लोक राजनीति मंच ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि हाल ही में सम्पन्न लोक सभा चुनाव में जिस तरह के अप्रत्याशित एक तरफा परिणाम भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आए हैं वह चुनावी प्रक्रिया पर संदेह खड़ा करने वाला है। ऐसा प्रतीत होता है कि लोकतंत्र के सभी संस्थानों को अपने बस में करके भाजपा ने मनचाहा परिणाम प्राप्त किया है। हमारी मांग है कि भारत के लोगों का लोकतंत्र में विश्वास बनाए रखने के लिए वी.वी.पी.ए.टी. से पहले सौ प्रतिशत ई.वी.एम. पर हुए मतदान की पुष्टि कराई जाए। यदि बड़े पैमाने पर कोई अनियमितता पाई जाती है तो बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा बहन मायावती की मांग के अनुसार पूरा चुनाव मतदान पत्र के माध्यम से कराया जाए।

लोक राजनीति मंच की तरफ से जारी साज्ञा बयान में ये भी कहा गया है कि इसके बाद चुनाव सुधार की दृष्टि से वर्तमान में चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को चंदा देने की व्यवस्था में पूरी पारदर्शिता स्थापित की जाए, विदेशी कम्पनियों पर चंदा देने से रोक लगाई जाए व कम्पनियों के पिछले तीन वर्षों के 7.5 प्रतिशत मुनाफे तक ही चंदा दे सकने की सीमा को बहाल किया जाए। जिस तरह उम्मीदवारों के प्रचार खर्च पर सीमा तय है उसी तरह राजनीतिक दलों के प्रचार खर्च पर भी सीमा तय हो और खर्च जोड़ने की अवधि पांच वर्ष की मानी जाए न कि सिर्फ चुनाव के पहले के 15 दिन। खर्च की सीमा भी एक साधारण उम्मीदवार को ध्यान में रख कर तय की जाए न कि बड़े दलों को। विज्ञप्ति पर हस्ताक्षर करने वालों में संदीप पाण्डेय, राजीव यादव, गौरव सिंह, (लखनऊ), युगल किशोर शरण शास्त्री (अयोध्या), फैसल खान, (दिल्ली), लुबना सरवथ, (हैदराबाद), गुरुमूर्ति एम. (बेंगलुरू), महेन्द्र यादव (पटना) शामिल है।