राजस्थान की डीडवाना तहसील के निम्बी खूर्द गावं निवासी फौजी इरफान खान ने जब जबलपुर मे "चक्रा मेमोरियल" पर लगे शिलालेख पर चक्रा चोकी विजेताओं में अपने पिता कतान अजमेरी खा का नाम देखा तो उसका सीना खुशी के मारे फूलने लगा। इरफान ने कुछ दिनों पहले जब अपने साथियों को यह बताया कि वो उन्ही कप्तान अजमेरी खा के बेटे हैं जिन्होंने 1971 के युद्द के समय पाकिस्तान की महत्वपूर्ण चक्रा चोकी को विजय करने मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। इस जानकारी के बाद अपने साथियों के बीच इरफान पहले से और अधिक सम्मानित महसूस कर रहा है।

दूसरे विश्व युद्द के योद्धा वाजिद अली खा के साहबजादे व 8वीं ग्रेनियर्ड के अंग अजमेरी खा के अनुसार उनकी कंपनी 4-दिसंबर-1971 को शुरु हुये भारत-पाक युद्द में भारत की सांभा चौकी के मार्फत पाकिस्तान की दण्डोत चौकी मे प्रवेश करते हुये करीब चालीस- पैतालीस किलोमीटर तक धीरे धीरे बढते हुये 9-दिसंबर-1971 को पाकिस्तान की सबसे मजबूत चक्रा चोकी के समीप काफी बडी बहती तरीर नामक नदी के पास पहुंची थी। इनकी कम्पनी के पहुंचने से पहले चक्रा चोकी को कब्जा करने की भारतीय फौज की अनेक कोशिशें सफल नही हो पा रही थी।

नौ दिसंबर को चक्रा चोकी के पास मौजूद भारतीय फौज में कायमखानी, राजपूत, जाट व डोगरा जाति के सैनिक विशेष तौर पर शामिल थे। सभी तरह की रेकी करने के बाद इन सैनिकों को 9-दिसंबर को ही यह आदेश मिला कि रात 12 बजकर पांच मिनट पर चक्रा चोकी पर हर हाल मे हमला बोलकर कब्जा करना है। ठण्ड में जमती नदी व पांच-सात किलोमीटर तक पाकिस्तानी फौज द्वारा बिछाई गई बारुंदी सूरंगो को पार करके मजबूत चौकी पर भारतीय फौज ने दावा बोला तो कड़ा संघर्ष हुआ। लेकिन आखिरकार सुबह चार बजते बजते भारतीय फौज का पाकिस्तान की सबसे मजबूत चोकी 'चक्रा चोकी" पर पूरी तरह कब्जा हो गया और पाकिस्तानी फौज वहॉ से भाग खड़ी हुई। गोला-बारुद फेंक कर दुश्मन के छक्के छुटाने वाली वींग मे आगे आगे चलने वाले कप्तान अजमेरी खा ने बताया कि चक्रा चोकी को विजय करने मे करीब 16- भारतीय फौजी शहीद हुए थे।

पाकिस्तान की तरीर नामक नदी के पास बसे चक्रा नामक गावं की चक्रा चौकी को विजय करने पर भारतीय फौज में एक चक्रा प्लाटून भी गठित की गई। कप्तान अजमेरी खां अपने उस दौर के कर्नल चमनलाल घई को भी याद करते है।चक्रा चोकी को विजय करने पर फौज ने जबलपुर मे एक चक्रा मेमोरियल भी बना रखा है। जिसके शिलालेख पर निम्बी के कायमखानी परिवार के कप्तान अजमेरी खा का नाम भी दर्ज है। फौजी इरफान खान के पिता व राजस्थान पुलिस मे उप अधीक्षक मुमताज खान के बडे भाई कप्तान अजमेरी आज भी फौज में भर्ती होने के इच्छुक युवाओं को रोजाना निशुल्क लगातार ट्रेनिंग देते आ रहे है। उन्होने यह भी कहा कि जरुरत पड़ने पर आज भी भारतीय फौज के साथ दुश्मन देश की फौज को मार भगाने को तैयार बैठे है। कप्तान अजमेरी खां के चार पुत्रो में से बडा पुत्र शफी मोहम्मद एडवोकेट है। दूसरा अजीज खान विदेश रहता है। तीसरे नम्बर का पूत्र मोहम्मद रफीक यातायात सलाहकर एवं मंझला पुत्र इरफान खान फौजी है। शिक्षित परिवार के अन्य सदस्य मुमताज खान राजस्थान पुलिस मे उप अधीक्षक पद पर मौजूदा समय में जालोर जिले में तैनात है।


कप्तान अजमेरी खा जैसे अनेक योद्धा गावं-गाव, ढाणी-ढाणी मौजूद है और इससे राजस्थान के कायमखानी समाज भी गौरवान्वित महसूस करता है।युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।