सभा करने जा रहे हैं। तेजस्वी यादव को यह पता है कि पिछली बार यहां राजद काफी कम ही वोटों से जीत दर्ज की थी, इसलिए तेजस्वी यादव यहां भी सभा कर अपने किले को और मजबूत करने की फिराक में है।

दूसरी ओर ऐसा लगता है कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर एक बार फिर अड़चने आने की आशंका है। लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेेक्यूलर) यानी हम टूट का शिकार हो गयी है। बीते 6 फरवरी को हम के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल और राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने मांझी का साथ छोड़ दिया है। हम से अलग होते हुए वृषिण पटेल ने जीनत राम मांझी पर कई आरोप लगाए हैं। वृषिण पटेल का कहना है कि मांझी फिर से एनडीए में जाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका झुकाव एनडीए की तरफ है। दूसरी ओर हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने इस्तीफा देकर वृषिण पटेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दानिश रिजवान ने वृषिण पटेल पर पार्टी फंड का साढ़े बारह लाख रूपयों के गबन का गंभीर आरोप लगाते हुए अपने पद और दल से नाता तोड़ लिया है। उधर, वृष्णि पटेल ने भी पार्टी फंड के गबन की बात को सिरे खारिज करते हुए अपने पद के साथ दल से इस्तीफा देकर महागठबंधन में ही रहने की बात कही है, चाहे दल जो भी हो। ऐसे में आने वाले समय में महागठबंधन का भविष्य कैसा रहेगा। यह कहना अभी कठिन है। अब देखना है कि तेजस्वी यादव की ’बेरोजगारी हटाओ-आरक्षण बचाओ’ यात्रा से यहां क्या नया राजनैतिक गुल खिलता है ?