हजारीबाग व कोडरमा में भारी संख्या में वैध व अवैध खनन का कारोबार चल रहा है. हजारीबाग-कोडरमा में अवैध खनन से पर्यावरण को हो रहे नुकसान की सुनवाई के दौरान एनजीटी/नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जांच के लिए गठित विशेषज्ञों की टीम ने स्थलीय जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौप दी है। रपट पर एनजीटी इस माह के 27 तारीख को सुनवाई करेगा. विशेषज्ञों की टीम ने स्थलीय दौरा के बाद काफी भयावह तस्वीर एनजीटी के सामने रखी है. रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया याचिकादाता उस दावे को सही पाया गया है कि यहां भारी पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार इन जिलों के वन क्षेत्रों समेत कई स्थानों पर अवैध खनन जोरो से हो रहा है. स्थिति इतनी खराब है कि अवैध खनन सुरक्षित वन क्षेत्र में भी हो रहा है. कई खनन मालिक तो सुरक्षित वन क्षेत्र में पड़ने वाले पहाड़ को भी बेच दिया है. खनन माफियाओं के इन कुकृत्यों का प्रभाव वन क्षेत्र के साथ ही मानव समुदाय के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. नियमों की अनदेखी तो यहां आम बात है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्पेशल टास्क फोर्स गठित कर अवैध खनन को तुरंत रोकने की अनुशंसा की है.

रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि समिति ने हजारीबाग में 14 तथा कोडरमा में आठ खदानों का निरीक्षण किया है. इस दौरान पाया गया कि खदान मालिकों ने खनन में लगे मजदूरों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की थी. उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया था. खनन में निर्धारित प्रावधानों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ कहा कि हजारीबाग से कोडरमा जाने के क्रम में सैकड़ों क्रशर खुले में चलते दिखे. कई तो सड़क के किनारे व वन क्षेत्र के अधीन देखे गए. खनन में डीप ब्लास्टिंग करने की बात भी देखी गई.

स्थिति की भयावहता को देखते हुए समिति ने एनजीटी को अपनी अनुशंसाएं भी सौपी हैं. विशेषज्ञों की टीम ने कहा है कि खनन क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर निर्धारति सीमा के अधीन हो, इसकी गारंटी की जानी चाहिए. टीम ने अपनी अनुशंसा में इस बात का उल्लेख किया है कि मजदूरों के लिए सुरक्षा के साथ कार्यस्थल पर अवसीय व स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए. खनन में काम करने वाले मजदूरों को सांस की बीमारी प्रायः होती है, इसलिए इस तरह की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे मजदूर साफ हवा ले सके, इसके लिए आवश्यक उपकरण की तत्काल व्यवस्था हो.

समिति ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्धारित राशि का उपयोग उसी मद में खर्च करने का सुझाव दिया है. खदान और क्रशर मालिकों को संबंधित क्षेत्र में सीएसआर एक्टिविटी करने के लिए एक रुपये प्रति टन के हिसाब से राशि जमा करने का सुझाव दिया है. क्रशर व खदान क्षेत्र को वन क्षेत्र से दूर रखने के लिए निर्धारित नियमों का सख्ती से पालन कराने का सुझाव दिया है. खनन से जुड़े जिन क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर अधिक है, वहां पानी का छिड़काव करने का सुझाव दिया है. टास्क फोर्स तत्काल बना कर अवैध खनन को बंद कराने की अनुशंसा समिति ने की है.

ज्ञात हो कि सत्यप्रकाश बनाम वन मंत्रालय के मामले की सुनवाई के दौरान एनजीटी ने अवैध खनन पर विशेषज्ञों की एक टीम गठित की थी. इन्हें आदेश दिया गया था कि हजारीबाग व कोडरमा में चल रहे वैध-अवैध खदानों का निरीक्षण कर टीम अपनी रिपोर्ट सौपे. समिति में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्राण बोर्ड, वन मंत्रालय, झारखंड प्रदूषण नियंत्राण बोर्ड और आइएसएम धनबाद के प्रतिनिधि शामिल किये गए थे.

समिति की अनुशंसाएं

टास्क फोर्स बनाकर अवैध खनन रोकें

पहाड़ों को बर्बाद करने पर पाबंदी लगे

खदान व क्रशर मालिक प्रति टन एक रुपये सीएसआर एक्टिविटी में दें

खदान व क्रशर इलाके के 33 प्रतिशत क्षेत्र में पौधारोपण हो.

खदानों व क्रशरों को वन क्षेत्रा से दूर रखने के लिए नियमों का कड़ाई से पालन हो.

मजदूरों की सुरक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करने की व्यवस्था हो.

(साभाऱ: समकालीन हस्तक्षेप )